महर्षि दयानंद सरस्वती ने रोपा था मेरठ में आर्य समाज का पौधा
स्वामी दयानंद सरस्वती ने 29 सितंबर 1878 में जनपद में आर्य समाज की नींव रखी थी। यह देश्

मेरठ,जेएनएन। स्वामी दयानंद सरस्वती ने 29 सितंबर 1878 में जनपद में आर्य समाज की नींव रखी थी। यह देश में चौथी संस्था थी। इसके पहले उन्होंने मुंबई, लाहौर और रुड़की में आर्य समाज की स्थापना की थी। उनका रोपा हुआ बीज आज विशाल वृक्ष बन चुका है।
महर्षि दयानंद ने पत्थरवालान निवासी सेठ रामशरण दास के निवास पर की थी। वर्तमान में बुढ़ाना गेट आर्य समाज की स्थापना के लिए 1884 में भूमि खरीदी गई थी। स्वामी दयानंद ने वैदिक संस्कारों के प्रचार प्रसार के लिए 1866 में मार्च के प्रथम सप्ताह में मेरठ आए और सूरजकुंड स्थित देवी मंदिर में में रहे। यहां से 12 मार्च को हरिद्वार पहुंचे। 1867 के हरिद्वार कुंभ मेले से लौटते समय स्वामी दयानंद परीक्षित गढ़ और गढ़ मुक्तेश्वर आए। 16 जनवरी 1977 को दिल्ली से मेरठ आए। सूरजकुंड स्थित महताब सिंह की कोठी में ठहरे। 26 अगस्त 1878 को अलीगढ़ से मेरठ आए। 15 जनवरी 1879 को हरिद्वार में कुंभ मेले जाते समय मेरठ आए। मेले में भाग लेने के लिए प्रचार प्रसार करते हुए 16 फरवरी को हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया। तीन मई 1879 मेरठ छावनी आए थे। आठ जुलाई 1880 से 15 सितंबर 1880 तक स्वामी दयानंद ने मेरठ में प्रवास किया। 27 सितंबर से 6 अक्टूबर 1880 तक मेरठ में प्रवास 21 नवंबर से 26 नवंबर 1880 तक मेरठ में प्रवास
इन्होंने कहा-
आर्य कुमार सभा का गठन फिर से करने की योजना है। इसमें 17 वर्ष आयु तक के बच्चों को संस्कारित किया जाएगा।
सुशील बंसल, मंत्री, आर्य समाज बुढ़ाना गेट
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बुढ़ाना गेट आर्य समाज की यज्ञशाला पहले काष्ठ की निर्मित थी। इसका बाद में जीर्णोद्धार किया गया है। मुख्य द्वार आज भी पूर्ववत है।
यशपाल आर्य, बुढ़ाना गेट आर्य समाज
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आर्य समाज ने युवाओं को संस्कारित करने के लिए स्कूल स्कूल पहुंचने की पहल की है।
राजेश सेठी, आर्य समाज थापर नगर
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