आमजन की छोड़िये... सांसद-विधायकों की भी नहीं सुन रहे अधिकारी
मेरठ जिले में अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों की शिकायतों पर कार्रवाई न करने का मामला सामने आया है। जनवरी 2024 से सांसदों और विधायकों के 38 मामले लंबित हैं, जिन पर 15 विभागों के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है। जिला प्रशासन ने अब अधिकारियों को रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी ने कहा कि लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

मेरठ जिले में अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों की शिकायतों पर कार्रवाई न करने का मामला सामने आया है। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, मेरठ। जनपद में आम जनता की आइजीआरएस से प्राप्त होने वाली शिकायतों के समाधान की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। सांसदों और विधायकों की ओर से भेजी गई समस्याओं और लोगों की शिकायतों पर भी अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। माननीयों के भेजे गए कुल 38 मामले जनवरी 2024 (22 महीने से अधिक समय) से लंबित हैं। 15 विभागों के अधिकारियों ने उन पर न तो कार्रवाई की और न ही माननीयों को इनके निस्तारण के संबंध में कोई सूचना भेजी।
अब त्रैमासिक समीक्षा का समय आया है तो जिला प्रशासन में खलबली मची है। सभी अधिकारियों को समाधान करके रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया गया है। कुल 38 मामले सामने आए हैं जो सभी एडीएम, सभी एसडीएम, शस्त्र प्रभारी अधिकारी, एआइजी स्टांप, एक्सईएन पावर कारपोरेशन, परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास, डीएसओ, एक्सईएन गंग नहर, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी, सहायक निबंधक सहकारिता, मुख्य अभियंता पावर कारपोरेशन, प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी समेत कुल 15 अधिकारियों के स्तर पर लंबित हैं। सभी को पत्र भेजकर तत्काल प्रकरण का निस्तारण करके रिपोर्ट मांगी गई है।
किसके कितने प्रकरण हैं लंबित
16: लक्ष्मीकांत बाजपेयी (राज्यसभा सदस्य)
13: अरुण गोविल (सांसद)
02: राजेंद्र अग्रवाल (पूर्व सांसद)
02: हरेंद्र मलिक (सांसद)
01: दिनेश गोयल एमएलसी (शिक्षक)
03: अतुल प्रधान (विधायक सरधना)
01: शाहिद मंजूर (विधायक किठौर)
शासन को भेजी जाएगी रिपोर्ट
माननीयों के पत्रों, दिशा निर्देशों पर कार्रवाई न करने वाले अधिकारी कार्रवाई के दायरे में हैं। यदि किसी कार्य को करने में कानूनी या तकनीकी समस्या है तो उसकी जानकारी अधिकारियों तो तत्काल संबंधित जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध करानी चाहिए। समस्या यह है कि अधिकारी न तो कार्रवाई करते हैं और न ही जवाब देते हैं। ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।-डा. वीके सिंह, जिलाधिकारी
लंबित प्रमुख मामले
1. पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने 8 जनवरी 2024 को रजपुरा विकास खंड के राली चौहान गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय से हाईटेंशन लाइन हटवाने का आदेश दिया था। प्रकरण एक्सईएन पावर कारपोरेशन के स्तर पर लंबित हैं।
2. पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने 17 फरवरी 2024 को पत्र भेजकर खरखौदा विकास खंड के गांव नालपुर में प्रस्तावित स्टेडियम की जमीन की पैमाइश का आदेश दिया था। प्रकरण एसडीएम सदर के स्तर पर लंबित है।
3. राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी ने 5 अप्रैल 2025 को पत्र भेजकर फिटजी सेंटर के विरुद्ध कार्रवाई के लिए कहा था। मामला एडीएम सिटी और सिटी मजिस्ट्रेट के स्तर पर लंबित है।
4. राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी ने 8 अप्रैल 2025 को बड़े बढ़े विभागों द्वारा करोड़ों का बजट खर्च न कर पाने की सूचना पर जवाब मांगा था। सीडीओ के स्तर से इस संबंध में आज तक जवाब नहीं दिया गया।
5. राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी ने 22 अप्रैल 2025 को आरजीपीजी कालेज को सांसद निधि से 15 कंप्यूटर और तीन प्रिंटर दिलाने का आदेश दिया था। प्रकरण सीडीओ स्तर पर आज भी लंबित है।
6. राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी ने एक सितंबर 2025 को कारगिल में बलिदान हुए अनिल कुमार की पत्नी वीर नारी को कृषि भूमि आवंटन का आदेश दिया था। यह प्रकरण नगर आयुक्त के स्तर पर लंबित है।
7. सांसद अरुण गोविल ने 28 जनवरी 2025 को परतापुर से दौराला तक रैपिड और मेरठ मेट्रो रेल लाइन के नीचे के स्थान में पार्किंग की व्यवस्था कराने का सुझाव दिया था। यह प्रकरण भी आज तक नगर आयुक्त के पास लंबित है।

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