Meerut Victoria Park Fire: 17 वर्ष पहले का वो मंजर जिसे देख हिला था पूरा देश, आग में 65 लोगों की हुई थी मौत
Meerut Victoria Park Fire सजा तो दूर 17 साल बाद भी आरोपितों के खिलाफ ट्रायल शुरू नहीं हो पाया। हादसे में 81 लोग बुरी तरह झुलसे थे। पीड़ित आज भी दंश भोग रहे हैं। दिल्ली के उपहार सिनेमा कांड में सजा हुई लेकिन मेरठ के इस हादसे में नहीं।

मेरठ, जागरण टीम। 10 अप्रैल 2006 को विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में 65 लोगों की मौत हो गई थी और 81 गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पर इतने वर्षों बाद पीड़ित परिवारों न्याय नहीं मिला है। दिल दहला देने वाले भीषण अग्निकांड के दोषियों पर अभी मुकदमे की सुनवाई नहीं शुरू हो पाई है। पीड़ितों का कहना है कि आरोपितों को छूट मिली हुई है। सिविल लाइन थाने में आयोजकों के खिलाफ जो मुकदमा दायर हुआ था वह 17 साल बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। आरोपितों की याचिका पर हाईकोर्ट ने 28 अप्रैल 2008 को अस्थाई स्टे आर्डर जारी किया था। जिसके बाद से मेरठ लोअर कोर्ट में मुकदमा आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
खारिज नहीं हो पाया स्टे
स्टे खारिज नहीं हो पाया है इतने साल बाद भी आरोपितों पर कोई कार्रवाई नहीं हैं और पीड़ित आज भी दंश भोग रहे हैं। हादसे में अपनों को खो चुके पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए गठित विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति के महामंत्री संजय गुप्ता ने भी बताया कि आरोपितों के खिलाफ ट्रायल आरंभ नहीं हो पाया है सजा तो दूर की बात है। कहा कि स्टे खारिज कराने के लिए सरकारी स्तर से गंभीरता से प्रयास होने चाहिए।
आयोजक 60 प्रतिशत और सरकारी तंत्र 40 प्रतिशत जिम्मेदार
पीड़ितों की ओर प्रयागराज हाईकोर्ट में मामले को देखने वाले अधिवक्ता अमित दीक्षित ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा निर्धारित होने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है। मई-जून तक लोअर कोर्ट में सुनवाई आरंभ होगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित जस्टिस एसबी सिन्हा की जांच में तमाम गवाहों के बयान और साक्ष्यों से से निष्कर्ष निकला था कि इतनी बड़ी संख्या में हुई मौतों के पीछे आयोजक 60 प्रतिशत और सरकारी तंत्र 40 प्रतिशत जिम्मेदार हैं। मुआवजा निर्धारण के लिए उपलब्ध कराई गई 188 में 30 की सुनवाई पूरी हो गई है।
सब कुछ हो गया राख
शहर के बाबे बाजार निवासी संजय गुप्ता बताते हैं कि 10 अप्रैल 2006 को उनके बड़े भाई अजय गुप्ता, भाभी अनीता गुप्ता, भतीजी आकृति गुप्ता व बेटी अनीशा व अनुष्किा विक्टोरिया पार्क में लगे मेले को देखने गए थे। उन्हें भी जाना था, लेकिन बाजार जाने के कारण वे नहीं जा सके। मेले के पंडाल में आग लगी और सब कुछ राख हो गया। संजय बताते हैं इस घटना के बाद जिंदगी पूरी तरह से बिखर गई। जीवन में शायद ही ऐसा कोई दिन रहा होगा, जब अपनों की याद नहीं आई। घुटन होने पर पंडाल से बाहर आ गए थे नरेश
मेला देखने सब गए थे साथ
अग्निकांड में अपनी मां मालती तायल व पिता रमेश चंद तायल को खो चुके सिविल लाइंस निवासी नरेश तायल भी घटना को याद कर उदास हो जाते हैं। नरेश बताते हैं कि मेला देखने के लिए सब साथ गए थे। अचानक घुटन होने पर वे पत्नी और बच्चों को लेकर पंडाल से बाहर आ गए। माता-पिता अंदर ही रह गए। आग में दोनों के शरीर इस कदर जल गए थे कि पहचानना भी मुश्किल हो गया था।
मेले के दौरान लगी थी आग
विक्टोरिया पार्क में अप्रैल 2006 में कंज्यूमर मेला लगाया गया था। 10 अप्रैल को मेले के पंडाल में भीषण आग लगी थी। पूरा पंडाल आग का गोला बन गया था। आग में 65 लोगों की मौत हो गई थी। 81 लोग गंभीर रूप से तो 85 लोग सामान्य रूप से झुलसे थे।
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