अब्दुल्लापुर में तिरंगे के साथ निकला मुहर्रम का जुलूस
मुहर्रम की दस तारीख को अब्दुल्लापुर में पुलिस बल की मौजदूगी में जुलूस निकाला। मेरठ
जेएनएन, भावनपुर । मुहर्रम की दस तारीख को अब्दुल्लापुर में पुलिस बल की मौजदूगी में जुलूस निकाला गया। जिसमें सोगवारों ने जंजीरी मातम कर लहुलूहान कर लिया। सुबह के वक्त आमाले आशूर कराए गए। दोपहर में एक बड़ा कदीमी ताजिया इमामबारगाह असगर हुसैन से बरामद हुआ। जिसमें मुख्तार हुसैन ने मरसिया पढ़ा, अब न कासिम बाकी है, न असगर बाकी, न अलमदार सलामत है न लश्कर बाकी। जुलूसे ताजिया मोहल्ला कोट बुनियाद चौक, पंडित चौक धर्मशाला से होते हुए बाढे़ की मस्जिद मोहल्ला गढ़ी में पहुंचा। दोनों जुलूस हुसैनी चौक पर एकत्र हुए। जहां पर नफीस आलम नकवी ने तकरीर की। नफीस आलम ने कहा कि इमाम हुसैन ने दुनिया को इंसानियत का पैगाम दिया। कहा कि अपने वतन से मोहब्बत करो। तकरीर में कहा कि मुहर्रम आतंकवाद के खिलाफ आंदोलन का नाम है। जिसे इमाम हुसैन ने कर्बला इराक में यजीद के खिलाफ किया। उन्होंने अपने परिवार समेत 72 शहीदों की कुर्बानी पेश की। इस दौरान हिदुस्तान जिंदाबाद, लब्बैक या हुसैन और हुसैनियत जिंदाबाद के नारे लगे। इसके बाद सभी सोगवारों ने जंजीरों से मातम कर लहूलुहान कर लिया। अब्दुल्लापुर में एसडीएम सुनीता सिंह, एसपी क्राइम राम अर्ज, 5 सीओ, 7 एसओ व करीब 40 कांस्टेबल ने व्यवस्था संभाली। जुलूस के दौरान किला रोड पर दोनों ओर से ट्रैफिक को रोक दिया गया। नायब अली, रजा अहमद, रोशन अब्बास, नवाब अली, मौ. अब्बास, कमर आलम, इमरान, ताजदार, अली मेहंदी, अम्मार ए यासिर, आरजे हुसैन, जाकिर अली, नदीम जैदी, तस्सदुक, अब्दुल्ला, जव्वाद, जफर अब्बास, सरफराज व हसन मेहंदी आदि मौजूद रहे। कर्बला जाते न जाते मौला काश आ जाते यहीं..
मेरठ : मुहर्रम की 10वीं तारीख को हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों को गमगीन और खूनी मातम कर अलविदा कहा गया। या हुसैन और या अब्बास की सदाओं के बीच अलम-ए-मुबारक ताजिए और जुलजनाह जलूस बरामद हुए हुए। इनमें लोग जंजीरों और तलवारों से मातम करते नजर आए। अलम के बीच सोगवार तिरंगा लहराते चल रहे थे।
शहर छोटी कर्बला चौड़ा कुआं से ताजिए और जुलजुनाह का बड़ा जुलूस हसन मुर्तजा के संयोजन में दोपहर को बरामद हुआ। मोहम्मद हैदर जावेद, इमाम बारगाह इनायत हुसैन से और सरदार हुसैन मरहूम के अजाखाने कोटला से से ताजिए बरामद हुए और उक्त जुलूस में शामिल हुए। काले लिबास पहने लोगों सोगवारों ने मातम किया। अंजुमन इमामिया के वाजिद अली गप्पू ने कहा कि कर्बला जाते न जाते मौला काश आ जाते यहीं- मुंतजिर सदियों से अब तलक मेरा हिदुस्तान है।
जुलूस घंटाघर रेलवे रोड, ईदगाह चौपला से होता हुआ ईदगाह और कर्बला मनसबिया पहुंचा। जहां ताजिए दफन किए गए। चांद मिया, मीसम, रविश, दस्ताए हुसैनी के हुमांयू, अब्बास, ताबिश, दानिश मेरठी, हिलाल आब्दी, तंजीम ए अब्बास के सफदर, अतीक उल हसनैन, जिया जैदी, काशिफ, दारेन ने दर्द भरे नौहे पढ़े। छोटे छोटे बच्चों ने मातम किया। मुहर्रम कमेटी के संयोजक अलहाज सैयद शाह अब्बास सफवी, डा. सरदार हुसैन, फखरी जाफरी, बाकर जैदी, शमशाद अली, अली हैदर रिजवी, नियाज हुसैन गुड्डू, हामिद अली जमाल, हसन बहादुर , कौसर रजा मौजूद रहे।
इमामबारगाह करीम बख्श से ताजिया बरामद हुआ। हसन अली मरहूम के अजाखाने जाहिदियान से हाजी शमशाद अली के संयोजन में अलम हजरत अब्बास का जुलूस बरामद हुआ और विभिन्न मार्गो से होता हुआ मखदूम शाह विलायत कर्बला के गेट नंबर तीन पहुंचा। युसुफ अली, सुल्तान हैदर, उरूज जैदी, अबू मोहम्मद आदि सोगवार शामिल रहे।
जैदीफार्म इमामबारगाह इश्तियाक हुसैन से जुलजुनाह और ताजिए का बड़ा जुलूस बरामद हुआ। शाह जलाल हाल, कौमी एकता मार्ग, नई कोठी होता हुआ जैदी सोसायटी कर्बला में समाप्त हुआ। जुलूस में जावेद रजा, अरशी नकवी, शबीह जैदी, मोहम्मद ने नौहे पढ़े। मौलाना हाजी खुर्शीद जैदी ने तकरीर करते हुए इंसानियत पैगाम दिया। लोहिया नगर के ब्लाक व अलग अलग स्थानों से ताजिए और अलम ए मुबारक के जुलूस में अंजुमन जुल्फिकार ए हैदरी ने मातम और नोहेख्वानी की। जगह जगह फाका शिकनी और सुबह आमाले आशूरा हुए।
सेक्टर चार शास्त्रीनगर में शाहजलाल हाल से हुसैनी मिशन के द्वारा जुलूस निकाला गया। मौलाना सैयद अम्मार हैदर रिजवी ने तकरीर की। यह जुलूस कर्बला जैदी सोसायटी पहुंच कर समाप्त हुआ। रजा नकवी ने नौहे पढ़े। अलहाज सैयद शाह अब्बास, अली हैदर रिजवी, आदि मौजूद रहे। शहर में डा. सैयद इकबाल हुसैन सफवी, के अजाखाने हुसैनाबाद, छोटी कर्बला, मनसबिया, इमामबारगाह इश्तियाक हुसैन जैदी फार्म में मजलिस हुई।