कूड़ा निस्तारण न होने पर निगम पर लगा 5 करोड़ जुर्माना, एनजीटी कोर्ट ने DM को दिया वसूली का आदेश
मेरठ के लोहिया नगर में कूड़ा निस्तारण न होने पर एनजीटी कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने पूर्व में लगाए गए 5 करोड़ के पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति दंड की वसूली का आदेश डीएम को दिया है क्योंकि नगर निगम ने अभी तक राशि जमा नहीं की है। कोर्ट ने कूड़ा उत्सर्जन और निस्तारण में अंतर माना और नगर आयुक्त को कूड़ा निस्तारण पर शपथपत्र पेश करने का आदेश दिया है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। लोहिया नगर में डंप कूड़े का निस्तारण न होने के मामले की सुनवाई बीते सोमवार को एनजीटी कोर्ट ने की। जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव चेयरपर्सन की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कड़ी नाराजगी जताई है।
पूर्व में उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नगर निगम पर पांच करोड़ रुपये का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति दंड लगाया था। इसकी वसूली का आदेश डीएम को दिया है। राज्य सरकार को इस संबंध में छह सप्ताह में कार्रवाई प्रतिवेदन दाखिल करने को कहा गया है।
एनजीटी कोर्ट में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से अधिवक्ता ने जानकारी दी है कि नगर निगम पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि अभी तक जमा नहीं की है। उक्त राशि की वसूली के लिए वसूली प्रमाण पत्र (आरसी) जारी किया गया है।
एनजीटी कोर्ट ने कहा कि आरसी के अनुपालन में उक्त राशि की वसूली के लिए की गई कार्रवाई की स्थिति जिलाधिकारी मेरठ स्पष्ट करें। कोर्ट ने ये भी माना कि कूड़ा उत्सर्जन और निस्तारण में बड़ा गैप है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने रिकार्ड पर उपलब्ध प्रतिवेदनों का हवाला देते हुए कहा कि लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड में डाले जा रहे नगर ठोस अपशिष्ट के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। नगर निगम क्षेत्र में प्रतिदिन 900 मीट्रिक टन अपशिष्ट उत्पन्न होता है।
इस प्रकार, एक वर्ष में 3,28,000 मीट्रिक टन अपशिष्ट होता है और पिछले 13 वर्षों कूड़ा डंप हो रहा है। एनजीटी कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगली सुनवाई में नगर आयुक्त उपस्थित होकर कूड़ा निस्तारण के संबंध में तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करें। पूरे विवरण सहित शपथपत्र छह सप्ताह के भीतर दाखिल करने का आदेश भी दिया है।
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