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    धर्मेंद्र भारद्वाज को विरासत में नहीं मिली राजनीति, ऐसे तय किया पंचायत से सदन का सफर

    By Taruna TayalEdited By:
    Updated: Tue, 12 Apr 2022 09:12 PM (IST)

    2010 में जिला पंचायत सदस्य चुने गए धर्मेंद्र भारद्वाज सियासत की ऊबड़-खाबड़ राहों पर संभलकर चले। संगठन एवं जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय साधने पर विशेष जोर दिया। आखिरकार 12 साल इंतजार के बाद विधान परिषद पहुंचने में सफल हो गए।

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    एमएलसी चुनाव 2022: धर्मेंद्र भारद्वाज का 12 साल में पंचायत से सदन तक का सफर।

    मेरठ, संतोष शुक्ल। शिक्षक और पंचायत राजनीति की पगडंडी से सदन तक पहुंचने को राजनीतिक हाईवे का सफर तय करने वाले 46 साल के धर्मेंद्र भारद्वाज की जीत कई मायने में अहम है। इसके जरिए भाजपा ने जहां आगामी चुनावों की तैयारियों का लिटमस टेस्ट लिया, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मïण राजनीति को भी नई दिशा दे दी। 2010 में जिला पंचायत सदस्य चुने गए धर्मेंद्र भारद्वाज सियासत की ऊबड़-खाबड़ राहों पर संभलकर चले। संगठन एवं जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय साधने पर विशेष जोर दिया। आखिरकार 12 साल इंतजार के बाद विधान परिषद पहुंचने में सफल हो गए।

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    आठ साल बाद फिर उसी मैदान में

    धर्मेंद्र भारद्वाज ने वर्ष 2014 में मेरठ-सहारनपुर स्नातक विधान परिषद सदस्य का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा, और दिग्गज शिक्षक नेता हेमसिंह पुंडीर के सामने 22 हजार वोट पाए। धर्मेंद्र सिर्फ 800 वोटों से हारे, लेकिन चुनावी पकड़ दिखाने में सफल रहे। इसके बाद उनकी चुनावी गाड़ी ठहर गई। फिर 2016 में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने धर्मेंद्र को भाजपा में शामिल कराया, और यहां से धर्मेंद्र नई राजनीतिक पारी के लिए पिच बनाने में जुट गए।

    जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का भी था ख्वाब

    2017 विस एवं 2019 लोस चुनावों में धर्मेंद्र ने भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशियों के लिए पसीना बहाया, लेकिन अपने लिए कोई बात नहीं बन सकी। 2021 में धर्मेंद्र जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लडऩे के लिए तैयारी कर रहे थे, लेकिन उन्हें पंचायत सदस्य का टिकट नहीं मिला। 2022 विस चुनाव में शहर विस सीट से टिकट के दावेदारों में रहे, पर यहां पार्टी ने कमलदत्त शर्मा पर भरोसा किया।

    ब्राह्मïण राजनीति में अहम मोड़

    पश्चिमी उप्र में भाजपा ब्राह्मïणों को नए सिरे से साधने पर काम कर रही है। फिलहाल सीएम योगी की टीम मेंं पश्चिम यूपी के ब्राह्मïण चेहरे साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, अनूपशहर विधायक संजय शर्मा, शिकारपुर विधायक अनिल शर्मा एवं एमएलसी श्रीचंद शर्मा को जगह नहीं मिली। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के हाथ 2014 से मायूसी लग रही। नोएडा सांसद डा. महेश शर्मा मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना सके। सहारनपुर के राघव लखनपाल शर्मा 2019 का संसदीय चुनाव हारकर हाशिए पर पहुंच गए। ऐसे में पार्टी ने सटीक रणनीति के तहत मेरठ-गाजियाबाद विधान परिषद सदस्य सीट पर ब्राह्मïण चेहरा उतारकर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया।