Meerut RTO: यूरो वन के री-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया फिलहाल बंद होने से आवेदक परेशान
Meerut RTO आरटीओ मेरठ में री-रजिस्ट्रेशन फिलहाल बंद होने से दिक्कतें बढ़ रही हैं। आरटीओ हिमेश कुमार तिवारी ने बताया कि उन्होंने सिर्फ यूरो वन वाहनों ...और पढ़ें

मेरठ, जागरण संवाददाता। Meerut RTO मेरठ के शास्त्रीनगर स्थित परिवहन कार्यालय में री-रजिस्ट्रेशन का कार्य पिछले 15 दिनों से बंद है। रजिस्ट्रेशन पटल पर प्रार्थना पत्रों का अंबार लगा है। वाहन स्वामी धक्के खा रहे हैं लेकिन लिपिक जवाब देने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में परेशानी के और बढ़ने की संभावना है।
एनजीटी के नियम
एनजीटी के नियमों के अनुसार जिन वाहनों की मियाद पूरी हो चुकी है उनका संचालन एनसीआर में नहीं हो सकता है। डीजल वाहनों के लिए 10 साल और पेट्रोल वाहनों के लिए यह 15 साल है। ऐसे में लोग वाहनों को ऐसे 32 सूचीबद्ध जनपदों के लिए स्थानांतरित करा रहे हैं जहां इनका संचालन मान्य है। इस तरह पांच साल वाहन और चलाया जा सकता है।
यह बताया आरटीओ ने
इसके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता है। मेरठ में पिछले कई दिनों से री-रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है। यूरो वन वर्ष 2002 में ही बंद हो गए थे। इस श्रेणी के 20 साल पुराने वाहन काफी कम हैं। पर अन्य श्रेणी के वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन न होने से लोग परेशान हैं। इस संबंध में आरटीओ हिमेश कुमार तिवारी ने बताया कि उन्होंने सिर्फ यूरो वन वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाई है। एनजीटी ने यूरो वन को री-रजिस्टर्ड न करने का आदेश दे रखा है। वहीं, हकीकत यह है कि अधिकारियों के इस आदेश की आड़ में पटल पर अन्य श्रेणी के वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन का कार्य ही रोक दिया गया है।
मनमर्जी से चल रहा परिवहन कार्यालय
परिवहन विभाग में स्पष्ट नियम कायदा नहीं मनमानी चल रही है। पूर्व में मेरठ संभागीय परिवहन कार्यालय द्वारा एनजीटी के आदेशों का मखौल उड़ाते हुए 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को सीएनजी में परिवर्तित कर पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन बढ़ा दिया गया। अब इस पर रोक लगा दी गई है। पूर्व में इस मामले में मोटा खेल होने की बात सामने आ रही है। अधिकारियों द्वारा मिलीभगत कर वाहन स्वामियों के हितों से खिलवाड़ किया गया है।

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