Meerut Rain: ...तो इसलिए हर बार भारी बरसात में डूब जाता है मेरठ, पता चल गई अंदर की बात
मेरठ में हर बारिश में जलभराव की समस्या होती है जिसका मुख्य कारण नालों की सफाई न होना और जल निकासी की उचित व्यवस्था न होना है। आर्किटेक्ट और सिविल इंजीनियरों के अनुसार नालों से अतिक्रमण न हटाना सिल्ट की सफाई न करना और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कम क्षमता भी जलभराव के कारण हैं। जल निकासी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। जब भी भारी बरसात होती है शहर डूबने-उतराने लगता है। हर बार इस समस्या से लोग परेशान होते हैं लेकिन समय बीतने के साथ-साथ मूल समस्या को हल करने के प्रयास शांत हो जाते हैं। दावा तो हर बार होता है कि अगली बार जलभराव की नौबत नहीं आएगी लेकिन फिर वही होता है जिसका डर सताता रहता है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जल निकासी ही नहीं हो पाती। शहर का पानी अंदर ही घूमता रहता है। नाले का पानी उल्टा नालियों में पहुंच जाता है फिर वहां से सड़कों और घरों तक पहुंच जाता है।
आर्किटेक्ट जागेश कुमार, अंकित अग्रवाल व सिविल इंजीनियर वीके सिंह से इस बाबत बातचीत हुई। उनसे जल भराव के ये हैं मुख्य कारण व उसके निस्तारण पर बातचीत की गई। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के ये मुख्य कारण व निवरण
जल भराव के ये हैं मुख्य कारण
-नाले मानसून आने से पहले साफ नहीं हो पाते। सभी नाले काली नदी में जाते हैं, फिर भी उस मुहाने के पास भी सफाई नहीं होती।
-सभी पुलिया के पास बाटलनेक है, उसकी विधिवत सफाई नहीं होती। नालियों का अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा है।
-नालों की सिल्ट सफाई के बाद सिल्ट वहीं छोड़ दी जाती है इससे वापस वही सिल्ट नाले व नालियों में पहुंच जाती है।
-कूड़ा गाड़ी एक ही बार कूड़ा उठाने आती है, जबकि कम से कम तीन बार उठाना चाहिए ताकि नाले में कूड़ा न डाला जाए। नालों में कूड़ा डालने से नहीं रोका जा रहा है।
-नाले की ऊंचाई और गहराई समान नहीं है। यही नहीं बड़े नालों में मिलने वाले कई छोटे नालों का ढलान नीचे है।
-सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्धारित क्षमता से कम से कम 80 प्रतिशत संचालित होना चाहिए जबकि शहर में आधी से कम क्षमता से संचालित हो रहे हैं। इससे सीवरेज का बहाव नहीं हो पाता।
-जहां जल भराव हमेशा होता है वहां पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट व तूफानी जल निकासी प्रणाली विकसित करनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
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