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    Health By Yoga: बाह्य प्राणायाम दूर रखेगा आंतरिक समस्याएं, जानें इसके फायदे

    कई तरह के योग व प्राणायाम स्वास्थ्य को लाभ प्रदान कर सकते हैं। इनमें से एक है बाह्य प्राणायाम। इसे लेकर योग प्रशिक्षक आशीष शर्मा ने बताया कि बाह्य प्राणायाम समस्त उदर रोगों व श्वसन तंत्र को शक्ति प्रदान करने के लिए लाभकारी होता है। आइए जानते हैं खास बातें..

    By Himanshu DwivediEdited By: Updated: Tue, 25 May 2021 01:07 PM (IST)
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    जानिए बाह्य प्राणयाम से खुद को कैसे रखें सुरक्षित।

    मेरठ, जेएनएन। सभी जानते हैं कि योग सेहत को निखारने में काफी उपयोगी साबित हो सकता है। महामारी के दौरान इसका चलन भी बढ़ा है। कई तरह के योग व प्राणायाम स्वास्थ्य को लाभ प्रदान कर सकते हैं। इनमें से एक है बाह्य प्राणायाम। इसे लेकर योग प्रशिक्षक आशीष शर्मा ने बताया कि बाह्य प्राणायाम समस्त उदर रोगों व श्वसन तंत्र को शक्ति प्रदान करने के लिए लाभकारी होता है।

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    उन्होंने बताया कि जब व्यक्ति कपालभाति प्राणायाम करता है तब उसकी मूलाधार चक्र शक्ति जागृत होती है। इस जागृत हुई शक्ति का उर्धारोहण (उर्ध आरोहण) करने के लिए बाह्य प्राणायाम किया जाता है। इसे करने की तीन मुख्य क्रियाएं होती हैं। इसमें पहला पूरक (सांस भरना), दूसरा रेचक (सांस छोड़ना) व तीसरा कुंभक होती है।

    ऐसे करें बाह्य प्राणायाम

    सबसे पहले खुले स्थान पर आसन बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। शरीर को सीधा रख कर सांस शरीर से पूरी तरह से बाहर निकाल दें। अब सांस को बाहर रोक कर ही इस अवस्था में तीन तरह के बंध लगेंगे जिसमें पहला जालंधर बंध, उड्डियान बंध और मूल बंध। जालंधर बंध-सिर झुकाकर ठोड़ी को छाती से स्पर्श करा दें, उड्डियान बंध-पेट को पूरी तरह अंदर पीठ ओर खींच लें व मूल बंध लगाने के लिए नाभि से नीचे वाले भाग को खींच कर रखें। इसके बाद तीनों बंध लगाने के बाद जितना संभव हो रोककर रखें। फिर जब सांस लेनी हो तब तीनों बंध को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस श्वास लें। अब यही प्रक्रिया फिर से दोहराएं। इस दौरान ध्यान रहे यह प्राणायाम करने से पहले दैनिक क्रिया से निपटकर खाली पेट ही करें। शुरुआत में इस प्राणायाम का तीन से चार बार ही अभ्यास करें।

    बाह्य प्राणायाम के फायदे

    >फेफड़े के लिए बाह्य प्राणायाम काफी लाभदायक है।

    >आक्सीजन लेवल को बढ़ाने में मदद करता है।

    >मूत्रमार्ग से संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है।

    >इसका नियमित अभ्यास हíनया के रोगियों के लिए लाभकारी है।

    >पाचन प्रणाली मजबूत होती है और गैस व कब्ज से निजात मिलती है।

    >मधुमेह के रोगियों को भी लाभ होता है।

    >तनाव दूर करने व एकाग्रता बढ़ाने में मददगार बनता है।