टिकटों में जाट-गुर्जर का दबदबा, सामान्य वर्ग हाशिए पर
पंचायत चुनावों में भाजपा ने किसान आदोलन की काट खोजने पर ध्यान केंद्रित करते हुए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

मेरठ, जेएनएन। पंचायत चुनावों में भाजपा ने किसान आदोलन की काट खोजने पर ध्यान केंद्रित करते हुए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। जातिगत समीकरण साधते हुए जाट-गुर्जर कार्ड जमकर खेला है। अनुसूचित और ओबीसी चेहरे बड़ी संख्या में मैदान में हैं। सामान्य वर्ग कहीं पीछे छूट गया है। मेरठ की जिला पंचायत सीट इस बार सामान्य वर्ग के खाते में थी, लेकिन इस वर्ग की दमदार दावेदारी नजर नहीं आ रही। पार्टी का खाटी वोटर रहा ब्राह्मण-वैश्य को टिकटों में तवज्जो नहीं मिली। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा ने आगामी विस चुनावों को ध्यान में रखते हुए पिछड़ों को साधा है। जाटों को सबसे ज्यादा टिकट मिले हैं।
..2022 विस चुनावों तक नजर
किसान आदोलन की तपिश से घिरी भाजपा पंचायत चुनावों के बहाने किसानों के बीच ताकत दिखाने के लिए उतरी है। इस बार रालोद भी किसानी के मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में है। पंचायत चुनावों में भाजपा ने पहली बार प्रत्याशी उतारे हैं। पार्टी ने किसान आदोलन की नब्ज को समझते हुए जाट-गुर्जरों को खास तवज्जो दी है। पार्टी इसी बहाने चौ. अजित सिंह और किसान नेता राकेश टिकैत की घेराबंदी का भी जवाब देना चाहेगी। कश्यप, सैनी, कोरी, पाल, वाल्मीकि और खटीक को भी प्रतिनिधित्व मिला है। मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, शामली, और मुजफ्फरनगर में उतारे गए उम्मीदवारों में सर्वाधिक 38 जाट हैं और 26 प्रत्याशी गुर्जर वर्ग से हैं। मेरठ के 33 वार्डो में दस गुर्जर, पाच जाट, छह ठाकुर हैं और सिर्फ एक ब्राह्मण को टिकट मिला। मुजफ्फरनगर के 43 वार्डो में 14 जाट, चार गुर्जर, चार पाल, तीन-तीन ठाकुर, सैनी व कश्यप हैं। गाजियाबाद में 14 में 12 वार्डो के प्रत्याशी घोषित किए गए। यहा भी चार जाट, तीन गुर्जर हैं, जबकि पार्टी ने यहा पर अनुसूचित वर्ग के तीन उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है। बागपत को सियासत में जाटों का गढ़ माना जाता रहा है, जिसकी पूरी छाप पंचायत चुनावों में भी उभरी है। यहां पार्टी ने 20 वार्डो में दस टिकट जाटों को दिए हैं। दूसरे नंबर पर चार गुर्जर चेहरे हैं, वहीं दो-दो कश्यप और अनुसूचित वर्ग के लोग हैं। शामली में 19 वार्डो की तस्वीर भी तकरीबन ऐसी ही है। यहा पाच-पाच टिकट जाट-गुर्जर को मिले हैं। तीन कश्यप चेहरों के बहाने ओबीसी को साधा गया है, वहीं दो ठाकुरों को भी तवज्जो मिली है। ब्राह्मण, वाल्मीकि व कोरी को एक-एक टिकट मिला है। आसपास के पाच जिलों में 129 वार्डो में महज तीन ब्राह्माण, 12 ठाकुर मैदान में उतारे गए हैं। अनुसूचित वर्ग के 20 चेहरों पर दाव खेला गया है। वैश्य वर्ग को शहरी बताकर पश्चिम उप्र के चुनावी दंगल से तकरीबन बाहर रखा गया है।
जिला वार्डो की संख्या
मुजफ्फरनगर 43
मेरठ 33
गाजियाबाद 14
बागपत 20
शामली 19
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