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    यूपी में DM ने क्यों दिए ड्रोन उड़ाने के निर्देश? मुजफ्फरनगर से मेरठ-गाजियाबाद की सीमा तक होगा सर्वे

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 03:28 PM (IST)

    मेरठ में नमामि गंगे परियोजना के तहत काली नदी में गिरने वाले नालों का ड्रोन सर्वे किया जाएगा। मुजफ्फरनगर से मेरठ-गाजियाबाद सीमा तक होने वाले इस सर्वे से नालों की सही स्थिति रुकावटों और अतिक्रमण की जानकारी मिलेगी। सर्वे के परिणामों के आधार पर नदी के पुनरुद्धार की योजना बनाई जाएगी।

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    ड्रोन सर्वे से सामने आएगी काली नदी में गिरने वाले नालों की हकीकत

    जागरण संवाददाता, मेरठ। नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के तहत काली नदी में गिरने वाले नालों का ड्रोन सर्वे होगा। यह सर्वे नमामि गंगे इकाई उप्र जलनिगम ग्रामीण मुजफ्फरनगर कराएगी। डीएम के निर्देश के क्रम में एजेंसी के माध्यम से सर्वे कराने की तैयारी विभागीय अधिकारियों ने शुरू कर दी है।उम्मीद है कि सप्ताह भर में यह सर्वे शुरू हो जाएगा।

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    काली नदी का उद्गम मुजफ्फरनगर के खतौली से अंतवाड़ा से होता है। कन्नौज से कुछ पहले गंगा में मिल जाती है। यह नदी मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा और फर्रुखाबाद जिले में बहती है। विभाग के पास जो जानकारी है, उसके अनुसार मेरठ में आबूनाला एक, आबूनाला-दो, ओडियन नाला और दिल्ली रोड नाला सीधे तौर पर काली नदी में गिर रहे हैंं। जिनका गंदा पानी सीधे काली नदी में गिरता है।

    वहीं, मुजफ्फरनगर में खतौली से दो बड़े नाले निकलकर सीधे काली नदी में गिरते हैं। इसके अलावा भी कई छोटे-छोटे नाले गिर रहे होंगे। जिसकी जानकारी ड्राने सर्वे से जुटाई जाएगी। सर्वे में यह भी पता लगाया जाएगा कि किन नालों का पानी काली नदी तक पहुंच रहा है और किन नालों का पानी ब्रेक है। शासन स्तर से काली नदी को अविरल-निर्मल बनाने और इसके पुनरुद्धान की योजना है।

    ड्रोन सर्वे से ये पता चलेगा

    • -काली नदी में गिरने वाले नालों की लोकेशन ट्रैस हो सकेगी।
    • -किन नालों का पानी नदी तक पहुंचा रहा है। यह पता चलेगा।
    • -कितने नाले नदी में गिर रहे हैं। उनकी वास्तवित स्थिति पता चलेगी।
    • -काली नदी में कहां अतिक्रमण है। ये जानकारी पता चल सकेगी।
    • -काली नदी का कितना हिस्सा सिल्ट, कचरे से अवरोध है।
    • -काली नदी के जल प्रवाह में कहां-कहां पर रुकावट है।

    मुजफ्फरनगर से मेरठ-गाजियाबाद की सीमा तक काली नदी का ड्रोन सर्वे कराया जाएगा। इसमें गिरने वाले नालों का वास्तविक स्थिति पता की जाएगी। इसके लिए एजेंसी की मदद से सप्ताह भर में सर्वे शुरू हो जाएगा। सर्वे के आधार पर काली नदी पुनरुद्धान की योजना बनेगी। -संजीत कटियार, परियोजना प्रबंधक, नमामि गंगे इकाई, उप्र जलनिगम ग्रामीण मुजफ्फरनगर।