Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kartik Purnima: कब से शुरू हुआ स्नान? हर-हर गंगे के जयघोष से गूंजा यूपी का मखदूमपुर गंगा घाट

    Updated: Fri, 15 Nov 2024 03:21 PM (IST)

    मखदूमपुर घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया। मध्य रात्रि से शुरू हुआ स्नान शुक्रवार तड़के तक जारी रहा। मेले में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा लेकिन घाट पर अतिक्रमण और कमजोर व्यवस्था के कारण कई समस्याएँ पैदा हुईं। जाम की स्थिति के साथ-साथ महिलाओं को कपड़े बदलने में परेशानी का सामना करना पड़ा।

    Hero Image
    मोक्षदायिनी मां गंगा स्थित मखदूमपुर घाट - जागरण

    जागरण संवाददाता, मवाना। मोक्षदायिनी मां गंगा स्थित मखदूमपुर घाट पर शुक्रवार को लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया। गंगा घाट हर-हर गंगे, जय मां गंगे के उदघोष से गुंजायमान रहा। लाखों श्रद्धालुओं ने पर्व की डुबकी लगाई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मखदूमपुर गंगा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के पर्व पर गुरुवार को मध्य रात्रि से ही स्नान शुरू हो गया था। पो फटने तक शुक्रवार तड़के लगभग डेढ़ से दो लाख से अधिक लोगों ने गंगा मैया में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की और सूर्य देव को अर्घ्य समर्पित किए। पूर्णिमा के अवसर पर गत दिवस को दीपदान के बाद अद्धरात्रि से मुख्य स्नान शुरू हो गया था।

    पूरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। वहीं, कई दिनों से गंगा के घाट पर जमे श्रद्धालु भी स्नान के बाद भैंसा-बुग्गी, ट्रैक्टर-ट्राली व कारों से वापस लौटने लगे। जिसके चलते कई स्थानों पर जाम की स्थिति रही और मशक्कत के बाद मुख्य रास्ते तक पहुंच पाएं। उधर, शांति पूर्ण मेला संपन होने पर पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने राहत की सांस ली।

    मेरठ गोल तीर्थ में गंगा मेला

    गंगा की रेती में बसी तंबुओं की नगरी छटने लगी

    मेले में श्रद्धालु कई दिन पहले ही यहां पहुंचकर तंबुओं में बस गए थे। जिसके चलते तंबुओं की नगरी से दो किलोमीटर क्षेत्र में आकर ले लिया था। जिसके चलते एक पूरा नगर सा बस गया था। वहीं, गंगा तीरे तंबू नगरी सी बस गई। मध्यरात जैसे ही मुख्य स्नान शुरू हुआ वैसे ही तंबुओं की नगरी उखड़ने लगी। दोपहर तक यह वीरान सी हो गई।

    मेरठ गोल तीर्थ में गंगा मेला

    कमजोर घाट होने के कारण व्यवस्था हुई ध्वस्त

    मेला प्रसाशन द्वारा भले ही अव्यवस्था दुरुस्त करने के दावे किए लेकिन अंतिम दिन श्रद्धालुओं का जैसे ही सैलाब उमड़ा व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई। घाट पर अतिक्रमण होने के कारण यह स्थिति और बेकाबू हुई। महिलाओं को कपड़े बदलने में भारी परेशानी उठानी पड़ी। जबकि उक्त घाट के बैरिकेडिंग भी टूट गए और पानी के स्तर को बताने को एनडीआरएफ, पीएसी मोटरवोट में तैनात रही।

    मेले से मवाना तक जाम की स्थिति रही

    मध्यरात से श्रद्धालुओं का सैलाब वापस घर जाने के लिए बुग्गी-भैंसा और ट्रैक्टर-ट्राली से सड़क पर उतरा वैसे ही जाम की स्थिति बन गई। उधर, उड़ती धूल भी गंभीर समस्या बनी हुई रही।

    शिविर ने बिछड़ों को मिलाया, खिचड़ी का प्रसाद किया वितरण किया

    गंगा में स्नान करते समय कई परिवारों के छोटे बच्चे भीड़ में ही छूट गए। जिन्हें बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एनाउंसमेंट कर उनके परिजनों से मिलाया। वहीं जिला पंचायत के शिविर में भी एलाउंस किया गया। वहीं, बजरंग दल शिविर में खिचड़ी व हलवे का प्रसाद वितरण किया गया। जिसके लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

    भूसंपदा चोरों करने वाले माफियों ने यातायात व्यवस्था चरमराई

    मखदूमपुर गांव की सड़क से तीन किलोमीटर दूरी है। हालांकि बजट भी अच्छा खासा जीएसटी समेत पचास लाख से अधिक का रहा लेकिन रास्ता फिर भी चरमरा गया। कच्चे रास्तों में जगह-जगह गड्ढे होने से ज्यादा समस्या बनी। श्रद्धालुओं का रैला वापस लौट रहा था उस समय काफी वाहन रेती में फंसे नजर आए। क्योंकि जिपं द्वारा बनायी गई सड़के जगह जगह से धंस गई। जिस कारण श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस मुख्य वजह यह भी रही कि रात से खनन माफिया सक्रिय हो गए और ट्रैक्टर-ट्रालियों से संपदा की ढुलाई करते रहे।