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    Meerut News: कबाड़ से किया कमाल, एमबीए पास अभिषेक ने कई को दिया रोजगार

    By Jagran NewsEdited By: Taruna Tayal
    Updated: Fri, 21 Oct 2022 03:30 PM (IST)

    कुछ नया करने की प्रेरणा से अभिषेक यादव को मिली नई राह। आयरन स्क्रैप से बेजोड़ वस्तुएं बनाकर खींच लिया सबका ध्यान। एकाउंट्स आडिटिंग मार्केटिंग व डिजिटल ...और पढ़ें

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    कुछ नया करने की प्रेरणा से अभिषेक यादव को मिली नई राह।

    मेरठ, दिलीप पटेल। रचनात्मक सोच का अर्थ है-किसी नये तरीके से कुछ देखना। निरंतर अभ्यास से व्यक्ति कुछ नया करने में सक्षम भी होने लगता है। मेरठ के अभिषेक यादव ने एमबीए किया। नौकरी भी की लेकिन मन नहीं रमा, क्योंकि सोच थी कुछ नया करने की। विचारों का आदान-प्रदान हुआ तो रास्ते खुलने लगे। मेरठ नगर निगम ने 'कबाड़ से जुगाड़' अभियान शुरू किया, जिसे अभिषेक ने अपनी ताकत बना लिया। पुरानी रिमों और अन्य आयरन स्क्रैप से उन्होंने ऐसी वस्तुएं तैयार कर दीं, जिन्होंने सबका ध्यान खींच लिया। अब 15 लड़कों की यह टीम कबाड़ से रोजगार पैदा कर रही है। अलीगढ़ और बरेली तक के डिग्रीधारी इंजीनियर उनके संपर्क में हैं।

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    नौकरी छोड़ बनाया व्‍यवसाय का मन

    27 वर्षीय अभिषेक यादव ने वर्ष-2019 में दीवान इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलाजी मेरठ से एमबीए (मार्केटिंग व फाइनेंनस) किया। एकाउंट्स आडिटिंग, मार्केटिंग व डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में तीन साल नौकरी भी की लेकिन फिर कोई व्यवसाय शुरू करने का मन बनाया। वर्ष 2020 में डिजिटल मार्केटिंग कंपनी शुरू की। नगर निगम में स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के लिए सोशल मैनेजमेंट की जिम्मेदारी मिली। नगर आयुक्त डा. अमित पाल शर्मा ने कबाड़ से जुगाड़ अभियान शुरू किया।

    अभिषेक बताते हैं कि उनके साथ अरुण कुमार, कनिका राणा और सत्यम भी हैं, जो आर्टिस्टिक वर्क, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, कास्ट मैनेजमेंट, क्रिएटिव डिजाइनिंग, पेंटिग आदि काम देखते है जबकि आमिर, पवन कुमार, रिजवान, रुचित भटनागर आर्टिस्ट व स्केचिंग की जिम्मेदारी संभालते हैं। अभिषेक का कहना है कि कबाड़ से जुगाड़ अभियान ने एक सोच विकसित की है, स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया है। प्रधानमंत्री द्वारा 'मन की बात' कार्यक्रम में मेरठ में कबाड़ से जुगाड़ काम की सराहना के बाद अलीगढ़, बरेली नगर निगम व अन्य नगर पालिकाओं के अधिकारी उनसे संपर्क कर रहे हैं। अभिषेक ने बताया कि प्लास्टिक और आयरन स्क्रैप से गमले, मेज-कुर्सी, बेंच, गुलदस्ते समेत तमाम सजावटी सामान बनाए जा सकते हैं। इससे 60 हजार रुपये मासिक तक कमाई संभव है। नगर आयुक्त डा. अमित पाल शर्मा कहते हैं, अभिषेक की टीम रचनात्मक सोच के साथ काम कर रही है। शहर में जल्द ही कुछ अन्य कलाकृतियां भी दिखेंगी।

    कबाड़ में ऐसे ढूंढी खूबसूरती

    -बच्चा पार्क स्थित खादी भंडार की दीवार पर आयरन स्क्रैप से चरखा बनाया। महात्मा गांधी की पेंटिग बनाकर उन्हें चरखा चलाते हुए दर्शाया गया।

    -बच्चा पार्क चौराहे पर डिवाइडर पर हाथ ठेले के पुराने रिमों का प्रयोग कर रंग बिरंगी और खूबसूरत ग्रिल तैयार की।

    -बच्चा पार्क चौराहे पर पुराने ठेले के स्क्रैप का प्रयोग कर मोर बनाया।

    -सिंगल यूज प्लास्टिक बोतल के ढक्कनों से शहर में वाल आर्ट बना रहे हैं।

    -मेरठ कालेज के पास विकसित हुए मिनी पार्क की बाउंड्रीवाल पुराने हाथ ठेलों के रिम से तैयार की गई है।