लेन सवारान के नाम से जानी जाती थी पत्थर वाली मस्जिद
खैरनगर पत्थर वाली मस्जिद का भव्य दरवाजा आज भी अपनी ओर आकर्षित करता है। मस्जिद के वास्तु में भी बहुत हद एकरूपता नजर आती है। पूरी मस्जिद लाल पत्थर से बन ...और पढ़ें

मेरठ । खैरनगर पत्थर वाली मस्जिद का भव्य दरवाजा आज भी अपनी ओर आकर्षित करता है। मस्जिद के वास्तु में भी बहुत हद एकरूपता नजर आती है। पूरी मस्जिद लाल पत्थर से बनी है। मस्जिद की इमारत 75 साल पुरानी है, जबकि यहां पर लगभग 105 साल से नमाज अदा हो रही है।
पत्थर वाली मस्जिद शहर के अति व्यस्त इलाके खैरनगर में स्थित है। मौजूद पत्थर की इमारत को 1944 में तामीर किया गया था। इसका नाम शाने इलाही पत्थरवाली मस्जिद है। इसके पहले यहां टीनशेड हुआ करता था। मस्जिद से लगा हुआ सरधना बस अड्डा था। यहां से माल ऊंट गाड़ियों पर लादकर दूसरे स्थानों पर भेजा जाता था। यहां सवारियों का आना जाना लगा रहता था। इस कारण इस जगह को लेन सवारान के नाम से भी जाना जाता है। मस्जिद को भी लेन सवारान मस्जिद के नाम से जाना जाता था। मस्जिद नायब सदर हाजी सलीमुद्दीन ने बताया कि वक्फ के रिकार्ड में मस्जिद के पहले मुतवल्ली का नाम नूर अहमद दर्ज है। मस्जिद के अंदर की इमारत में भी काफी एकरूपता है। दो मंजिला मस्जिद में दोनो ओर दो बरामदे बने हैं। मस्जिद का हुजरा (इमाम के बैठने की जगह और अंदर का हाल) पूरी तरह वातानुकूलित है। नमाजियों के लिए कूलर की भी व्यवस्था है। मस्जिद का रखरखाव कमेटी करती है, जिसके सदर हाजी इलियास ने बताया कि यहां पर 1914-15 से नमाज पढ़ी जाने लगी थी। यहां जुमे की नमाज पढ़ी जाती है। हालांकि मस्जिद की छत (डाट निर्मित) क्षतिग्रस्त हो रही है, इसको फिर से बनाने की योजना है। रमजान के बाद कार्य आरंभ किया जाएगा।

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