क्रांतिकारियों के नाम पर रखे कालोनी के मार्गो के नाम
मेरठ से 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की चिगारी उठी थी। आजादी की लड़ाई के महानायक मंगल पांडेय के बलिदान को कभी नहीं भूला जा सकता। लेकिन समय बीतते-बीतते सब कुछ बदलता चला गया।
मेरठ । मेरठ से 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की चिगारी उठी थी। आजादी की लड़ाई के महानायक मंगल पांडेय के बलिदान को कभी नहीं भूला जा सकता। लेकिन समय बीतते-बीतते सब कुछ बदलता चला गया। आजकल बच्चों को टीवी चैनल पर आने वाले कार्टून के नाम भले ही याद हों, लेकिन क्रांतिकारियों के नाम से वे शायद ही परिचित हों। क्रांतिकारियों के नाम पर गंगासागर कॉलोनीवासियों ने एक अनूठी पहल की है। कॉलोनी में सभी मार्गों के नामों को क्रांतिकारियों से जोड़ते हुए उनकी शौर्यगाथा को संजोने की कोशिश की है। इसका उद्देश्य केवल यही है कि आने वाली पीढ़ी को क्रांतिकारियों के बारे में जरूर पता लग सके।
'क्रांतिकारियों के बलिदान को याद रखे आने वाली पीढ़ी'
गंगासागर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव नरेंद्र चौधरी ने बताया कि आधुनिकता की आड़ में हम अपने वीर क्रांतिकारियों की पहचान को खोते जा रहे हैं। लेकिन आजादी के असल मायने क्रांतिकारियों के बलिदान को याद रखकर ही संजोये जा सकते हैं। जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उनके बारे में आने वाली पीढ़ी को जरूर बताना होगा। सुबह व शाम के वक्त कॉलोनी में वॉक करने वाले बच्चे अपने माता-पिता के साथ घूमते हुए इन क्रांतिकारियों के बारे में पूछने लगे हैं।
इस तरह रखे गए दस मार्गों के नाम
गंगासागर कॉलोनी में मेन डिवाइडर से जुड़े दस मार्ग हैं, जो अपने-अपने ब्लॉकों की तरफ मुड़ते हैं। ए, बी, सी, डी, ई और एफ में चंद्रशेखर आजाद मार्ग, शहीद मंगल पांडे मार्ग, खुदीराम बोस मार्ग, उधम सिंह मार्ग, वीर सावरकर मार्ग, सुखदेव सिंह मार्ग, राजगुरु मार्ग, सुभाष चंद्र बोस मार्ग व 1971 की लड़ाई में भारतीय सेना के अध्यक्ष सैम मॉनेकशा की पदपटिका लगाई गई है। इस कार्य में राहुल चिकारा व एसपी सिंह का विशेष योगदान है।
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