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    लोग नहीं माने तो...मेरठ में भी न हो जाए अमृतसर जैसा रेल हादसा

    By Edited By:
    Updated: Sun, 21 Oct 2018 11:14 AM (IST)

    अमृतसर में रेलवे ट्रैक पर दर्जनों लोगों की जान चली गई है। गौरतलब बात यह है कि मेरठ में भी ऐसे कई इलाके हैं, जहां रेलवे ट्रैक के पास लोगों का आवागमन होता है।

    लोग नहीं माने तो...मेरठ में भी न हो जाए अमृतसर जैसा रेल हादसा

    मेरठ (जेएनएन)। अमृतसर में रेलवे ट्रैक पर दर्जनों लोगों की जान चली गई है। गौरतलब बात यह है कि मेरठ में भी ऐसे कई इलाके हैं, जहां रेलवे ट्रैक के पास लोगों का आवागमन होता है। कई जगह झुग्गी झोपडि़यां बनी हुई हैं। सिटी स्टेशन पर तो अधिकांश लोग एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म जाने के लिए पुल का प्रयोग ही नहीं करते। इस दौरान रेलवे स्टाफ और आरपीएफ मूकदर्शक बने रहते हैं।

    मलियाना में कई स्पॉट
    सघन आबादी वाले मलियाना में कई ऐसे स्पाट हैं, जहां बहुत से रेलवे ट्रैक बिछे हुए हैं। लोगों का आवागमन ट्रैक के आसपास से होता है। यहां पर कोई दीवार भी नहीं है जो कालोनी को ट्रैक से अलग करती हो। नई बस्ती, नवीन मंडी पास, रोहटा रोड पुल के नीचे लोग ट्रैक पर चहलकदमी करते देखे जा सकते हैं। भीड़ होने या जाम लगने पर यहां भी दुर्घटना का अंदेशा रहता है। बावजूद रेलवे प्रशासन कोई संज्ञान नहीं ले रहा है। पावली स्टेशन पर छह माह पूर्व रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण का कार्य चला था। इस दौरान ट्रैक के आसपास बनी झुग्गी झोपड़ियों को हटाया गया था। अभी काफी संख्या में झुग्गी-झोपड़ियां वहां पर बनी हुई हैं। इनमें रहने वाले बच्चे और बड़ों को ट्रैक पर चहलकदमी करते देखा जा सकता है। यहां भी हादसे का अंदेशा बना रहता है।

    रेल हादसे पर दो मिनट का मौन
    यूथ कांग्रेस ने बढ़ती महंगाई के विरोध में शनिवार को बच्चा पार्क में विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया था, लेकिन अमृतसर में हुई रेल दुर्घटना के बाद प्रदर्शन स्थगति कर दिया गया। हादसे में मरे लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर दो मिनट का मौन रखा। शोक सभा में लोस अध्यक्ष युगांश राणा ने कहा कि आए दिन रेल हादसे हो रहे हैं। ऐसे में सरकार को हादसे रोकने के लिए कारगर योजना तैयार करनी चाहिए।

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