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    साइबर अपराधियों के खाते में ट्रांसफर नौ करोड़ सीज, इस धन को लेकर अब क्‍या होगी कार्रवाई

    By Lokesh Sharma Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Mon, 15 Dec 2025 06:20 AM (IST)

    मेरठ पुलिस ने साइबर अपराधों पर कार्रवाई करते हुए साइबर अपराधियों के 290 खातों से 9 करोड़ रुपये सीज किए हैं। पुलिस ने ठगी में इस्तेमाल किए गए 2001 संदि ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, मेरठ। बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए पुलिस ने कार्रवाई व सतर्कता का दायरा बढ़ाया है। मेरठ रेंज ने इसमें बड़ी कार्रवाई की है। साइबर अपराधियों के 290 ऐसे खातों व उनमें मौजूद नौ करोड़ की धनराशि को सीज किया गया। इस राशि को पीड़ितों को नियमानुसार वापस करने की कार्रवाई की जा रही है।

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    ठगी में प्रयुक्त व चिंहित संदिग्ध 2001 नंबर व 259 आइएमइआइ को ब्लाक कराया गया। डीआइजी ने रेंज के सभी जिला पुलिस प्रमुखों को आदेश दिए कि साइबर अपराध की सूचना पर तत्काल प्रभावी कार्रवाई कर नेटवर्क तक पहुंचने का प्रयास करें।
    डीआइजी कलानिधि नैथानी ने बताया कि एक मार्च 25 से सात दिसंबर 25 तक साइबर ठगी के मामलों में एनसीआरपी पोर्टल पर दर्ज शिकायत के आधार पर मेरठ में 785, बुलंदशहर 777, बागपत 153, हापुड़ 286 नंबर बंद किए गए। इसके अलावा संदिग्ध आइएमइआइ मेरठ में 55, बुलंदशहर 83, बागपत 42 व हापुड़ 79 ब्लाक की गई। प्रतिबिम्ब पोर्टल पर प्रदर्शित संदिग्ध मोबाइल नंबरों में मेरठ में 415, बुलंदशहर 130, बागपत 76 व हापुड़ में 140 के खिलाफ कार्रवाई की गई।

    ठगी में प्रयुक्त 1286 खाते भी सीज किए गए। इन खातों को साइबर ठग अवैध रूप से अर्जित धन को वैध दिखाने में प्रयुक्त करते थे। इनमें मेरठ में 733, बुलंदशहर 56, बागपत 430 व हापुड़ में 67 खाते हैं। मेरठ में मेरठ में पांच करोड़, बुलंदशहर 3 करोड़, बागपत 85 लाख व हापुड़ ने 1.6 करोड़ रुपया बरामद किया गया। पांच लाख से धनराशि के 90 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा मेरठ में 4086, बुलंदशहर 2567, बागपत 577 व हापुड़ में 575 मामले निस्तारित किए गए।

    इसके अलावा 1814 साइबर जागरूकता कार्यक्रम किए गए। डीआइजी ने म्यूल बैंक खातों को चिंहित होते ही तत्काल फ्रीज कराए। साइबर सेल, थाना में नियुक्त अधिकारी व कर्मचारियों को साइबर की जानकारी से लगातार अपडेट किया जाए। प्रकाश में आए गैंग, काल सेंटर, मोबाइल नंबर व उससे जुड़े लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। न्यायालय का आदेश लेकर जब्त राशि पीड़ितों को वापस की जाए।

    साइबर अपराधियों के लिंक तक पहुंचने का प्रयास किया जाए। प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को साइबर टीम स्कूल, बस स्टैंड व ग्रामों में जाकर लोगों का जागरूक करें। फ्राड करने के तरीकों से उन्हें अवगत कराए। साइबर ठगों की अपनाई जा रही तकनीक व तरीकों की लगातार जानकारी देकर बचाव के रास्ते बताए जाए।