Martyr Lieutenant Akash Chaudhary: शाम छह बजे तक मेरठ पहुंचेगा शहीद का पार्थिव शरीर,सांत्वना के लिए घर पर तांता
गुरुवार रात असम में एक फॉरवर्ड ऑपरेशन के दौरान पहाड़ी से गिरकर शहीद हुए लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी का पार्थिव शरीर करीब शाम छह बजे तक मेरठ पहुंचेगा। सांत्वना के लिए घर पर तांता लगा।
मेरठ, जेएनएन। गुरुवार रात असम में एक फॉरवर्ड ऑपरेशन के दौरान पहाड़ी से गिरकर शहीद हुए लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी का पार्थिव शरीर करीब शाम छह बजे तक मेरठ पहुंचेगा। असम से पार्थिव शरीर को मेरठ लाने के क्रम में एयर फोर्स के विमान को ईंधन के लिए कानपुर में हाल्ट लेना पड़ा। कानपुर से करीब तीन बजे जहाज दिल्ली के लिए रवाना होगा और दिल्ली से करीब चार बजे पार्थिव शरीर को लेकर सेना के जवान मेरठ के लिए निकलेंगे। इस दौरान सिख रेजीमेंट के कुछ जवान पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं, जिससे जरूरी कागजी कार्रवाई समय से पूरी हो सके। शाम को पार्थिव शरीर पहुंचने पर वहां अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। शहीद के घर पंजाब स्थित सिख रेजीमेंट के जवान व अफसर मौके पर पहुंच गए हैं। उनके अलावा सिख रेजीमेंट में कार्यरत व पूर्व सैनिक भी यहां पर हैं जो आसपास के जिलों में रहते हैं। सुबह से ही पिता के पी सिंह से मिलने रिश्तेदारों व आसपास के लोगों का पहुंचना जारी है।
रात में ही चलाया सर्च अभियान
अपनी यूनिट के साथ लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी गुरुवार शाम को दिन ढलने के बाद फॉरवर्ड ऑपरेशन के लिए निकले थे। निश्चित समय में रात के समय बिना किसी शोर-शराबे के उनकी टीम को फॉरवर्ड पोजीशन पर पहुंचना था। ऐसे ऑपरेशनों के लिए अफसरों व जवानों को दिन में ही मैप देखकर चीजें व रास्ता समझा दिया जाता है। रात में बिना कोई उजाला किए है वह आगे बढ़ते रहते हैं। उनकी पीठ पर 30 से 40 किलो सामान व हाथ में गन होती है। इसी तरह सारे लोग आगे बढ़ते हैं। करीब 7:30 बजे रास्ते में पहाड़ी पर चढ़ाई के दौरान ही लेफ्टिनेंट आकाश 100 से डेढ़ सौ मीटर नीचे गिर पड़े थे। यूनिट के अन्य सैनिकों ने बिना समय गवाएं उन्हें खोजना शुरू कर दिय। फॉरवर्ड ऑपरेशन के दौरान लाइट जलाना भी दुश्मन की निगाह में आना व उससे उत्पन्न खतरे का सामना करना पड़ता है। इसलिए बिना कोई शोर किए सभी ने सर्च ऑपरेशन चलाया और पहाड़ी के नीचे सुबह करीब 7:00 बजे लेफ्टिनेंट आकाश को खोज निकाला। वह पेड़ और चट्टानों के बीच से जमीन पर गिरे थे।
छुट्टी के दौरान भी नहीं किया आराम
लेफ्टिनेंट आकाश ट्रेनिंग के दौरान घुड़सवारी करते हुए गिर गए थे, जिससे उनके हाथ व कंधे में गहरी चोट आई थी। उस दौरान 2 से 3 महीने उन्हें घर पर ही मेरठ में रहना पड़ा। हाथ में दर्द होने के बाद भी उन्होंने यहां हर दिन सुबह-शाम दो-दो घंटे की दौड़ व ट्रेनिंग जारी रखी। लेफ्टिनेंट बनने के बाद भी लॉकडाउन के दौरान वह मेरठ में रहे। इस दौरान भी उनकी ट्रेनिंग निरंतर चलती रही जिससे फिटनेस में कोई कमी ना आ जाए।
कहीं मोटा तो नहीं हो रहा
घर पर उनकी मेहनत और ट्रेनिंग देखते हुए माता-पिता खानपान में भी कोई कमी नहीं रखते थे। माता की ओर से कभी कुछ ज्यादा खिलाने के बाद वह शाम को यूनिफॉर्म पहनकर यह देखते कि कहीं वह मोटे तो नहीं हो रहे। जरा भी अहसास होने पर वह और ज्यादा मेहनत करते। उनका ध्येय यही था कि घर में छुट्टी के दौरान खा कर मोटे ना हो जाए जिससे उनकी फिटनेस पर कोई फर्क पड़े।
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