Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Babu Kunwar Singh: मेरठ में दहक रही बूढ़े 'जवान' की क्रांति ज्वाला, जुड़े हैं बाबू कुंवर सिंह की वीरता के किस्‍से

    Babu Kunwar Singh बिहार में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल फूंकने वाले बाबू कुंवर सिंह की वीरता के किस्‍से को कौन नहीं जानता। उनकी यादें मेरठ से भी जुड़ीं हैं। यहां राजकीय संग्रहालय में बाबू कुंवर सिंह को समर्पित है पूरी वीथिका।

    By Prem Dutt BhattEdited By: Updated: Sun, 24 Apr 2022 12:54 PM (IST)
    Hero Image
    Babu Kunwar Singh अंग्रेजों से मोर्चा लेते हुए बिहार से पहुंच गए थे उत्तर प्रदेश के कालपी।

    ओम बाजपेयी, मेरठ। Babu Kunwar Singh पूर्वांचल और बिहार में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल फूंकने वाले बाबू कुंवर सिंह की वीरता के किस्से मेरठ में भी सुने-सुनाए जाते हैं। 23 अप्रैल को उनके जन्मदिवस को विजयोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भैंसाली स्थित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में एक वीथिका का बड़ा हिस्सा उन्हीं के लिए समर्पित किया गया है। इसमें अंग्रेज फौज में शामिल भारतीयों के साथ उन्हें विशाल जनसमूह के साथ दर्शाया गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पांच वीथिकाएं

    संग्रहालय का नए स्वरूप का लोकार्पण 17 अप्रैल-2021 को हुआ। इसमें स्वाभिमान, स्वराज, संघर्ष, संग्राम और संकल्प समेत पांच वीथिकाएं हैं। संग्राम वीथिका में रानी लक्ष्मीबाई और बाबू कुंवर सिंह के योगदान को रेखांकित किया गया है। प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा कराए गए जीर्णोद्धार के लिए बनी कमेटी के अध्यक्ष इतिहासकार डा. केडी शर्मा और सदस्य डा. अमित पाठक समेत पांच लोगों की टीम ने दस्तावेजों का संकलन किया है।

    क्रांति की चिंगारी

    इसमें मेरठ, समेत पूरे देश में 1857 की क्रांति की ज्वाला फैलने को क्रमबद्ध किया गया है। डा. अमित पाठक ने बताया कि मेरठ से 10 मई-1857 को उठी क्रांति की चिंगारी पूरे देश में फैली थी। बाबू कुंवर सिंह Babu Kunwar Singh के क्षेत्र में 26 जुलाई को क्रांति आरंभ हुई थी। बिहार में अंग्रेजों से मोर्चा लेते हुए वह उत्तर प्रदेश के कालपी जिले तक पहुंच गए थे।

    ऐसे किया है वीरता का बखान

    वीथिका में वीर सावरकर के हवाले से लिखा है कि Babu Kunwar Singh बाबू कुंवर सिंह ने सक्षम नेताओं की कमी को दूर कर दिया था। सावरकर ने कहा है कि वह एक बूढ़े जवान थे। 80 वर्ष की उम्र में भी उनकी आत्मा में क्रांति की ज्वाला जलती थी और उनकी मांस पेशियां मजबूत थीं। वह अंग्रेजों द्वारा अपने देश की लूट कैसे सहन कर सकते थे। वीथिका में उनके घुड़सवार सिपाहियों द्वारा गंगा नदी पार करने का टेलीग्राम (25 अप्रैल-1858) और कुंवर सिंह के जगदीशपुर में सुरक्षित स्थान पर जाने का टेलीग्राम (30 अप्रैल-1858) को प्रदर्शित किया गया है। युद्ध के दौरान उनके पड़ावों का मानचित्र भी है।

    पीएम मोदी ने काफी देर तक किया था अवलोकन

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गत दो जनवरी को मेरठ आए थे तो सबसे पहले स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय गए थे। संग्रहालय अध्यक्ष पतरू ने बताया कि प्रधानमंत्री ने बाबू कुंवर सिंह की वाल पेंटिंग का अवलोकन और उनसे जुड़े दस्तावेज का गहन अध्ययन किया था।