बच्चे का सिर सामान्य से बड़ा दिखे तो हो जाएं सावधान, हो सकता है हाइड्रोसेफलस, पढ़िए क्या है बीमारी और इलाज
बच्चे का सिर सामान्य से बड़ा दिख रहा है तो हो जाएं सावधान हो सकता है हाइड्रोसेफलस मेडिकल कालेज में आ रहे इसके मरीज। सर्जरी के बाद मरीज सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। पिछले एक साल में पचास से अधिक सर्जरी हुई हैं। मरीजों में अधिकांश बच्चे हैं।

मेरठ, जागरण संवाददाता प्रवीण वशिष्ठ। मस्तिष्क की बीमारी हाइड्रोसेफलस बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। उनमें यह जन्मजात भी हो सकती है। सिर अपेक्षाकृत बड़ा दिखना इसकी मुख्य पहचान है। व्यस्कों में हादसे में मस्तिष्क को चोट पहुंचना व दिमाग की टीबी आदि इसके कारण हो सकते हैं। सर्जरी से हाइड्रोसेफलस का उपचार संभव है। हालांकि समय से इलाज शुरू होने पर यह गंभीर हो जाती है और मस्तिष्क कार्य करना बंद कर देता है। मरीज की जान भी जा सकती है। मेडिकल कालेज के न्यूरोसर्जरी विभाग में हर माह औसतन इसकी तीन-चार सर्जरी हो रही हैं। मरीजों में अधिकांश बच्चे हैं।
क्या होता है हाइड्रोसेफलस रोग
- चिकित्सकों के अनुसार मस्तिष्क में चार थैलियों में पानी पैदा होता रहता है। उक्त थैलियां एक-दूसरे
- से पाइप के जरिये जुड़ी होती हैं। पाइप से पानी एक-दूसरे की थैली में जाता है। यह रीढ़ की हड्डी से होता हुआ शरीर में
- चला जाता है। पाइप का छेद किसी कारण से बंद या संकरा होने पर संबंधित थैली में पानी भरने लगता है। ज्यादा पानी
- जमा हो जाने से सूजन आ जाती है। दिमाग दबने लगता और काम करना कम कर देता है।
- हाइड्रोसेफलस के प्रमुख लक्षण
- बाल रोग विशेषज्ञ डा. उमंग अरोड़ा कहते हैं कि जन्म से पूर्व अल्ट्रासाउंड में बच्चे का सिर अधिक बड़ा दिखने पर इस
- बीमारी की जानकारी हो जाती है। जन्म के बाद कुछ माह या कुछ वर्षों में असामान्य बढ़त दिखती है तो सीटी स्कैन
- अथवा एमआरआई कराते हैं। इस बीमारी का पता चलने पर न्यूरोसर्जन को रेफर करते हैं। समय से पूर्व जन्में बच्चों में भी यह बीमारी होने की संभावना सामान्य बच्चों से अधिक होती है। अभिभावक भी बच्चे का सिर अपेक्षाकृत बड़ा दिखने, उसे आंखों से कम दिखने, काक फूला दिखने, दूध न पीने, सुस्ती, चिड़चिड़ा होने, उल्टी होने आदि लक्षण दिखने पर डाक्टर से संपर्क करें। कई बार बच्चे या बड़े व्यक्ति को सिर में चोट लगने आदि कारणों से भी यह बीमारी हो जाती है।
सर्जरी से होता है पूर्ण निदान
मेडिकल कालेज में न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष व आचार्य डा. अखिल प्रकाश शर्मा का कहना है कि हाइड्रोसेफलस का पूर्ण निदान सर्जरी ही संभव है। सर्जरी दो प्रकार से की जाती है। एंडोस्कोप से दिमाग की एक झिल्ली से छेद बनाकर या दिमाग में शंट डालकर। मरीज की स्थिति के अनुसार दोनों में से कोई एक विधि अपनाई जाती है। इससे दिमाग में जमा अतिरिक्ति पानी सोखने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
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