Namo Bharat Ticket: नमो भारत के एक टिकट की कीमत तुम क्या जानो यात्री बाबू! 29 मिनट में तय हो रही 43KM की दूरी
नमो भारत ट्रेन में यात्रा करते हुए आप कार्बन नियंत्रण में योगदान दे रहे हैं। टिकट पर लिखा है कि आपकी यात्रा से प्रति किमी 32 ग्राम कार्बन डाईऑक्साइड घट रही है। यह ट्रेन 70% सौर ऊर्जा का उपयोग करती है। 110 रुपये में 43 किमी की यात्रा 29 मिनट में पूरी होती है। इससे एक लाख वाहन सड़क से कम होंगे और 85 हजार टन कार्बन डाईऑक्साइड कम होगी।

प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। अगर आप अंतरराष्ट्रीय तकनीक से सजी नमो भारत ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं तो कृपया एक बार टिकट भी देखिए। यात्रियों को कदाचित पता नहीं होगा कि वो कार्बन नियंत्रण में कितना बड़ा योगदान कर रहे हैं। देश की पहली रीजनल रैपिड रेल के टिकट पर लिखा है कि आपकी यात्रा से प्रति किमी 32 ग्राम कार्बन डाईआक्साइड घट रही है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) कार्बन डाईआक्साइड कम करने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रही है। निजी वाहनों की जगह लोगों को नमो भारत ट्रेन से यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। देश की पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के प्रथम कारिडोर दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कारिडोर का कार्य चल रहा है।
82 किमी लंबे इस कारिडोर के 43 किमी हिस्से मेरठ साउथ (भूड़बराल) से साहिबाबाद तक नमो भारत ट्रेन का संचालन होने लगा है। यह कारिडोर पूरी तरह से इलेक्ट्रिक है। एनसीआरटीसी ने कुल बिजली का 70 प्रतिशत सौर ऊर्जा का प्रयोग किया। इस कार्य के लिए 11 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है।
110 रुपये में 43 किमी की यात्रा
यही नहीं, 110 रुपये में 43 किमी की यात्रा 29 मिनट में पूर्ण कराकर यह निजी वाहनों के उपयोग के बजाय सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित कर रहा है। इस परिवहन सेवा का उपयोग करने से एक लाख वाहन सड़क से कम हो जाएंगे। लगभग आठ लाख यात्री इससे यात्रा करेंगे।
दिल्ली रोड को छह लेन करने से जो वाहन सड़क पर रहेंगे वे जाम में नहीं फंसेंगे जिससे ईंधन खर्च कम होगा। इससे पहले हर साल 85 हजार टन और कुछ वर्षों बाद 2.50 लाख टन तक कार्बन डाईआक्साइड कम हो सकेगा। इस तरह से एनसीआरटीसी को कार्बन क्रेडिट प्राप्त होगा। इस क्रेडिट की बिक्री से आय अर्जित होगी। कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग यूरोपीय देशों में प्रचलित है। इस परियोजना के सभी भवन व स्टेशन ग्रीन बिल्डिंग प्रमाण पत्र वाले होंगे।
ऐसे होता है मूल्यांकन
एनसीआरटीसी व एशियन डेवलपमेंट बैंक के अध्ययन के अनुसार, इस परियोजना के सुचारु होने से 40 प्रतिशत बस, 15 प्रतिशत दो पहिया व 20 प्रतिशत कार के यात्री इस ट्रेन से यात्रा करने लगेंगे। वर्ष 2030 तक कुल परिवहन सेवाओं के 14 प्रतिशत यात्री इस पर आ जाएंगे। इस अध्ययन के अनुसार, एक कार प्रति किमी 139 ग्राम, बस 788 ग्राम और दो पहिया 29 ग्राम कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन करते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।