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    बदला-बदला सा होगा सड़कों का नजारा, फूल-पत्थरों से होगी साज-सज्जा... फव्वारे बढ़ा रहे होंगे रौनक

    By Pradeep Diwedi Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Mon, 01 Dec 2025 12:49 PM (IST)

    मेरठ शहर की सड़कों को सुंदर बनाने के लिए कमिश्नर भानु चंद्र गोस्वामी ने लैंडस्केपिंग करने के निर्देश दिए हैं। सड़कों के किनारे पेड़-पौधे, फूल और फव्वारे लगाए जाएंगे। दीवारों पर वर्टिकल गार्डन बनाए जाएंगे और खाली जमीनों पर झरने व टापू का निर्माण किया जाएगा। मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) इस कार्य में वित्तीय सहयोग देगा, जिससे शहर की सुंदरता बढ़ेगी।

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    सड़कों के किनारे इस तरह से दिया जाएगा प्राकृतिक रूप। सौ. इंटरनेट

    जागरण संवाददाता, मेरठ। अब शहर की सड़कें धूल और कूड़े से मुक्त तो होंगी ही, सड़कों के किनारे प्राकृतिक छटा भी दिखाई देगी। प्राकृतिक रूप दिया जाएगा। इसमें पेड़-पौधों, फूलों, पत्थरों और फव्वारों के माध्यम से सुंदरता बढ़ाई जाएगी। सड़कों के किनारे ऊंचाई में मिट्टीभराव कर उसमें घास उगाई जाएगी। अभी तक डिवाइडर पर गमले रखकर या पौधे लगाकर ही सुंदरीकरण मान लिया जाता था, लेकिन अब प्रत्येक सड़क को लैंडस्केपिंग के तहत संवारा जाएगा।

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    हाल ही में कमिश्नर भानुचंद्र गोस्वामी ने निर्देश दिया था कि सभी सड़कों से नियमित रूप से कूड़ा उठे और संबंधित विभाग सड़कों की सफाई भी करें। उसी क्रम में अब यह भी निर्देश दिया गया है कि सड़कों के किनारे प्राकृतिक छटा यानी लैंडस्केपिंग पर भी ध्यान दें। इसके लिए वित्तीय सहयोग देने के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण मेडा को निर्देशित किया गया है। मेडा के सचिव आनंद कुमार सिंह ने बताया कि पीडब्ल्यूडी की विभिन्न सड़कों को प्रथम चरण में लिया जाएगा। उसके बाद अन्य प्रमुख सड़कों को शामिल किया जाएगा।

    अब शहर में दीवारों पर दिखेंगे वर्टिकल गार्डन
    मेडा कार्यालय की दीवार पर गमलों को टांगकर वर्टिकल गार्डन विकसित किया गया है। उसी तरह से अब शहर में विभिन्न स्थानों पर वर्टिकल गार्डन दिखाई देंगे। प्रमुख सड़कों को चिह्नित करके कुछ समय में यह कार्य किया जाएगा। इससे सड़क की सुंदरता बढ़ती है और यह पर्यावरण के लिए भी सहयोगी प्रयास रहता है।

    पत्थर रखकर बनेंगे टापू, छोटे-छोटे बनेंगे झरने
    विभिन्न सड़कों पर जहां पर सरकारी खाली जमीन होगी वहां पर छोटे-छोटे झरने बनाए जाएंगे। विभिन्न प्रकार के पत्थरों की सहायता से टापू बनाया जाएगा। उसमें प्रतिमाएं भी रखी जा सकती हैं। फूल पौधे भी रहेंगे। यह प्रयास भी प्राकृतिक छटा का अनुभव कराने का है।