यूपी में मिलता है शुगर फ्री आम, यहां है आमों की अनोखी दुनिया; 9 प्रजातियां जो मुंह में घोल देंगी रस
मेरठ के किठौर में आम की कई अनोखी किस्में मिलती हैं जिनमें गुलाब जामुन और शुगर फ्री आम शामिल हैं। शाहजहांपुर फलपट्टी क्षेत्र ने कई नई प्रजातियां विकसित की हैं जिनमें से कुछ 12 महीने फल देती हैं। एक पेड़ पर 24 नस्लें उगाई जाती हैं। आम की गुठलियों का उपयोग सौंदर्य उत्पादों में होता है और आम स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

केशव कंसल, किठौर। आम का असली स्वाद चखना हो तो चले आइए मेरठ के किठौर। यहां किठौर के शाहजहांपुर फलपट्टी क्षेत्र में आम की तमाम ऐसी नस्लें हैं, जिनका नाम लेते ही मुंह में रस घुल जाता है। कोई आम गुलाब की खुशबू बिखेरता है, तो कोई शुगर फ्री होने की खासियत रखता है।
आंकड़ों पर गौर करें तो आम की कुल 375 प्रजातियों में से नौ अकेले शाहजहांपुर ने इजाद की हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती यहां एक ही पेड़ परआम की 24 प्रजातियां कलमबद्ध की हुई है। यहां नर्सरी में बारह माह आम का फल देने वाला भी पेड़ मौजूद है।
शाहजहांपुर आम-ओ-खास है गुलाब जामुन
125 वर्ष पूर्व शाहजहांपुर द्वारा इजात किया आम गुलाब जामुन अपनी मिठास से देशभर में सुर्खियां बटोर रहे हैं। गुलाब जामुन का यह गोलमटोल आम बेहद रसीला,मोटा व गुदेदार व ऊपर से लाल होता है। मौहम्मद यूनुस खांन, मुमताज पठान ने बताया गया कि शाहजहांपुर में गुलाब की क्यारी के बीच निजात हुए इस आम का नाम गुलाब जामुन रखा गया।
अंग्रेजों को भी यह आम बेहद पसंद था। लगभग 1926 में सरावनी के भैया जी (बुचड़ वाले) व लाला जी पत्थर वालों ने गुलाब जामुन की निजात की। शाहजहांपुर की मार्डन नर्सरी में इसकी पैदावार बढ़ाकर इस आम को प्रसिद्ध किया। पिछले वर्ष ही लखनऊ में आयोजित मैंगो महोत्सव में नफीस खांन के पुत्र मुस्तफीज खांन को गुलाबजामुन व रामकेला आम के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी द्वारा प्रथम पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था।
शाहजहांपुर द्वारा तैयार आम की प्रजाती
- आमन नफीस-हाफिज नफीस खांन द्वारा निजात शुगरफ्री आम को लगभग 50 वर्ष पूर्व तैयार किया गया था। देखने में खुबसूरत यह आम बेहद जायकेदार है। देखने में ये आम दशहरी जैसा लगता है।
- वजाहत पसंद-1967 में तैयार महरूम वजाहत ने इसे तैयार किया। इसकी खासियत यह है कि आंधी में भी यह नहीं टूटता। इसे चूसकर और काटकर खा सकते हैं।
- हबीब पसंद-ये आम हबीब खांन द्वारा तैयार किया गया था। यह आम गुच्छे में फलता है और रसीला होता है।
- रोगनी जर्दा- रूहउल्ला खां द्वारा तैयार इस प्रजाति के आम की खासियत यह है कि यह आम पकने बाद भी 15 दिन तक नहीं सड़ता।
- वलियम बम्बई- अचार के लिए प्रसिद्ध इस आम को समद उल्ला खां ने निजात किया।
- बम्बई बदैया, इल्हाम पसंद उर्फ पछैता लंगड़ा, आबिद पसंद -बागवानी का शौक रखने वाले बाबु जी इल्हाम उल्ला खां ने तीन प्रजातियों के आम को निजात किया। बम्बई बदैया व आबिद पसंद को अक्तूबर तक रोका जा सकता है।
- इसके अलावा यहां दसहरी, चौसा, लंगड़ा, रामकैला की अधिक पैदावार है।
पूरे साल आम देता है ये पेड़
एवरग्रीन नर्सरी के मालिक नदीम खां ने बताया कि उनके यहां थाईलैंड से लाया गया कटीमोन प्रजाति का आम का पेड़ है। जोकि 12 माह फल देता है। इसका आम काफी बड़ा,रसीला व फैलावदार होता है। दो वर्ष पूर्व पेड़ की कलम लाकर उन्होंने शाहजहांपुर नर्सरी में लगाई थी। जिसकर अब फल आने लगे है।
