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    Meerut Medical College: आखिर कैसे होगा इलाज, मेडिकल में हार्ट की दवाएं खत्‍म, गैस की गोली लेकर लौट रहे मरीज

    By Prem Dutt BhattEdited By:
    Updated: Fri, 29 Jul 2022 08:00 AM (IST)

    Meerut Medical College मेडिकल कालेज में अब मरीज बेचारे बनकर रह गए हैं। मेडिकल कालेज में हार्ट की 25 में से 22 दवाएं खत्म हो गई हैं। अब सिर्फ 16 फीसद दवाएं दे सका मेडिकल कारपोरेशन। हार्ट के मरीजों को सिर्फ गैस की गोली देकर घर भेजा जा रहा।

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    Meerut Medical College मेरठ मेडिकल कालेज में हार्ट की दवाएं खत्‍म होने से दिक्‍क्‍तें बढ़ी हैं।

    संतोष शुक्ल, मेरठ। मेडिकल कॉलेज में दवाओं का संकट लाइलाज होता जा रहा है। 150 करोड़ की लागत से बने सुपर स्पेशियलियटी ब्लॉक में हार्ट, न्यूरो, कार्डियक सर्जरी, नेफ्रो, और यूरो समेत तमाम दवाएं खत्म हो गई है। हालात ऐसे हैं कि हार्ट के मरीजों को सिर्फ गैस की गोली देकर घर भेजा जा रहा।

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    16 प्रतिशत दवाएं

    खून पतला करने, कोलेस्ट्रॉल कम करने और धड़कन को नियंत्रित करने समेत सभी आवश्यक दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन सिर्फ 16 प्रतिशत दवाएं दे पाया।

    खून पतला करने की दवाएं खत्म

    सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक में इस समय 22 विशेषज्ञ डॉक्टर ओपीडी करते हैं। रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों का इलाज होता है। मेडिकल कॉलेज के लिए 839 दवाएं निर्धारित हैं, जबकि सिर्फ 490 दवाएं उपलब्ध हैं। एम्स और पीजीआई की तर्ज पर सुपरस्पेशियलिटी ब्लाक में डीएम और एमसीएच डिग्री धारक चिकित्सकों की नियुक्ति की गई। लेकिन दवाएं न मिलने से गरीब मरीजों के लिए इलाज महंगा हो गया है।

    25 प्रकार की दवाएं निर्धारित

    कार्डियोलॉजिस्ट डॉ धीरज सोनी ने बताया कि हार्ट के मरीजों के लिए करीब 25 प्रकार की दवाएं निर्धारित हैं, जिसमें से महज तीन या चार ही उपलब्ध हैं। खून पतला करने, कोलेस्ट्रॉल, पेशाब और धड़कन को नियंत्रित करने वाली दवाएं नहीं मिल रही। मरीजों को सिर्फ इकोस्प्रिन और गैस की गोली मिल रही है। जिन मरीजों में स्टेंट डाला गया, उन्हें भी खून पतला करने की दवाएं नहीं दी जा सकी हैं।

    विशेषज्ञ डॉक्टर ओपीडी करते हैं

    ब्लाक में न्यूरो सर्जन, न्यूरो फिजीशियन, कार्डियोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, कार्डियोथोरेसिक सर्जन, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट और बर्न के विशेषज्ञ डॉक्टर ओपीडी करते हैं। ड्रग स्टोर के अधिकारियों ने सुपर स्पेशयलिटी ब्लाक में नई जनरेशन की अलग दवाएं प्रयोग की जाती हैं, जो स्टॉक में नहीं हैं।

    मेडिकल ने दिया 1.3 करोड़, दवा मिली सिर्फ 17 लाख की

    शासन ने 2020-21 में मेडिकल कॉलेज को दवा के लिए 13.2 करोड़ का बजट दिया। मेडिकल प्रशासन ने दवाएं खरीदने के लिए 1.3 करोड़ रुपया उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन को अग्रिम भुगतान के रूप में दे दिया। कारपोरेशन से 295 के सापेक्ष सिर्फ 77 प्रकार की दवाएं मिलीं। वहीं, 2021-22 में भी 295 में से कारपोरेशन सिर्फ 196 प्रकार की दवाएं दे सका।

    उधार मांगता फिर रहा मेडिकल कालेज

    मेडिकल कालेज की ओपीडी में रोजाना करीब ढाई हजार मरीज पहुंचते हैं। डेढ़ सौ मरीजों का ऑपरेशन होता है। गंभीर संक्रमण से रोकने के लिए एंटीबायोटिक ही नहीं, ग्लूकोज तक उपलब्ध नहीं है। मेडिकल प्रशासन ने प्रदेशभर के मेडिकल कालजों से उधार पर दवाएं मांगी, लेकिन सिर्फ प्रयागराज ने नार्मन सलाइन की 29000 बोतलें दीं।

    इनका कहना है

    मेडिकल कारपोरेशन से बुधवार को करीब सात लाख रुपये की 35 प्रकार की दवाएं मिली हैं, जो नाकाफी है। मरीजों का लोड ज्यादा है। सर्जिकल आइटम भी बेहद कम रह गए हैं।

    - डॉ आरसी गुप्ता प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज