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    कैराना का किराना घराने से किनारा, उस्ताद अब्दुल करीम खान का योगदान भूली युवा पीढ़ी

    By Parveen VashishtaEdited By:
    Updated: Thu, 11 Nov 2021 09:47 AM (IST)

    11 नवंबर 1872 को कैराना में काले खां के घर जन्मे उस्ताद अब्दुल करीम खां ने भारतीय शास्त्रीय संगीत से दुनिया को रूबरू कराया। कैराना के नाम पर ही किराना घराने का नाम पड़ा लेकिन अफसोस है कि कैराना में उनके नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी है।

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    किराना घराने के जनक और संगीत की दुनिया की अजीम-ओ-शान शख्सियत उस्ताद अब्दुल करीम खान

    शामली, योगेश कुमार 'राज'। भारतीय शास्त्रीय संगीत और हिंदुस्तानी ख्याल गायकी के जनक, ख्याल गायकी में अति-विलंबित लय से दुनिया को परिचित कराने वाले किराना घराने के जनक और संगीत की दुनिया की अजीम-ओ-शान शख्सियत उस्ताद अब्दुल करीम अपने ही घर में बेगाने हैं। आज उनका जन्मदिन है। 11 नवंबर को संगीत की मशहूर हस्तियां पूरी दुनिया में उनका जन्मदिन मनाती हैं, लेकिन कैराना में उनको और उनके हुनर को युवा पीढ़ी भूल गई है। तीन दिन पहले यहां आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किराना घराने का जिक्र किया तो अब्दुल करीम की उपेक्षा के दंश को फिर से ताजा कर दिया।

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    आज है उस्ताद अब्दुल करीम खां का जन्मदिन

    11 नवंबर 1872 को कैराना में काले खां के घर जन्मे उस्ताद अब्दुल करीम खां ने भारतीय शास्त्रीय संगीत से दुनिया को रूबरू कराया। कैराना के नाम पर ही किराना घराने का नाम पड़ा। उन्होंने हिंदुस्तानी ख्याल गायकी और भारतीय शास्त्रीय संगीत की शुरुआत की। उनके भतीजे अब्दुल वाहिद खान ने ख्याल गायिकी में अति-विलंबित लय से दुनिया को अवगत कराया।

    मशहूर गायक मोहम्मद रफी ने इसी घराने से सीखी गायकी

    मशहूर गायक मोहम्मद रफी ने इसी घराने से गायकी सीखी। भीमसैन जोशी, गंगूबाई हंगल, सवाई गंधर्व, सुरेश बाबू माने, रोशन आरा, बेगम अख्तर, हीराबाई बादोड़कर इसी घराने के शागिर्द थे। मुगल शासक जहांगीर के समय में आई भयंकर बाढ़ में संगीतकारों के घर नष्ट हो गए थे। इसलिए सभी संगीतकारों को कैराना में बसाया। उस्ताद अब्दुल करीब के वंशज काफी पहले कैराना छोड़कर चले गए थे और पश्चिम बंगाल में रहते हैं।

    मन्ना डे ने हाथों में उठा लिए थे जूते

    मशूहर गायक मन्ना डे जब कैराना आए थे तो किराना घराने के सम्मान में उन्होंने अपने जूते उतारकर हाथों में ले लिए थे। उन्होंने कहा था कि इतनी पवित्र भूमि पर मैं जूते पहनकर नहीं चल सकता।

    दैनिक जागरण ने उठाया था उपेक्षा का मामला 

    करीब ढाई साल पहले दैनिक जागरण ने किराना घराने की उपेक्षा का मुद्दा उठाया था। कैराना विधायक नाहिद हसन ने मामला सदन में उठाया तो संगीतप्रेमी विधानसभा अध्यक्ष ह्दय नारायण दीक्षित ने समिति गठित कर स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया कि उस्ताद अब्दुल करीम और संगीतज्ञों के स्मारक और उनके घरों को अधिग्रहीत कर वहां म्यूजियम बनाने का प्रस्ताव एक माह में भेजा जाए। सरकारी उपेक्षा के चलते यह फाइल भी धूल फांक रही है।

    कैराना का नाम किराना होना चाहिए

    उस्ताद अब्दुल करीम खां के वंशज और कोलकाता की संगीत रिसर्च अकादमी के पूर्व प्रवक्ता उस्ताद मशकूर अली खां ने कहा कि कैराना की धरती खासकर उस्ताद अब्दुल करीम खां व वहीद खां के खानदान में जन्म लेने पर हमें फख्र है लेकिन अफसोस है कि कैराना में उस्ताद अब्दुल करीम के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी है। कैराना का नाम किराना करना भी उस्ताद को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। करीम खां के प्रपौत्र उस्ताद अफजाल सोनी का कहना है कि कैराना का नाम किराना होने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मान पूरी दुनिया में बढ़ेगा।

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