त्योहारी सीजन में ऐसे करें नकली और असली मावे की पहचान, नहीं तो सेहत पर पड़ेगा भारी
Fake Mawa अब दीपावली का सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में मावा का प्रयोग भी काफी बढ़ जाता है। नकली मावा सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है। असली मावे के पहचान के बाद उपयोग में लाना चाहिए। बागपत में 11 कुंतल सिंथेटिक मावा पकड़ा गया था।

मेरठ, ऑनलाइन डेस्क। Meerut News त्योहारी सीजन में मावा (खोया) की डिमांड बढ़ जाती है। मिठाइयों के अलावा भी इसका उपयोग कई प्रकार की चीजों के बनाने में होता है। ऐसे में असली और नकली मावे की पहचान बेहद जरूरी हो जाता है। मिठाई की दुकानों के अलावा घरों में मावे का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है।
11 कुंतल सिंथेटिक मावा
इस बीच बागपत में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने छापामारी कर 11 कुंतल सिंथेटिक मावा पकड़कर नष्ट कराया। इसके पांच नमूने लिए गए है, जिनकी लैब में जांच कराई जाएगी। दीपावली के आसपास नकली मावे का कारोबार कई गुना बढ़ जाता है।
असल नकली मावे को ऐसे पहचानें
- अगर मावा असली है तो वह एक दम मुलायम व नर्म दिखेगा।
- मावा खाने पर मुंह में चिपके तो इसका मतलब मावा नकली है।
- नकली मावे की लोइयां फटने लगाती है।
- मावा खाने में कच्चे दूध का टेस्ट दें तो असली है।
- नकली खोए में चीनी मिलाकर गर्म करतें है तो मावा पानी छोड़ने लगाता है।
तीन प्रकार के मावा
बट्टी खोया (Batti Mawa) यह खोया (mawa) काफी कड़ा, जमा हुआ रहता है।
चिकना खोया (Chikna Mawa)।
दानेदार खोया (Danedar Mawa)।
यह भी जानिए
खोया सूखे वाष्पित दूध के ठोस पदार्थ हैं जो आमतौर पर मीठे भारतीय मिठाइयों में उपयोग किए जाते हैं, विशेष रूप से भारत के उत्तरी क्षेत्र में। खोया (या मावा) या तो सूखे पूरे दूध से बनाया जाता है या दूध को खुले लोहे के पैन में गर्म करके गाढ़ा किया जाता है।

शरीर के हर अंग पर डालता है बुरा प्रभाव
बागपत में वरिष्ठ फिजीशियन डा. अनिल जैन ने बताया कि मिलावटी खाद्य पदार्थ तकरीबन शरीर के प्रत्येक अंग को प्रभावित करते हैं। सिंथेटिक दूध से मावा या कोई मिठाई तैयार की जाती है तो इससे सबसे बड़ी दिक्कत पेट की बीमारी और हृदय के साथ-साथ आंखों को होती है। आंखों की रोशनी जाने का भी डर रहता है और ब्लड से संबंधित कई बीमारियां हो सकती हैं। क्योंकि इसके बनाने में खतरनाक रसायन का प्रयोग किया जाता है। इससे खासकर त्योहार पर बाहरी सामान खाने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए।
धधक रहीं भट्टियों में तैयार हो रहा जहर
त्योहारी सीजन शुरू होते ही जिले के गांव-गांव में नकली मावा बनाने की भट्टियां धधकनी शुरू हो गई है। यहां न सिर्फ नकली मावा तैयार किया जा रहा बल्कि नकली सफेद रसगुल्ले, नकली दूध, नकली घी, नकली पनीर भी बनाया जा रहा है। हर साल त्योहारी सीजन में इन भट्टी संचालकों के यहां छापेमारी की जाती है मगर प्रभावी कार्रवाई के अभाव में मिलावट का कारोबार धड़ल्ले से संचालित हो रहा है। ऐसे में नकली मावा से हर हाल में बचना चाहिए।

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