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    कौन हैं सुधांशु शेखर ? जिन्हें 10 लाख डाॅलर के ग्लोबल टीचर प्राइज के लिए किया गया है नाॅमिनेट

    By Amit Tiwari Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Tue, 16 Dec 2025 03:12 PM (IST)

    मेरठ के केएल इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल सुधांशु शेखर पांडा को ग्लोबल टीचर प्राइज 2026 के लिए दुनिया भर के शीर्ष 50 शिक्षकों में चुना गया है। वह अपनी ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, मेरठ। ग्लोबल टीचर प्राइज 2026 के लिए दुनिया भर से चयनित शीर्ष 50 शिक्षकों में भारत के तीन शिक्षक शामिल किए गए हैं। ये सभी अपनी दूरदर्शी और नवोन्मेषी शिक्षण पहलों से समाज पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं। इनमें मेरठ के केएल इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल व सीबीएसई के सिटी कोआर्डिनेटर सुधांशु शेखर पांडा भी शामिल हैं।

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    इनके अलावा देश से चयनित दो अन्य शिक्षकों में जम्मू और कश्मीर के शिक्षक मेहराज खुर्शीद मलिक और देशभर में झुग्गी-झोपड़ियों और ग्रामीण समुदायों में शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत रूबल नागी इस वार्षिक पुरस्कार के लिए दावेदार हैं। ब्रिटेन स्थित वर्की फाउंडेशन की ओर से संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सहयोग से आयोजित जीईएमएस एजुकेशन की इस वैश्विक प्रतियोगिता के 10वें संस्करण के लिए 139 देशों से 5,000 से अधिक नामांकन प्राप्त हुए।

    ग्लोबल टीचर प्राइज के भारतीय मूल के संस्थापक सनी वर्की ने भारतीय नामांकित व्यक्तियों के बारे में कहा, ग्लोबल टीचर प्राइज की स्थापना एक सरल उद्देश्य के साथ की गई थी। आप जैसे शिक्षकों को प्रकाश में लाना। ऐसे शिक्षाविद् जिनकी लगन, रचनात्मकता और करुणा का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें दुनिया के साथ साझा किया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि शिक्षक दिमाग को आकार देते हैं, आत्मविश्वास जगाते हैं और वे द्वार खोलते हैं जिनके माध्यम से युवा अपने और दूसरों के लिए उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते हैं। आपका काम कक्षा तक ही सीमित नहीं है। यह जिंदगियों को प्रभावित करता है और दुनिया को आकार देता है।

    साझा की फाइनलिस्टों की सूची

    ग्लोबल टीचर्स प्राइज की वेबसाइट पर सभी शिक्षकों की पूरी प्रोफाइल तस्वीर के साथ साझा की गई है जिससे दुनिया भर के लोग इन शिक्षकों के योगदान को जान सकें। सुधांशु शेखर पांडा की शिक्षा यात्रा संघर्ष से शुरू होकर नवाचार, सेवा और परिवर्तनकारी प्रभाव से परिभाषित एक असाधारण करियर में विकसित हुई।
    18 वर्ष की आयु में पिता के निधन के बाद परिवार का सहारा बनने के लिए उन्होंने शिक्षण को अपनाया। यह शुरुआत एक आवश्यकता थी, जो आगे चलकर उनका आजीवन संकल्प बन गई।

    सुधांशु विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों की विविधता को चुनौती नहीं, बल्कि समावेशी और सशक्त कक्षाएं बनाने के अवसर के रूप में देखते हैं। उनकी कक्षाएं शैक्षणिक कठोरता के साथ-साथ रचनात्मकता, मूल्य शिक्षा, योग, ध्यान और भावनात्मक कल्याण को भी समान महत्व देती हैं।
    परिणामस्वरूप उनके विद्यार्थियों ने निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। अर्थशास्त्र में 100% परिणाम, पूर्ण अंक, शहर व जिला स्तर के अनेक टापर और सीबीएसई कक्षा 10वीं व 12वीं में आल इंडिया रैंक मिले, जिनमें एआईआर-1 भी शामिल है।

    सामाजिक उत्थान से वैश्विक पहचान तक

    सुधांशु का प्रभाव केवल उनकी कक्षा तक सीमित नहीं है। सीबीएसई के जिला प्रशिक्षण समन्वयक और लीड सिटी कोआर्डिनेटर के रूप में उन्होंने चार जिलों में 6,000 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, अनुभवात्मक शिक्षण, समावेशी अभ्यास, तकनीक का समावेशन, शिक्षक कल्याण और मूल्यांकन पर उनके कार्यशालाओं ने पूरे क्षेत्र में शिक्षण की गुणवत्ता को ऊंचा उठाया है।
    विद्यालयों में वैश्विक दृष्टिकोण के अग्रदूत के रूप में सुधांशु ने आस्ट्रेलिया और अमेरिका की संस्थाओं के साथ अंतरराष्ट्रीय छात्र विनिमय कार्यक्रम शुरू किए।

    इन कार्यक्रमों के माध्यम से स्थिरता, सांस्कृतिक विविधता और वैश्विक नागरिकता पर संयुक्त कार्य को बढ़ावा मिला। उन्होंने टेरा क्यूरा इंक. (मैसाचुसेट्स) और मैरियन इंस्टिट्यूट (अमेरिका) के साथ शिक्षक विनिमय कार्यक्रम भी संचालित किए, जिससे वैश्विक श्रेष्ठ शिक्षण पद्धतियां भारतीय कक्षाओं तक पहुंचीं।
    उनके विद्यार्थियों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भाग लिया, स्थिरता आडिट किए और वैश्विक शोध पहलों के लिए सम्मान प्राप्त किया। सामुदायिक उत्थान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में उन्होंने ‘फुहार’ नामक पहल की स्थापना की, जो वर्षों से निराश्रित परिवारों की सहायता कर रही है। मेरठ बाल गृह के बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं।

    उन्होंने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए ‘दिशा’ और सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए ‘सेवा’ जैसे कार्यक्रम प्रारंभ किए। कोविड-19 महामारी के दौरान ‘स्टूडोमैट्रिक्स सहायता केंद्र’ के माध्यम से, विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी से, सैकड़ों परिवारों को भोजन, परामर्श और शैक्षणिक निरंतरता उपलब्ध कराई गई।

    बनाएंगे शैक्षणिक उत्कृष्टता केंद्र 

    यदि सुधांशु शेखर को ग्लोबल टीचर प्राइज मिलता है, तो वह एक ‘शैक्षिक उत्कृष्टता केंद्र’ की स्थापना करेंगे। साथ ही देश-भर में शिक्षक प्रशिक्षण के विस्तार, सामुदायिक कार्यक्रमों के विस्तार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को व्यापक बनाने की योजना को आगे बढ़ाना चाहेंगे, ताकि भारतीय शिक्षा में दीर्घकालिक और प्रणालीगत परिवर्तन संभव हो सके।