देव भूमि से भारतीय सेना का पाकिस्तान को संदेश, जमीन, पानी और हवा में किया युद्धाभ्यास
शनिवार को सेना के रैम युद्धाभ्यास में टैंकों और सैनिकों ने कठिन परिस्थितियों में युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया। काटों भरी झाड़ियों, पथरीले रास्तों और छोटी पहाड़ियों को पार करते हुए टैंकों ने नदी तक पहुँच बनाई, जहाँ मिनटों में पुल बनाकर उन्हें पार कराया गया। गोलियों की बौछार के बीच ज़मीन, पानी और हवा से एयरक्राफ्ट, अटैक रैप्टर्स और ड्रोन की सहायता से दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले का अभ्यास किया गया।

जागरण संवाददाता मेरठ। काटों भरी झाड़ियों को चीर कर निकलते टैंक और उनके पीछे से दुश्मन पर निशाना साध हमला करते सैनिक। पथरीले रास्तों और छोटी पहाड़ियों के बीच से निकल नदी को पार कर हमला करते टैंक। नदी पर मिनटों में टैंकों को निकलने के लिए पुल बनाना, गोलियों की बौछार के बीच दुश्मन पर जमीन के साथ ही पानी और हवा में एयरक्राफ्ट और अटैक रैप्टर्स से हमला और दुश्मन के ठिकानों का सर्विलांस ड्रोन से पता लगाकर सटीक हमला करना। यह सब शनिवार को सेना के रैम युद्धाभ्यास का हिस्सा था।
देवभूमि उत्तराखंड से भारती सेना ने दुश्मनों को स्पष्ट संदेश दिया है कि ‘हर काम देश के नाम’ समर्पित कर सेना देश की सीमाओं की रक्षा के लिए हर सीमा को पार करने के लिए भी तैयार है। यह सीमाएं शारीरिक क्षमता, तकनीकी दक्षता, लड़ाकू मानसिकता की हैं। मेरठ छावनी स्थित चार्जिंग रैम डिवीजन ने हरिद्वार ने झिलमिल झील रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र में करीब 12,000 सैनिकों और अफसरों के साथ एक महीने तक ‘रैम प्रहार’ युद्धाभ्यास किया।
रैम प्रहार युद्धाभ्यास समाप्त
भारतीय सेना के पश्चिमी कमान की खड़ग कोर के अंतर्गत आने वाली चार्जिंग रैम डिवीजन के रैम प्रहार युद्धाभ्यास का शनिवार को समापन हुुआ। इस एकीकृत युद्धाभ्यास में सेना, वायुसेना और अन्य सेवाओं का बेहतरीन तालमेल देखने को मिला। यह अभ्यास इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना अब और अधिक तेज, आधुनिक, तकनीक-सक्षम और बहु-क्षेत्रीय युद्ध क्षमता के साथ भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार है।
अभ्यास से पहले रैम डिविजन ने विभिन्न युद्धाभ्यास ड्रिल्स, टैक्टिक्स–टेक्नीक–प्रोसीजर (टीटीपी) का परीक्षण किया। अभ्यास के दौरान तोपखाना, पैदल सेना, इंजीनियर और आर्मी एविएशन ने मिलकर वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में समन्वित अभियान चलाया।
आधुनिक स्वदेशी उपकरण बढ़ा रहे सेना की दक्षता
सेना की ओर से इस युद्धाभ्यास में अधिकतर उपकरण स्वदेशी इस्तेमाल किए गए हैं। इसमें ड्रोन सहित कुछ उपकरण सेना ने खुद अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए हैं। युद्धाभ्यास में शामिल अत्याधुनिक उपकरणों में आइआरएस यानी इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकानिसेंस) सिस्टम, एआइ आधारित निर्णय सहायता तंत्र और नेटवर्क-सक्षम कमांड–कंट्रोल सिस्टम का व्यापक उपयोग किया गया। इन तकनीकों ने यह साबित किया कि भारतीय सेना जटिल और तकनीक-प्रधान युद्धक्षेत्रों में भी तुरंत और सटीक निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम है।

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