मुजफ्फरनगर : हैदरपुर वेटलैंड रामसर साइट घोषित, बढ़ेगा पर्यटन, रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
हैदरपुर वेटलैंड को उत्तर प्रदेश की 47वीं रामसर साइट घोषित किया गया है। यहां की जैव विविधता पक्षियों को आकर्षित करती है। विदेशी पक्षी मंगोलिया की पहाडिय़ों को पार करते हुए यहां पहुंचते हैं। डाल्फिन कछुए घडिय़ाल मगरमच्छ उदबिलाव हिरन तथा तितलियों आदि की यहां तमाम प्रजातियां हैं।

मुजफ्फरनगर, जागरण संवादाता। हस्तिनापुर वन्य अभ्यारण्य क्षेत्र में जैव विविधता को बढ़ावा देने के उदेश्य से हैदरपुर वेटलैंड को रामसर साइट घोषित किया गया है। अब यहां पर्यटन के साथ रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।
6900 हेक्टेयर में फैला है हैदरपुर वेटलैंड
एसडीएम जयेंद्र कुमार ने बताया कि मध्य गंगा बैराज किनारे 6900 हेक्टेयर में फैले हैदरपुर वेटलैंड को उत्तर प्रदेश की 47वीं रामसर साइट घोषित किया गया है। यहां की जैव विविधता पक्षियों को आकर्षित करती है। विदेशी पक्षी मंगोलिया की पहाडिय़ों को पार करते हुए यहां पहुंचते हैं। डाल्फिन, कछुए, घडिय़ाल, मगरमच्छ, उदबिलाव, हिरन तथा तितलियों आदि की यहां तमाम प्रजातियां हैं। पक्षी विशेषज्ञ आशीष लोया बताते हैं कि हैदरपुर वेटलैंड को रामसर साइट घोषित करने से पक्षियों व अन्य जीवों के रख-रखाव का पूरा ध्यान दिया जाएगा। इससे यहां पर्यटन और रोजगार बढ़ेगा।
तत्कालीन कमिश्नर के प्रयास से हुआ संभव
सहारनपुर मंडल के तत्कालीन कमिश्नर संजय कुमार ने आशीष लोया के साथ मिलकर इस दिशा में काफी प्रयास किए थे। उनके नेतृत्व में हैदरपुर वेटलैंड को 14 नवंबर 2019 को वेटलैंड का दर्जा मिला था। यहां कई कार्यक्रम कराए गए।
300 से अधिक प्रजाति के पक्षी
हैदरपुर वेटलैंड में नवंबर में प्रवासी पक्षी आने लगते हैं। यहां 300 से अधिक प्रजातियों के पक्षी चिह्नित किए गए हैं। इनमें पाईड एवोसेट, काटन टिल, गेडवेल, मलार्ड, नादर स्लावर, नार्दन पिटेल, गार्गेनी, टपटेड पाचार्ड, ब्लैक नेक्ड स्टोर्क, यूरेशिएन कर्लिव, कॉमन पाचर्ड, ग्रे लेग गूज, रडी सेलडक, इंडियन ग्रास बर्ड, चाइनीज रॉबीर्थोट, स्मिव आदि प्रवासी प्रजातियां हैं। चार हजार से अधिक फ्रेयूग्नोज डक का झुंड देखने को मिला है।
क्या है रामसर साइट
रामसर साइट आद्र्र भूमि हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व प्राप्त है। 1971 में ईरान के रामसर शहर में विश्व की आद्र्र भूमियों के स्थायी उपयोग व संरक्षण के लिए यूनेस्को के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह संधि 1975 से अस्तित्व में आई। इसे रामसर संधि भी कहा जाता है।
इन्होंने कहा--
बुधवार रात्रि में हैदरपुर वेटलैंड का नाम रामसर साइट में जोड़ा गया है। पक्षियों व अन्य जीवों के संरक्षण के लिए टीमों का गठन किया जाएगा। क्षेत्र के स्कूलों के बच्चों को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूक किया जाएगा।
- जयेंद्र कुमार, एसडीएम जानसठ।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।