छिपकली का अंग है हत्था जोड़ी
स्थानीय तांत्रिक से लेकर ऑनलाइन बैठे बाबा हत्था जोड़ी सिद्ध करने के लिए अलग-अलग प्राइस टैग का इस्तेमाल करते है, जबकि यह किसी पौधे की जड़ नही,बल्कि छिपकली के नर प्रजाति का जननांग होता है।
अमित तिवारी, मेरठ<ढ्डह्म> स्थानीय तांत्रिक से लेकर ऑनलाइन बैठे बाबा हत्था जोड़ी सिद्ध करने के लिए अलग-अलग प्राइस टैग का इस्तेमाल करते है, जबकि यह किसी पौधे की जड़ नही,बल्कि छिपकली के नर प्रजाति का जननांग होता है। वन्य जीवो के गोरखधंधे से जुड़े लोग हत्था जोड़ी को हिमालय से लाने का दावा कर मोटी रकम वसूलते है। <ढ्डह्म> यह है हत्था जोड़ी<ढ्डह्म> हत्था जोड़ी पौधे की सूखी हुई जड़ की तरह दिखता है। इसका वैज्ञानिक नाम हेमिपेनिस होता है। इस प्रकार का जननांग सांप व छिपकली प्रजाति मे पाए जाते है। यह देखने मे नमस्कार की मुद्रा मे जुड़े हाथ की तरह प्रतीत होता है। <ढ्डह्म> विषखोपड़ा बताकर होता है शिकार<ढ्डह्म> ग्रामीण अंचलो मे मोनिटर लिजर्ड को विषखोपड़ा के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसके काटने से मौके पर ही मृत्यु हो जाती है। यह अक्सर खेतो मे पाया जाता है। लोगो के डर का लाभ लेकर शिकारी ग्रामीण लोगो की मदद से ही इन्हे पकड़ते है। <ढ्डह्म> जैसा ग्राहक, वैसी कीमत<ढ्डह्म> मेरठ सहित पश्चिमी उलार प्रदेश और उलार भारत के अधिकतर ग्रामीण अंचलो मे स्थानीय स्तर पर असली हत्था जोड़ी एक सौ से तीन हजार रुपये तक बिकते है। फिश या मीट मार्केट के निकट जिंदा मोनिटर लिजर्ड खाद्य सामग्री के तौर पर चार सौ से दो हजार रुपये तक बेचे जाते है। <ढ्डह्म> कानूनन अपराध है हत्था जोड़ी का इस्तेमाल<ढ्डह्म> भारत मे पाई जाने वाली सभी चारो प्रजातियां वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1972 के अंतर्गत शेड्यूल-वन मे आते है। इंडियन वॉटर मोनिटर को कंवेशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड इन एन्डेजर्ड स्पेसीज ऑफ वाइल्ड फावना एंड फ्लोरा (सीआइटीईएस) की अपेडिग्स-टू मे भी शामिल है।<ढ्डह्म> जागरूकता लाने से बदलेगी तस्वीर<ढ्डह्म> ट्रैफिक इंडिया के पूर्व सलाहकार रहे जाने-माने वाइल्डलाइफ ट्रेड एक्सपर्ट अबरार अहमद के मुताबिक, उलार भारत मे ग्रामीण अंचलो मे मदारी, कालबेलिया, नाथ सपेरा, साधू या भिखारी की वेशभूषा मे लोग इन्हे स्थानीय बाजारो मे बेचते है। लोगो को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की जरुरत है।<ढ्डह्म> <ढ्डह्म> इनका कहना-<ढ्डह्म> मोनिटर लिजर्ड संकट ग्रस्त प्रजाति का जीव है। इसकी तस्करी अंधविश्र्वास पर आधारित तंत्र क्रियाओ के लिए की जाती है। यह कानूनी प्रतिबंधित है। <ढ्डह्म> -ललित वर्मा, मुख्य वन संरक्षक, मेरठ क्षेत्र।
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