CCSU Meerut और वियतनाम के विश्वविद्यालय ने की बड़ी पहल, दोनों के छात्र और शिक्षक मिलकर करेंगे काम
CCSU Meerut : चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ और वियतनाम के विश्वविद्यालय ने छात्रों और शिक्षकों के लिए सहयोग करने का निर्णय लिया है। वे संयुक्त रूप से अनुसंधान करेंगे और ज्ञान का आदान-प्रदान करेंगे, जिससे शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत होंगे।

राजभवन में वियतनाम की यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष संग एमओयू का आदान-प्रदान करतीं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला। सौ. राजभवन
जागरण संवाददाता, मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और वियतनाम के यूनिवर्सिटी आफ इकोनोमिक्स एंड फाइनेंस व ह्यूटेक यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलोजी हो ची मिन्ह सिटी के बीच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुआ है। राजभवन में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की अध्यक्षता में हुए इस एमओयू के अंतर्गत विश्वविद्यालय के अध्यापकों, शोधकर्ताओं व विद्यार्थियों के लिए विनिमय कार्यक्रम (एक्सचेंज प्रोग्राम), संयुक्त शोध गतिविधियां, स्थानीय व वैश्विक मांग के अनुसार पाठ्यक्रम विकास, डुएल डिग्री, ज्वाइंट डिग्री, शैक्षणिक सामग्री प्रकाशन, विविध सेमिनार व अकादमिक बैठकों में सहभागिता और शार्ट टर्म अकादमिक कार्यक्रमों में सहयोग के रास्ते खुलेंगे। यह एमओयू भारत-वियतनाम मैत्री संबंधों को सुदृढ़ करने के साथ-साथ छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को वैश्विक अवसरों से जोड़ने में भी सहायक सिद्ध होगा। सीसीएसयू के साथ ही प्रदेश के नौ विश्वविद्यालयों ने वियतनाम के विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय आज राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी अपनी सशक्त पहचान बना रहे हैं। यह उपलब्धि प्रदेश की उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, नवाचार और समर्पण की प्रतीक है। कहा कि राजभवन में समय-समय पर आयोजित समीक्षा बैठकें, कार्यशालाएं, सेमिनार व नैक मंथन, नैक संकल्प, शिक्षा मंथन, समर्थ से सामर्थ्य जैसे कार्यक्रमों से प्रदेश की उच्च शिक्षा में निरंतर प्रगति हुई है। राज्यपाल ने कहा कि यह सब हमारे शिक्षकों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और प्रशासकों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। समझौता ज्ञापन न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय मानकों तक ले जाएगा, बल्कि अनुसंधान और नवाचार के नए आयाम भी खोलेगा। विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ यह सहभागिता हमारे विद्यार्थियों और शिक्षकों को वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान करेगी, वहीं विदेशी शिक्षाविदों के आगमन से हमारे विश्वविद्यालयों का वातावरण और समृद्ध होगा।
भारत की शिक्षा ज्ञान के प्रसार पर आधारित
राज्यपाल ने कहा कि भारत और वियतनाम की सभ्यताएं प्राचीन काल से ही ज्ञान, परिश्रम और शांति की धारा से जुड़ी रही हैं। शिक्षा का यह पुल दोनों देशों को न केवल ज्ञान में, बल्कि मानवीय संवेदनाओं में भी और अधिक समीप लाएगा। भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की शिक्षा सदैव ज्ञान के प्रसार और साझा करने की भावना पर आधारित रही है।
वैदिक काल में गुरु शिष्य परंपरा, बुद्ध काल में महात्मा बुद्ध के द्वारा करुणा ज्ञान और आत्मबोध के संदेश को सीमाओं से परे विश्व में फैलाया गया। इसी प्रकार जैन आचार्य ने भी ज्ञान की ज्योति को एक देश से दूसरे देश तक पहुंचाया है। उन्होंने नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा केंद्र बताते हुए कहा कि आज के ये समझौते उसी प्राचीन परंपरा के आधुनिक रूप हैं, जहां शिक्षा सीमाओं को पार कर विश्व बंधुत्व का मार्ग प्रशस्त करती है।
विश्व के द्वार खोलेगी यह पहल
वियतनाम के हो ची मिन्ह यूनिवर्सिटी आफ इकोनोमिक्स एंड फाइनेंस के उपाध्यक्ष डा. नगो मिन्ह हाई ने कहा कि यह विद्यार्थियों के लिए विश्व के द्वार खोलने वाली पहल है। विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शुमार भारत के विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन गर्व की बात है। ह्यूटेक विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष प्रोफेसर डा. गुयेन थान फुओंग ने कहा कि एमओयू ने सहभागिता को संभव बनाया है और शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया सहयोग स्थापित हुआ है। समारोह का शुभारंभ करते हुए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने एमओयू के बारे में जानकारी देते हुए इसे अकादमिक गुणवत्ता के प्रति प्रतिबद्ध एक महत्वपूर्ण आयोजन बताया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।