मेजर ध्यानचंद की 65 साल पुरानी हाकी का मेरठ कनेक्शन, अब यह झांसी के म्यूजियम की बढ़ाएगी शोभा
मेरठ में पंडित सोहनलाल शर्मा ने 1915 में हाकी निर्माण शुरू किया था। हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद उनकी कंपनी में बने हाकी का उपयोग करते थे। उसी दौरान की तीन हाकी आज भी रखी हैं। मेजर ध्यानचंद मेरठ में तैनात रहने के दौरान ही रिटायर हुए थे।

मेरठ, जागरण संवाददाता। हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर एक म्यूजियम झांसी में निर्माणाधीन है। इस म्यूजियम की शोभा उनकी मेरठ में करीब 65 साल पहले बनी हाकी बढ़ाएगी। इस खेल दिवस पर मेरठ के पूर्व हाकी खिलाड़ी व प्रशिक्षक सतीश शर्मा मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद को झांसी में इसे भेंट करेंगे।
पंडित सोहनलाल की फैक्ट्री से हाकी ले जाते थे ध्यानचंद
शनिवार को शास्त्रीनगर में कीड़ा भारती के अध्यक्ष अश्विनी गुप्ता के घर आयोजित प्रेस वार्ता में सतीश शर्मा ने बताया कि मेरठ में ही जन्मे अशोक ध्यानचंद उनसे करीब 10 साल बड़े थे और उनकी मुलाकात अक्सर पंडित सोहनलाल की हाकी फैक्ट्री में हुआ करती थी। मेजर ध्यानचंद भी वहां पंडितजी के साथ काफी समय बिताया करते थे। वहीं से वह समय-समय पर हाकी प्रतियोगिता या अन्य मैच खेलने के लिए हाकी भी ले जाया करते थे। उसी दौरान की तीन हाकी अभी भी उनके यहां रखी है।
हाकी रविवार को झांसी लेकर जाएंगे सतीश शर्मा
वर्तमान में संस्था का कारोबार पंडित सोहनलाल शर्मा के पोते अरुण शर्मा पुत्र वैष्णो लाल शर्मा संभाल रहे हैं। उन्होंने ही यह हाकी पंडित सतीश शर्मा को दी है जिसे वह रविवार को झांसी लेकर जाएंगे। सतीश शर्मा बताते हैं कि छोटी उम्र में जब उनकी मुलाकात अशोक ध्यानचंद के जरिए मेजर ध्यानचंद से हुआ करती थी। तब उनसे जिज्ञासावश कई यादगार मैचों के बारे में पूछा करते थे।
भाई रूप सिंह को श्रेय देते थे ध्यानचंद
किसी अच्छे गोल की तारीफ करते ही दद्दा कहते कि वह गोल उन्होंने नहीं बल्कि रूप सिंह से मिली अच्छी गेंद के कारण वह मार सके। रूप सिंह मेजर ध्यानचंद के भाई थे और दोनों ने साथ में ही हाकी मैच खेले और ओलंपिक गेम्स तक गए। रूप सिंह के नाम आज भी जर्मनी में एक सड़क का नाम दर्ज है। सतीश शर्मा के साथ हापुड़ के एयरफ़ोर्स ऑफिसर दीपक त्यागी भी झांसी जा रहे हैं।
1915 में पंडित सोहनलाल ने शुरू किया था हाकी बनाना
अरुण शर्मा ने बताया कि उस जमाने में ऐसे कोई खिलाड़ी नहीं रहे, जिन्होंने 1915 में शुरू हुई सोहनलाल हाकी मेकर में बनी हाकी से न खेला हो। मेरठ में ही 10 से 12 साल पंजाब रेजिमेंटल सेंटर में सेवारत रहने के बाद यहीं से सेवानिवृत्त हुए मेजर ध्यानचंद उनकी कंपनी में बने हाकी का ही इस्तेमाल किया करते थे।
'इस हाकी को देखना गौरव की बात'
क्रीड़ा भारती के अध्यक्ष अश्वनी गुप्ता ने कहा कि ऐसी हाकी को देख पाना ही गौरव की बात है और अब मेजर ध्यानचंद के नाम बन रहे खेल विश्वविद्यालय से मेरठ का नाम दुनिया भर में एक बार फिर चमक उठेगा। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही अशोक ध्यानचंद को भी मेरठ में आमंत्रित करेंगे। मेरठ में कृष्ण रोड निवासी सुशील शर्मा ने भी स्वर्गीय मेजर ध्यानचंद के साथ हाकी खेली थी।
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