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    प्रदेश में सबसे कम वेंटीलेटरों पर सांस ले रहा मेरठ मेडिकल कॉलेज Meerut News

    By Prem BhattEdited By:
    Updated: Mon, 13 Apr 2020 10:38 AM (IST)

    प्रदेश के सर्वाधिक संक्रामक शहरों में एक मेरठ में सबसे कम वेंटीलेटरों की उपलब्धता ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

    प्रदेश में सबसे कम वेंटीलेटरों पर सांस ले रहा मेरठ मेडिकल कॉलेज Meerut News

    मेरठ, [संतोष शुक्ल]। कोविड-19 संक्रमण का बेशक कोई इलाज नहीं, किंतु मरीजों की सांस बचाने की सबसे आखिरी उम्मीद वेंटीलेटर हैं। प्रदेश के सर्वाधिक संक्रामक शहरों में एक मेरठ में सबसे कम वेंटीलेटरों की उपलब्धता ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। मेडिकल प्रशासन ने प्रदेश सरकार से अतिरिक्त वेंटीलेटरों की मांग की है। बता दें कि मेरठ मेडिकल कॉलेज पर आसपास के दर्जनों जिलों के इलाज का भार है। निमोनिया के इलाज में आपात स्थिति में मरीज को वेंटीलेटर पर लेना पड़ता है।

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    गोरखपुर में छह गुना वेंटीलेटर

    प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने गत दिनों मेरठ का दौरा कर मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा का हाल जाना। उन्होंने प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध वेंटीलेटरों की संख्या की भी समीक्षा की। लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने उन्हें 1060 बेडों के अस्पताल में सिर्फ 20 वेंटीलेटर होने की बात कहते हुए संख्या बढ़ाने की अपील की। आगरा एवं नोएडा के बाद सबसे ज्यादा मरीज मेरठ में मिले हैं। यहां पर संदिग्ध और क्वारंटाइन में रखे लोगों की तादाद भी ज्यादा है। बीआरडी गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में वेंटीलेटरों की संख्या सबसे ज्यादा, जबकि मेरठ में सबसे कम है। यहां पर स्वाइन फ्लू, निमोनिया, सांस व ट्रामा के मरीजों की संख्या हमेशा ज्यादा रही है।

    देश में 50 हजार नए वेंटीलेटरों की मांग

    सीएमओ डॉ. राजकुमार का कहना है कि कोविड-19 वायरस गले में संक्रमण के बाद फेफड़े में पहुंचता है। ये हीमोग्लोबिन से बांड बनाकर आयरन तोड़ देता है, जिससे मरीज के शरीर में आक्सीजन की तेजी से कमी आती है। ऐसे में देश के सभी चिकित्सा केंद्रों में वेंटीलेटरों की संख्या बढ़ाने की बात की गई है। भारत सरकार ने भेल और आधा दर्जन वाहन निर्माता कंपनियों को वेंटीलेटर बनाने के लिए कहा है।

    ये है प्रदेश में वेंटीलेटर की उपलब्धता

    प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कुल 4025 वेंटीलेटर हैं, जिसमें 1312 वेंटीलेटरों को कोविड-19 वार्डो में लगा दिया गया है।

    सरकारी संस्थान का नाम                                     संख्या

    एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज मेरठ                      20

    एसएनएमसी मेडिकल कॉलेज आगरा                       37

    जीवीएसएम कानपुर                                             51

    एमएलएन मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज                     40

    एमएलबी मेडिकल कॉलेज, झांसी                             61

    बीआरडी गोरखपुर मेडिकल कॉलेज                           120

    आरएमएल, लखनऊ                                              65

    एसजीपीजीआइ, लखनऊ                                       205

    केजीएमयू, लखनऊ                                              193

    इनका कहना है

    कोरोना वायरस सांस के रास्ते फेफड़ों में पहुंचकर निमोनिया करता है। बुजुर्ग व कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को वेंटीलेटर सपोर्ट देना पड़ सकता है। शासन से वेंटीलेटरों की संख्या बढ़ाने के लिए पत्र लिखा गया है। ये कृत्रिम सांस देने का बहुत अहम उपकरण है।

    - डॉ. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज।