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    'चिह्नित' निर्माण पर कार्रवाई से मिली राहत...खुल गए बाजार, व्यापारियों ने की आतिशबाजी

    By Praveen VashishthaEdited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Tue, 28 Oct 2025 06:24 PM (IST)

    शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट 661/6 की इमारत ध्वस्त होने के बाद जहां व्यापारी विरोध में खड़े थे, वहीं 31 अन्य निर्माणों पर प्रस्तावित कार्रवाई को लेकर क्षेत्रवासी सहमे थे। मंगलवार को दोपहर बाद सांसद अरुण गोविल व विधायक अमित अग्रवाल सेंट्रल मार्केट में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बाद चल रहे धरने पर पहुंचे व 31 निर्माणों पर कोई कार्रवाई नहीं होने का आश्वासन दिया। 

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    शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट 661/6 की इमारत ध्वस्त होने के बाद चल रहे व्यापारियों के धरने को संबोधित करते सांसद अरुण गोविल। जागरण

    जागरण संवाददाता, मेरठ। शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट 661/6 की इमारत ध्वस्त होने के बाद जहां व्यापारी विरोध में खड़े थे, वहीं 31 अन्य निर्माणों पर प्रस्तावित कार्रवाई को लेकर क्षेत्रवासी सहमे थे। सेंट्रल मार्केट काम्प्लेक्स के ध्वस्तीकरण के बाद व्यापरियों का विरोध मुखर होता जा रहा था। मंगलवार को भी दूसरे दिन पूरा सेंट्रल मार्केट शास्त्री नगर सेक्टर एक और दो के बाजार बंद रहे। उधर, मंगलवार को दोपहर बाद सांसद अरुण गोविल व विधायक अमित अग्रवाल सेंट्रल मार्केट में ध्वस्तीकरण कार्रवाई के बाद चल रहे धरने में पहुंचे व 31 निर्माणों पर कोई कार्रवाई नहीं होने का आश्वासन दिया।

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    उन्होंने कहा कि नई भू उपयोग नीति के तहत उक्त निर्माण को व्यावसायिक दर्जा मिलेगा। ऊर्जा राज्य मंत्री डा. सोमेंद्र तोमर ने भी व्यापारियों से फोन पर वार्ता की। उक्त घोषणा के बाद बाजार खुल गए। व्यापारियों ने सांसद व विधायक का धन्यवाद किया व आतिशबाजी की।
    सीएम से मिले सांसद गोविल व्यापारियों के पुनर्वास की मांग
    जागरण संवाददाता, मेरठ : सेंट्रल मार्केट ध्वस्तीकरण प्रकरण में सांसद अरुण गोविल ने सोमवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट की। उन्होंने मानवीय एवं सामाजिक आधार पर सेंट्रल मार्केट स्थित कांप्लेक्स 661/6 के प्रभावित व्यापारियों, कर्मचारियों एवं उनके परिवारों के पुनर्वास की मांग रखी। सांसद ने कहा कि ध्वस्तीकरण के बाद उत्पन्न संवेदनशीलता एवं गंभीर मानवीय संकट है।

    इस कांप्लेक्स में 22 दुकानें 30-35 वर्षों से संचालित थीं, जिन पर निर्भर दुकान मालिकों, कर्मचारियों और उनके परिवारों के सामने जीविका का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। मांग रखी कि ध्वस्त हुई छोटी व्यापारिक इकाइयों पर आश्रित परिवारों के लिए अल्पकालिक वित्तीय सहायता या सरकारी स्वरोजगार एवं पुनर्वास योजनाओं के तहत लाभ दिया जाए। सुझाव दिया है कि यदि विधिक रूप से संभव हो तो ध्वस्त हुए उक्त भूखंड पर व्यावसायिक भू-उपयोग संबंधी नियमों एवं अनुमतियों का पालन करते हुए एक नया व्यावसायिक परिसर बनवाया जाए। इससे व्यापारियों को संबल मिलेगा।