120 देशों के सवा करोड़ छात्रों को ‘घर से दूर, एक घर’ दिलाया है मेरठ के सौरभ ने
मेरठ के सौरभ अरोड़ा को विदेश में पढ़ाई के दौरान वहां रहने में कठिनाई हुई। इस समस्या के समाधान को उन्होंने ‘यूनिवर्सिटी लिविंग’ नामक पोर्टल शुरू किया। दस साल पहले शुरू हुए इस प्लेटफार्म से अब तक दुनिया भर के 640 से अधिक शहरों की 65,000 संपत्तियां जुड़ चुकी हैं। इसके जरिए वे विदेश में छात्रों को उनके कालेज या विश्वविद्यालय के आसपास सुरक्षित आवास उपलब्ध करा रहे हैं।

यूनिवर्सिटी लिविंग के सह-संस्थापक व सीईओ सौरभ अरोड़ा। सौ. संस्था
जागरण संवाददाता, मेरठ। विदेश में पढ़ने का सपना हजारों भारतीय युवा पालते हैं। नई संस्कृति में ढलना, सुरक्षित आवास खोजना और घर से दूर जीवन बसाना आसान नहीं होता। मेरठ के सौरभ अरोड़ा भी अपने सपनों का संसार बुनने विदेश पहुंचे, जहां आवास खोजने में उभरी कठिनाई को अवसर में बदल दिया। दुनिया के छात्रों के लिए ‘घर से दूर, एक घर’ की अवधारणा को साकार किया।

120 देशों के छात्रों की मदद के लिए बनाया पोर्टल
सौरभ अरोड़ा ने 120 देशों से आने वाले छात्रों की मदद के लिए एक पोर्टल बनाया, जिसके जरिए वो अपने कालेज या विश्वविद्यालय के आसपास सुरक्षित आवास प्राप्त कर रहे हैं। उनका यह मंच ‘यूनिवर्सिटी लिविंग’ (University Living) है जिसके वह सह-संस्थापक और सीईओ हैं। 2015 में शुरू हुए इस प्लेटफार्म से महज 10 वर्षों में अब तक दुनिया भर के 640 से अधिक शहर, 5,500 से अधिक विश्वविद्यालय और 65,000 सुरक्षित संपत्तियां जुड़ चुकी हैं। यह प्लेटफार्म अब तक 1.20 कराेड़ छात्रों का सहारा बन चुका है।
सेंट मेरीज एकेडमी मेरठ से की 12वीं पास
सौरभ अरोड़ा ने 2003 में मेरठ के सेंट मेरीज एकेडमी से 12वीं उत्तीर्ण किया था। उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) से स्नातक किया। दो वर्ष तक इंफोसिस और इंडिया बुल्स में कार्य करने के बाद गुरुग्राम से एमबीए करने के दौरान एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए नाटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी यूके गए।
यूके में हुई आवास को लेकर दिक्कत
सौरभ ने बताया कि वहां सबसे बड़ी दिक्कत सुरक्षित आवास को लेकर हुई। मजबूरी में एक महीने होटल में रहने के दौरान मन में उपजे विचार को उसी तरह की समस्या का सामना कर रहे सह-संस्थापक मयंक माहेश्वरी से साझा किया।
उन्हें एहसास हुआ कि यह व्यक्तिगत नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है। दुनिया भर में केवल 15-16 प्रतिशत छात्रों को ही विश्वविद्यालयों के आवास मिल पाते हैं। विचार को विस्तार देते हुए दोनों आगे बढ़े तो यूनिवर्सिटी लिविंग की संकल्पना तैयार हुई।
महज आवास नहीं, अब यात्रा भी सुगम कर रहा प्लेटफार्म
यूनिवर्सिटी लिविंग प्लेटफार्म पर छात्र जिस भी यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने जा रहे हैं, उसके आस-पास के रहने लायक सुरक्षित घरों का विवरण देख व सुविधाएं देख संपर्क कर सकते हैं। यहां उन्हें अलग-अलग सुविधा के अनुरूप विभिन्न स्तर के किराए के घर खोजने में मदद मिलती है। अब इससे एक कदम आगे बढ़कर छात्रों को एक ही मोबाइल एप्लीकेशन पर फ्लाइट, वीजा सहायता, एयरपोर्ट ट्रांसफर, सिम कार्ड, इंश्योरेंस, फारेक्स और गारंटर सेवाएं भी मिल रही हैं।
कई देशों में कार्यरत हैं कंपनी के कर्मचारी
कंपनी में 300 से अधिक कर्मचारी भारत के अलावा यूके, यूएस, आस्ट्रेलिया, आयरलैंड और मलेशिया में कार्यरत हैं। सौरभ ने बताया कि उनकी कंपनी ने 2024 में यूके स्थित स्टूडेंट टेनेंट प्लेटफार्म का अधिग्रहण कर लिया जिससे उन्हें 10,000 अतिरिक्त बेड, 1,000 मकान मालिक और पांच लाख छात्रों तक पहुंच मिली। हाल ही में उनकी कंपनी ने यूनिनिस्ट माडल शुरू किया।
विश्वास, पारदर्शिता व सुरक्षा बनी पहचान
लालकुर्ती में विजय सेफ के संचालक विजय कुमार अरोड़ा के पुत्र सौरभ अब नोएडा में रहते हैं और मेरठ आते-जाते रहते हैं। उनका लंदन में कार्यालय है और दुबई की नागरिकता भी मिली है। सौरभ ने बताया कि शुरुआती दिनों में सहीं घरों और लोगों का चयन करना और विद्यार्थियों में विश्वास, पारदर्शिता और सुरक्षा को अपनी पहचान बनाने में कठिनाई तो हुई, समय भी लगा लेकिन वह भरोसा कायम हो सका।

कई मंचों से मिली सराहना
बताया कि हाल में में शुरू हुई दो करोड़ की ग्लोबल स्कालरशिप प्रोग्राम में मेधावी और मेहनती छात्रों को आवास लागत में राहत प्रदान की जा रही है। यूनिवर्सिटी लिविंग को इकोनोमिक टाइम्स पावर आफ आइडियाज, फोर्ब्स, सीएनबीसी और बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे मंचों पर भी सराहना मिल चुकी है। सौरभ का कहना है कि, वह केवल आवास नहीं देते, छात्र की पूरी यात्रा आसान बनाते हैं। सौरभ पत्नी भावना व बेटी फेथ के साथ नोएडा में रहते हैं।
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