गंगा एक्सप्रेस-वे के बाद यूपी में क्या बनने जा रहा है? किसानों से एक दिन में कराये 9 हेक्टेयर जमीन के बैनामे
मेरठ में गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन का इंतजाम करना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। पहले चरण के लिए 214 हेक्टेयर जमीन चाहिए लेकिन अभी तक 150 हेक्टेयर ही मिल पाई है। किसान दूसरे चरण के लिए जमीन देने को तैयार नहीं हैं और 9 महीने से धरना दे रहे हैं। प्रशासन जमीन की व्यवस्था में जुटा है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता गंगा एक्सप्रेसवे तथा उसके किनारे बनाये जाने वाला औद्योगिक गलियारा है। गंगा एक्सप्रेसवे तो लगभग पूर्ण होने वाला है लेकिन औद्योगिक गलियारा के लिए जमीन की व्यवस्था करना जिला प्रशासन के लिए चुनौती बना है।
पहले चरण के लिए 214 हेक्टेयर जमीन की खरीद और सरकारी भूमि का पुर्नग्रहण किया जाना है लेकिन अभी तक 150 हेक्टेयर जमीन की व्यवस्था ही हो सकी है। पिछले कई महीने से जमीन की खरीद बंद है।
वहीं 300 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले दूसरे चरण के लिए किसानों ने जमीन देने से साफ इंकार कर दिया है। इसके विरोध में वे 9 महीने से धरना दे रहे हैं। शासन और यूपीडा का आदेश है कि जल्द से जल्द जमीन की व्यवस्था की जाए।
इसके चलते डीएम ने हाल ही में संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उसी का प्रभाव है कि तहसील प्रशासन ने सोमवार को एक दिन में ही 17 किसानों से 9 बैनामों के माध्यम से 9 हेक्टेयर जमीन के बैनामे कराए।
कई महीने से बंद थी खरीद, अब एक दिन में 9 बैनामे
प्रदेश के सभी 12 जनपदों में विकसित होने वाले औद्योगिक गलियारों का कुल क्षेत्रफल 1500 हेक्टेयर है। मेरठ में प्रथम चरण का क्षेत्रफल 214 हेक्टेयर है। जिसके लिए एक साल से अधिक समय से जमीन की खरीद का काम चल रहा है।
पिछले कई महीनों से जमीन की खरीद बंद थी। किसानों की 203 हेक्टेयर जमीन की खरीद होनी है। जिसमें से 143 हेक्टेयर की खरीद के बाद कार्रवाई कई महीने पहले ठिठक गई थी। अभी तक 11 में से 7 हेक्टेयर सरकारी जमीन का पुनर्ग्रहण हो सका है।
डीएम की बैठक के बाद तहसील प्रशासन हरकत में आया और सोमवार को एक दिन में ही 17 किसानों से 9 बैनामों के माध्यम से 9 हेक्टेयर जमीन की खरीद की गई। अब कुल 159 हेक्टेयर जमीन की व्यवस्था हो गई है।
दूसरे चरण के विरोध में साढ़े 9 महीने से धरना
औद्योगिक गलियारा के दूसरे चरण के लिए तीन गांवों की 300 हेक्टेयर भूमि चिह्नित है। लेकिन इसकी घोषणा के साथ ही तीनों गांवों के किसानों ने किसी कीमत पर जमीन न देने की घोषणा करके धरना शुरू कर दिया था। यह धरना पिछले साढ़े नौ महीने से चल रहा है।
सरकार की योजना भी पूरी होगी और किसानों की समस्या का समाधान भी किया जाएगा। पहले प्रथम चरण की जमीन को जल्द पूरा किया जाएगा। उसके बाद दूसरे चरण के लिए किसानों को राजी किया जाएगा। -डा. वी के सिंह, जिलाधिकारी
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