ब्रह्मांड का सूक्ष्म रूप है मानव शरीर...पंच महाभूतों के असंतुलन से होते हैं शरीर में त्रिदोष
आचार्य सुशील बलूनी ने कहा कि मानव शरीर ब्रह्मांड का सूक्ष्म रूप है। जिस प्रकार ब्रह्मांड में ग्रह, नक्षत्र और तत्व हैं, वैसे ही शरीर में अंग, इंद्रियां और ऊर्जाएं हैं। शरीर ब्रह्मांड का प्रतिबिंब है, इसलिए इसका सम्मान करें। आत्मा शरीर का सार है, जो अमर है। ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है, इसलिए ज्ञान प्राप्त कर जीवन को सार्थक बनाएं।

सनातन सत्संग ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन रविवार को प्रचवन करते आचार्य सुशील बलूनी। सौ. आयोजक
संवाद सूत्र, जागरण. रोहटा (मेरठ)। किनौनी स्थित बजाज हिंदुस्तान शुगर मिल परिसर में आयोजित पांच दिवसीय सनातन सत्संग ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन रविवार को आचार्य सुशील बलूनी ने पंच महाभूतों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव शरीर ब्रह्मांड का सूक्ष्म रूप है। उन्होंने बताया कि पंच महाभूत पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार हैं और इन्हीं से शरीर में त्रिदोष वात, पित्त और कफ उत्पन्न होते हैं।
आचार्य बलूनी ने समझाया कि त्रिदोष मानव शरीर की संरचना, जन्म और विकास में मूल भूमिका निभाते हैं। शरीर के प्रत्येक अंग और उसकी कार्यप्रणाली इन्हीं तत्वों से नियंत्रित होती है। पंच महाभूत न केवल मानव शरीर बल्कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र की नींव भी हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन तत्वों का संतुलन बिगड़ता है तो शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं और प्रकृति में भी असंतुलन दिखाई देता है।
उन्होंने आगे कहा कि सनातन संस्कृति में पंच महाभूत का गहरा आध्यात्मिक महत्व है। ये केवल भौतिक तत्व नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा को जोड़ने वाले सेतु भी हैं। पृथ्वी स्थिरता, जल पवित्रता, अग्नि ऊर्जा, वायु गति और आकाश अनंतता का प्रतीक हैं। इन तत्वों के माध्यम से मनुष्य अपने भीतर और ब्रह्मांड के बीच संबंध का अनुभव कर सकता है। आयोजन में मुख्य यज्ञमान इकाई प्रमुख केपी सिंह रहे। इस अवसर पर प्रवीन कुमार श्रीवास्तव, परमानंद चौहान, संजीव गुप्ता, जयवीर सिंह, पंकज पवार, आनंद प्रकाश गुप्ता, डीके शुक्ला, डीके जैन, देवेंद्र भाटी, नीरज कुमार, धर्मवीर सिंह, जगन्नाथ सिंह, आदेश तोमर, लोकेश राणा, राजीव चौधरी, नीरज गुप्ता, विजय बालियान, मनीष दहिया, आदर्श राठी, दुष्यंत त्यागी, संदीप खोखर, कौशिक मंडल, नवीन डोगरा, दीपक कुमार सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहे।

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