व्यापार है नहीं, दुकानें टूट चुकी, घर किराए का... बुलडोजर गरजने के बाद बाजार खुला तो क्या बोले लोग?
मेरठ के सेंट्रल मार्केट में दुकानें टूटने से व्यापारी परेशान हैं। चार दिन बाद बाजार खुला तो रौनक लौटी, पर टूटी दुकानों के मालिक गम में हैं। कई व्यापारियों का यही एकमात्र कारोबार था, और अब वे बेघर और बेरोजगार हो गए हैं। कुछ किराए पर दुकान चलाते थे, अब उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। सरकार से नुकसान की भरपाई की मांग की जा रही है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। चार दिन बंद रहने के बाद बुधवार को सेंट्रल मार्केट का बाजार पूरी तरह से खुल गया। जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बाद यह बाजार खुला है। बुधवार को यहां पर खूब रौनक रही। बड़ी संख्या में ग्राहक पहुंचे और जाम तक भी लगा, लेकिन जिन व्यापारियों की दुकानें टूटी है, उनके यहां गम का माहौल है। 22 में से अधिकतर का कोई दूसरा कारोबार नहीं है। कई व्यापारी ऐसे हैं, जो किराए पर दुकान चला रहे थे, मकान भी किराए पर है। दुकान टूट चुकी और अब उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करें।
बाजार में रही चहल-पहल, लगा जाम
सेंट्रल मार्केट को गत शनिवार को इसलिए बंद किया गया था, क्योंकि कांप्लेक्स टूटना था। रविवार, सोमवार और मंगलवार को व्यापारियों ने अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया बाजार को बंद किया था। बुधवार को बाजार खुला तो खूब चहल-पहल सेंट्रल मार्केट में देखने को मिली। यहां इतने ग्राहक पहुंचे कि पुलिस चौकी के पास जाम तक लग गया। पुलिस ने किसी तरह से जाम खुलवाया।
दुकान टूटने पर सबकुछ हुआ बर्बाद
टूटने वाले कांप्लेक्स में राकेश मदान की दुकान थी। उन्होंने उस दुकान को किराए पर दिया हुआ था। राकेश मदान खुद एक प्राइवेट नौकरी करते हैं। उनका घर भी किराए का है। उन्होंने बताया कि दुकान के किराए से वह घर का किराया दिया करते थे। वेतन से घर का खर्च चलता था। अब उनका बजट बिगड़ गया है। कुछ नहीं सूझ रहा है कि आखिर अब वह क्या करें।
कोरोना में सूरत में बिजनेस डूबा, अब यहां
टूटने वाले कांप्लेक्स में रेडिमेड गारमेंट्स की दुकान करने वाले अनिल दुआ का कहना है कि वह सूरत गुजरात में कारोबार करते थे। कोरोना काल में उनका वहां पर कारोबार टूट गया तो वह मेरठ आ गए और कांप्लेक्स में दुकान लेकर रेडिमेड का काम किया। अब यहां से भी कारोबार उजड़ गया। दूसरा कोई बिजनेस नहीं है। अब वह सड़क पर है।
पूरी तरह से घर बैठे हैं, कुछ समझ में नहीं आ रहा
कांप्लेक्स में टोम एंड जेराी के नाम से दुकान करने वाले रजत गोयल का कहना है कि वह बच्चों के कपड़ों का कारोबार कर रहे थे। उनकी खुद की दुकान थी। अब उनका कोई दूसरा बिजनेस नहीं है। जिस कारण अब वह घर पर बैठे हैं। रजत का कहना है कि उनका लाखों रुपये का नुकसान है।
22 में इक्का दुक्का को छोड़कर सभी का यहीं था कारोबार
व्यापारी नेता किशोर वाधवा का कहना है कि जिन 22 व्यापारियों की दुकानें टूटी है, उनमें से अधिकतर का कोई दूसरा कारोबार नहीं है। वह इसी कारोबार पर निर्भर थे। सभी लोग सड़क पर आ गए। कुछ व्यापारी ऐसे थे, जिन्होंने दुकान किराए पर दे रखी थी और खुद नौकरी करते थे। इक्का दुक्का व्यापारी ही ऐसे हैं, जिनका दूसरा कोई कारोबार चल रहा है।
अस्थाई दुकानों में नहीं कर सकते कारोबार
व्यापारी नेता किशोर वाधवा, रजत गोयल आदि का कहना है कि अस्थाई दुकानें चाट, रेहडी वाले करते हैं। उनके स्थाई कारोबार थे। वह अस्थाई दुकानें नहीं कर सकते हैं। सरकार को स्थाई हल निकालकर व्यापारियों के नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।

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