यूपी के इस जिले में 10 घंटे तक बंदर रहा अपार्टमेंट के अंदर, वन विभाग व नगर निगम ने किया सरेंडर, दहशत में रहे परिवार
Meerut News : मेरठ में एक बंदर अपार्टमेंट में घुस गया, 10 घंटे तक परिवार दहशत में रहे।सीढ़ियों पर बैठे रहने से लोगों के आने-जाने का रास्ता रुक गया। बंदर घायल था। वन विभाग की ओर से कहा गया कि बंदर वन्य जीव नहीं है, हम इसे नहीं पकड़ सकते। नगर निगम ने भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।

मेरठ के सनव्यू अपार्टमेंट में सीढ़ियों के पास बैठा घायल बंदर। सौ. स्थानीय निवासी
जागरण संवाददाता, मेरठ। साकेत कालोनी के सनव्यू अपार्टमेंट में सीढ़ियों में पहुंचे घायल बंदर की घुड़की से लोग 10 घंटे तक दशहत में रहे, लेकिन वन विभाग और नगर निगम का नकारापन भी सामने आ गया।
अपार्टमेंट में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब सीढ़ियों पर एक घायल बंदर पहुंच गया। बच्चे डर से घरों में घुस गए। बड़े भी दहशत में आ गए। लोगों ने पहले वन विभाग को और फिर नगर निगम को फोन किया, लेकिन दोनों ने बंदर को पकड़ने से साफ इन्कार कर दिया। वन विभाग ने तर्क दिया कि बंदर वन्य जीव नहीं है, हम नहीं पकड़ सकते। नगर निगम ने भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। लोगों ने प्राइवेट टीम बुलाकर बंदर को पकड़वाया। टीम में दो लड़कियां भी शामिल रहीं। लोगों का कहना था कि यह तो बंदर था, अगर यहां तेंदुआ आ गया होता तो क्या होता?
सनव्यू अपार्टमेंट में 15 परिवार रहते हैं, जिनमें 20 से अधिक बच्चे हैं। शुक्रवार सुबह नौ बजे एक घायल बंदर अपार्टमेंट की सीढ़ियों पर बैठ गया। इससे लोगों के आने-जाने का रास्ता रुक गया। बंदर घायल था। वह एक कोने में बैठ गया, लेकिन जब भी उसके पास कोई जाता तो वह काटने के लिए दौड़ता।
अपार्टमेंट निवासी विकास शर्मा ने बताया कि उन्होंने डीएफओ वंदना फोगाट को फोन किया, लेकिन मदद से इन्कार कर दिया। नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को फोन किया तो यहां से भी मना कर दिया गया। पूरे दिन परिवार दहशत में रहे, लेकिन अधिकारी पल्ला झाड़ते रहे। देर शाम करीब सात बजे डीएम के आदेश पर नगर निगम व वन विभाग की टीम गई लेकिन उससे पहले ही कालोनी के लोगों ने तरविंदर सिंह को बुला लिया था।
तरविंदर ने अपूर्वा बाधवा और अदिति के साथ मिलकर बंदर पकड़ लिया था। टीम उसे बेगमबाग में डा. परवेज अहमद के क्लीनिक पर ले गई, जहां बंदर का प्राथमिक उपचार कराकर अपूर्वा अपने साकेत स्थित आवास पर ले गईं। 10 दिन तक बंदर का इलाज चलेगा। बंदर पिंजरे में है। अपार्टमेंट के लोगों का कहना था वन विभाग और नगर निगम के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचते रहे। मजबूरन उन्हें प्राइवेट टीम का सहारा लेना पड़ा।
इनकी सुनिए...
प्रभागीय निदेशक वानिकी वंदना फोगाट ने कहा कि बंदर पकड़ने का काम वन विभाग का नहीं है। यह वन्य जीव नहीं है। यदि वन्य जीव होता तो हमारी टीम बंदर को पकड़कर वन क्षेत्र में छोड़ती।
नगर आयुक्त सौरभ गंगवार के अनुसार बंदर पकड़ने के लिए अभी निगम के पास संसाधन नहीं हैं। वैसे भी घायल बंदर के इलाज का काम पशु चिकित्सा विभाग का है।
डीएम डा. वीके सिंह ने बताया कि नगर निगम व वन विभाग की टीम को भेजा गया था। उससे पहले ही प्राइवेट टीम ने बंदर को पकड़ लिया था। दोनों विभागों के साथ शीघ्र बैठक होगी, ताकि भविष्य में इस तरह का प्रकरण आए तो तत्काल कार्यवाही हो सके।
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