एक ही पेड़ पर 24 नस्लें, देता है एक क्विंटल आम
नदीम खां द्वारा घर के आंगन में एक पेड़ ऐसा भी लगाया है। जिसपर आम की 24 नस्लें एक साथ तैयार होती है। नौ वर्ष के पेड़ पर देशी-विदेशी सहित गुलाबजामुन, लंगड़ा, चौसा, दशहरी, बम्बइ बदैया, हुस्नआरा, हैमसागर, रटौल, अलफैंजों, सुंदरी, फिरदौसियां सहित 24 नस्लें एक ही पेड़ पर आती है।
यह पेड़ एक वर्ष छोड़कर लगभग एक क्विंतल फल देता है। उन्होंने बताया कि उन्हें ये प्रेरणा एक ही पेड़ पर 300 आम की नस्लें निजात करने वाले मलिहाबाद के मैंगो मैन व पदमश्री पदक से पुरुस्कृत कलिमुल्ला खां से मिली।
आम के आम-गुठलियों के दाम
कृषि वैज्ञानिक आमिर उल्ला खां बताते हैं कि पिछले दिनों जापानी महिला यूनी म्युज़िमा शाहजहांपुर की राजधानी नर्सरी में आई थीं। उन्होंने जानकारी दी थी कि आम की गुठलियों को महंगे दामों पर बेचा जा सकता है। गुठलियों से पाउडर तैयार किया जाता है, जो चेहरे की सुंदरता बढ़ाने में काम आता है। विदेशों में आम की गुठली से चॉकलेट एक्लयेर (चाकलेट क्रीम) भी तैयार की जा रही है।
मौसम के बचाव से सुरक्षा कवच में पैक हो रहे आम
मौसमी फलों का राजा कहलाए जाने वाले आम भी अब सुरक्षा कवच में रहेगा। पेड़ों पर आ रहे आम को कवच में वाटर प्रूफ थैली में पैक किया जा रहा है। इससे आम पूरी तरह सुरक्षित रहने के साथ उसकी गुणवत्ता और सूरत में भी किसी प्रकार का कोई बदलाव संभव नहीं हो पाएगा।
अयाज खांन बताया कि सुरक्षा कवच के तहत पेड़ों पर लगे आम वाटर प्रूफ थैली लगाई जाती है इस थैली पर मजदूरी समेत करीब ₹3 प्रति आम की रकम खर्च होते हैं। परंतु आम की बिक्री फल मंडी में सामान्य आम की तुलना से ₹40 किलो अधिक मिलती है। सुरक्षा कवच में रहने वाले आम पर आंतरिक तौर पर कोई संक्रमण नहीं होता। इसके चलते आम की डिमांड दिल्ली,राजस्थान, महाराष्ट्र, बेंगलुरु, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, मेरठ, गुरुग्राम समेत महानगरों में रहती है।
1994 में शाहजहांपुर हुआ फलपट्टी घोषित
शाहजहांपुर का इतिहास आम के लिए काफी पुराना है। लेकिन 1994 में मैंगो फेस्टीवल में इसे एग्रीकल्चर प्लानिंग कमीशन के तत्कालिन सैकेट्री जगमोहन लाल बजाज द्वारा शाहजहांपुर को फलपट्टी घोषित किया गया था। डा0मौहम्मद यूसुफ खांन ने बताया कि इसके बाद वर्ष 1995 में तत्कालिन जिलाधिकारी दीपक सिंघल द्वारा शाहजहांपुर में ट्रनिंग सैंटर खोला गया था। जिसमें 15-15 लोगों को सप्ताहवार ट्रैनिंग दी जाती थी। इसके लिए ट्रैनिंग लेने वाले बागवानों को 600 रुपए प्रतिमाह पगार भी दी जाती थी।
आम खाने के फायदे
डा0यूसुफ खांन ने बताया कि आम में भरपूर न्यूटीशन के साथ, विटामीन, फाइवर व बिकौम्पलैक्स, कैलशियम होता है। आम को पानी में थोड़ी देर भिगोकर रखने के बाद खाना चाहिए। आम कभी नुकसान नहीं देता।
- -आम के रस में सैंधनमक व चीनी मिलाकर पीने से भूख बढ़ती है।
- -कच्चे आम कैरी का शर्बत पन्ना बनाकर पीने से लू तथा बैचैनी में कमी आती है।
- -प्रतिदिन आम खाने से किडनी की दुर्बलता दूर हो जाती है।
- -10 मिलीमीटर आम के रस को शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से लीवर का बढ़ना रोग ठीक होता है।
- -त्वच के लाभदायक
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