यूपी के इस शहर में रोडवेज बसों तक में बैठे हैं बंदर, आतंक ऐसा... 10-15 लोगों को हर माह बना रहे शिकार
मेरठ में बंदरों के आतंक से एक युवती छत से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है, क्योंकि बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, मेरठ। परतापुर की ब्रजविहार कालोनी में मंगलवार दोपहर छत पर कपड़े सुखाने गई एक युवती पर बंदरों ने हमला कर दिया। बचने के प्रयास में वह छत से नीचे गिर गई। गंभीर रूप से घायल महिला को सुभारती मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है। भैसाली बस स्टैंड पर भी सुबह के समय बंदर उत्पात करते रहे।
बंदर बस के अंदर तो कभी यात्रियों के बैग को खींच रहे लेकिन बंदरों से बचाने वाला यहां कोई नही था। यात्री व रोडवेज बस स्टाफ उनकी घुड़की सहम गया। हालात यह है कि बंदरों के उत्पात व काटने की घटनाओं से शहर के अधिकांश मुहल्लों व कालोनी में असुरक्षा का माहौल है। आए दिन इनसे बचने के फेर में लोग छतों से गिर रहे हैं।
जानलेवा स्थिति बनी हुई है लेकिन नगर निगम और वन विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टाल रहे है। बंदरों को पकड़ने के लिए कुछ नहीं किया। वन विभाग कहता रहा कि बंदर अब वन्य जीव प्राणी श्रेणी में नहीं रहा। नगर आयुक्त कह रहे है कि वह बंदर को तो पकड़ ले पर उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए वन विभाग को कोई स्थान बताना है। अभी तक वन विभाग स्थान नही बता पाया है।
परतापुर की ब्रजविहार कालोनी निवासी सुभाष दर्जी हैं। मंगलवार दोपहर उनकी 21 वर्षीय बेटी कीर्ति छत पर कपड़े सुखाने गई थी। इसी दौरान छत पर बैठे बंदरों ने उस पर हमला कर दिया। डरी-सहमी कीर्ति उनसे बचने को नीचे की ओर दौड़ी। इसी प्रयास में संतुलन बिगड़ने पर वह छत से नीचे गिर गई। उसके सिर में गंभीर चोट आई। स्वजन ने उसे सुभारती मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। बंदरों के लगातार उत्पात व हमले से लोग इस कालोनी के लोग सहमे हुए है।
बंदर घर के अंदर
साकेत, मानसरोवर, इंदिरा नगर, श्रद्धापुरी, कंकरखेड़ा , शास्त्रीनगर समेत शहर के हर मुहल्ले-कालोनी में बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि लोगों ने लंगूर किराये पर रख लिए। लोग बंदरों को पकड़कर शहर के बाहर करने की गुहार नगर निगम से लगाते रहे है पर नगर निगम ने एक भी बंदर नहीं पकड़ा।
बंदरों को पकड़ने की बाबत डीएफओ वंदना फोगाट का कहना है कि बंदर अब वन्य जीव प्राणी श्रेणी में नहीं रहा। ऐसे में बंदरों को पकड़ने की जिम्मेदारी उनकी नही है।
निगम की ओर से अभी किसी स्थान के बारे में भी चर्चा नही हुई है नगर आयुक्त सौरभ गंगवार का कहना है कि निगम बंदरों को पकड़ने के लिए तैयार है लेकिन इसके लिए वन विभाग को कोई ऐसा स्थान बता दे जहां बंदरों को छोड़ा जा सकता है। इस संबंध मे डीएफओ को पत्र भेजा गया। अब वह स्वयं डीएफओ से बातचीत करेंगे। आवश्यकता पड़ी तो उच्चाधिकारियों का सहयोग लिया जाएगा।

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