Meerut News: 20 लाख देने को तैयार थे अस्पताल संचालक, CBI को रिकॉर्डिंग से क्या-क्या पता चला?
मेरठ में सीजीएचएस पैनल निलंबन से बचने के लिए अस्पताल संचालक रिश्वत देने को तैयार थे। सीबीआई ने अपर निदेशक कार्यालय अधीक्षक और एक निजी कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि रिश्वत की मांग की गई थी जिसके बाद अस्पताल संचालक ने सीबीआई को सूचित किया। जांच में 80 अन्य अस्पतालों से वसूली की बात भी सामने आई है

जागरण संवाददाता, मेरठ। केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) पैनल का निलंबन रोकने के लिए अपर निदेशक और कार्यालय अधीक्षक को अस्पताल संचालक विशाल सलोनिया 20 लाख की रकम देने को तैयार हो गए थे। तब भी कार्यालय अधीक्षक ने इन्कार कर दिया। कहा गया कि 50 लाख से रकम कम नहीं हाेगी।
चेतावनी दी गईं कि सौदेबाजी करोंगे तो रकम बढ़ती जाएगी। तब विशाल सलोनिया ने सीबीआइ को मामले की जानकारी दी। आरोपितों से बातचीत की रिकार्डिंग भी सीबीआइ को सौंप दी गई थी। उक्त रिकार्डिंग को मुकदमे की विवेचना में आधार बनाया जा रहा है।
आरोपितों से रिमांड पर पूछताछ में सामने आया कि 80 अस्पतालों को भी रकम वसूली के लिए बिलो में अनियमितता बताकर नोटिस भेजे जा चुके हैं। निजी कर्मचारी रईस अहमद ने पूछताछ में बताया कि दो निजी अस्पतालों में बैठकर ही सीजीएचएस के अफसरों की डील होती थी।
उक्त डील में कई अस्पताल संचालक भी अहम भूमिका निभाते थे। वह सिर्फ अस्पताल संचालकों से रिश्वत की रकम पकड़कर अपर निदेशक और कार्यालय अधीक्षक को सौंप देता था। उसके बाद बदले में रईस को भी रकम से कुछ हिस्सा मिल जाता था।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. आशीष जैन और डा. मीरा जैन का बैजल भवन के पास जैन मेडिकेयर अस्पताल हैं, जिसका संचालन विशाल सलोनिया निवासी पांडव नगर करते हैं। सूरजकुंड स्थित स्वास्थ्य भवन में सीजीएचएस के कार्यालय में तैनात अपर निदेशक अजय कुमार गोयल निवासी पल्लवपुरम फेस दो और कार्यालय अधीक्षक लवेश सोलंकी निवासी शास्त्रीनगर है।
उक्त दोनों अफसरों ने विशाल के जेएससी मेडिसिटी हास्पिटल का सीजीएचएस का पैनल निलंबित कर दिया। हाईफील्ड अस्पताल का पैनल निलंबित करने की धमकी देकर 50 लाख की रिश्वत मांगी।
मंगलवार को पहली किश्त पांच लाख की रिश्वत लेते हुए सीबीआइ की टीम ने अपर निदेशक अजय कुमार और कार्यालय अधीक्षक लवेश सोलंकी तथा निजी कर्मचारी रईस अहमद को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। सीबीआइ कोर्ट में पेश कर तीनों को एक दिन का रिमांड लिया गया।
पूछताछ में सामने आया कि विशाल दोनों ही अफसरों को 20 लाख की रिश्वत देने को तैयार हो गए थे। ताकि उनका सीजीएचएस का पैनल निलंबित न हो सकें। लवेश सोलंकी ने स्पष्ट कर दिया था कि 50 लाख से कम रकम नहीं लेंगे। वरना लाइसेंस निलंबित कर दिया जाएगा। तब विशाल ने सीबीआइ को मामले की जानकारी दी थी।
अजय और लवेश की संपत्ति के बारे में जुटाई जानकारी
दोनों ही अफसरों को रिमांड पर लेकर उनकी संपत्ति का ब्योरा जुटाया जा रहा है। ताकि दोनों पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा भी दर्ज किया जा सकें। दोनों ही अफसर मूलरूप से बुलंदशहर के रहने वाले है।
सीबीआइ की टीम उनके पैतृक गांव में भी पहुंचकर जांच पड़ताल करेगी। ताकि दोनों ही अफसरों की अवैध तरीके से जुटाई संपत्ति के बारे में जांच हो सकें। सीबीआइ टीम ने बुलंदशहर के रजिस्ट्री कार्यालय से दोनों ही अफसरों की संपत्ति का ब्योरा मांगा है। आय से अधिक संपत्ति मिलने पर अलग से मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
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