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...ताकि शिक्षा के दीप तले न रह जाए अंधियारा

हर स्कूल सप्ताह में एक या दो दिन निश्चित समय पर आस-पास के बच्चों को एकत्र कर स्कूल की छुट्टी के बाद परिसर में पढ़ाने की व्यवस्था कर सकते हैं।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 06:00 AM (IST)
...ताकि शिक्षा के दीप तले न रह जाए अंधियारा

जागरण संवाददाता, मेरठ। किसी बड़े स्कूल के आस-पास रह रहे गरीब परिवारों के बच्चे यदि शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं तो यह 'चिराग तले अंधियारा' की कहावत को सटीक ढंग से बया करती है। इसी अंधियारे को और अधिक फैलने से रोकने के लिए शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों के प्रधानाचार्यों व प्रबंधकों ने अनोखी पहल करने का निर्णय लिया है। माइ सिटी माइ प्राइड के राउंड टेबल मीटिंग में दीवान पब्लिक स्कूल कैंट के प्रिंसिपल एचएत राउत ने स्कूलों के आस-पास स्थित बस्तियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने पर जोर दिया है।

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छुट्टी के बाद लगेगी क्लास
स्कूलों के आस-पास ऐसे में बहुत से परिवार रहते हैं जिनके बच्चे परिजनों के साथ ठेले पर सुबह से काम में लग जाते हैं। ये बच्चे न ही स्कूल जाते हैं और न ही घर के आस-पास पढ़ाई से जुड़ पाते हैं। एचएम राउत के अनुसार हर स्कूल सप्ताह में एक या दो दिन निश्चित समय पर आस-पास के बच्चों को एकत्र कर स्कूल की छुट्टी के बाद परिसर में पढ़ाने की व्यवस्था कर सकते हैं। स्कूल के शिक्षकों का भी एक-एक कर इससे जुड़ाव होगा और गरीब बच्चों व परिजनों को प्रारंभिक शिक्षा भी बेहतर माहौल में मिल सकेगी। एक ही इलाके में एक से अधिक स्कूल हैं तो वे आपस में समय निर्धारित कर उन्हीं बच्चों को बारी-बारी से अधिक समय भी दे सकते हैं।

परिजनों को करेंगे प्रेरित
आर्थिक तंगी के कारण परिजनों की मदद में ही बच्चों का बचपन खत्म करने की बजाय उन्हें शिक्षा में जोड़ने और उसके लाभ से अवगत कराने के लिए समय-समय पर परिजनों को भी जागरूक किया जाएगा। बच्चों को स्कूल परिसर में पढ़ता देख और उनमें हो रहे बदलाव को देखते हुए परिजनों में भी बच्चों को पढ़ाने की ललक पैदा होगी। बच्चों को पढ़ाने के दौरान समय-समय पर परिजनों को भी क्लास में शामिल किया जाएगा।


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