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    Happy Birthday Kailash Kher: मेरठ से जुड़ी हैं बालीवुड गायक कैलाश खेर की यादें, पढ़ें- उनसे बातचीत के कुछ अंश

    By Himanshu DwivediEdited By:
    Updated: Wed, 07 Jul 2021 12:02 PM (IST)

    बालीवुड के चर्चित गायक और बाहुबली जैसी फिल्‍म में अपनी आवाज से लोगों के दिलों पर राज करने वाले कैलाश खेर का आज सात जुलाई को बर्थडे है। आइए उनसे जानते है मेरठ में बचपन से लेकर बालीवुड तक के सफर के बारे में...

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    मेरठ में बीता कैलाश खेर का बचपन।

    [विवेक राव], मेरठ। बालीवुड के चर्चित गायक और बाहुबली जैसी फिल्‍म में अपनी आवाज से लोगों के दिलों पर राज करने वाले कैलाश खेर का आज सात जुलाई को बर्थडे है। जिस आवाज को सुनकर आज लोग दीवाने हैं, उस आवाज को एक अंदाज देने के पीछे लंबा संघर्ष भी है। आज बालीवुड की फिल्‍मों में कैलाश खेर के लिए अलग तरीके के गाने बनाएं जाते हैं। पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले कैलाश खेर का मेरठ से बचपन का नाता है। दैनिक जागरण से फोन पर कैलाश खेर की लंबी बात हुई। उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें लोगों से जो प्रेम मिला है, वह उनकी सबसे बड़ी पूंजी है। आइए जानते हैं बाहुबली गायक कैलाश खेर ने और क्‍या कहा। पढ़िए, उन्‍हीं की जुबानी।

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    मेरठ के दौराला चीनी मिल के पास बीता बचपन

    सात जुलाई 1973 को मेरा जन्‍म हुआ। जन्‍म तो दिल्‍ली में हुआ, लेकिन बचपन पूरा मेरठ में ही बीता। दौराला चीनी मिल के पास मैं रहता था। मेरठ से बचपन की बहुत सारी यादें जुड़ी हुईं हैं। जिससे भूलना मुश्‍किल है। रिकार्डिंग और शूटिंग की व्‍यस्‍तता होने की वजह से मेरठ में आना कम हुआ है, लेकिन मेरठ यादों में हरदम रहता है। आइएएस निशांत जैन की शादी में मेरठ आया था। होटल ब्रावुरा में शादी थी। मुंबई से चार्टर प्‍लेन से परतापुर हवाई पट्टी पर उतरा था। मेरठ तेजी से बदल रहा है। उस समय बहुत अच्‍छा लगा है, मेरठ के लोग, प्रशासन सभी का सहयोग मिला था। इधर दिल्‍ली तो कई बार आना हुआ, मेरठ नहीं आ पाया। बीच में नौचंदी मेले में प्रोग्राम को लेकर बात चल रही थी, जो रुक गई।

    पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में सबसे अधिक प्रोग्राम किए

    मेरठ सहित पूरा उत्‍तर प्रदेश अपना लगता है। सभी देवताओं की भूमि है यह। अलीगढ़ महोत्‍सव, एटा महोत्‍सव, देवरिया महोत्‍सव आदि में कई लाइव प्रोग्राम कर चुका हूं। पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश से अधिक पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में प्रोग्राम किया है। सभी जगह स्‍नेह बहुत मिला है।

    फिल्‍मों से पहले गंगाघाट पर गाता था

    बालीवुड में जाने के विषय में पहले नहीं सोचा था। ऋषिकेश में गंगाघाट पर मैं गाता था। कुछ आध्‍यात्‍मिक रचनाएं होती थीं। आरती के समय गीत को सुनकर सारे साधु संत झूमने लगते थे। तब लगा है कि संगीत में कितनी ताकत होती है जिसका असर ह्रदय की गहराइयों में उतर जाता है। उस समय कुछ लोगों ने भ्रमित भी किया कि तबला सीख लें। बाहुबली से लेकर मेरे जीतने भी गाने हैं सभी में उसी आध्‍यात्‍मिकता का प्रभाव आज भी है।

    ग्‍लैमर की जगह अध्‍यात्‍म की पेशकश

    फिल्‍में ग्‍लैमर से भरी हुईं हैं। इस ग्‍लैमर के बीच मैंने अपने गानों से आध्‍यात्‍मिकता को जोड़ने की कोशिश की। जिसे नई पीढ़ी का भी अपार समर्थन मिला है। लोगों ने भी इस अंदाज को खूब पसंद किया, उन्‍हें लगा कि कैलाश खेर की आवाज में निर्गुण दिखता है।

    15 साल में 1500 गाने लिखे

    बालीवुड में मैंने पिछले 15 साल में 1500 गाने लिखे। इसमें 500 से अधिक गाने खुद लिखे भी। ईश्‍वर की क1पा से गायकी से लेकर उसके लिए धुन बनाने की कारीगरी करता हूं। आध्‍यात्‍मिक संगीत की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि फिल्‍मों में आध्‍यात्‍म का प्रभाव लाने के लिए हमारे लिए गाने बनते हैं।

    यूपी में फिल्‍म सिटी बनने की तैयारी

    उत्‍तर प्रदेश में भगवान राम, श्रीक़ष्‍ण की जन्‍मस्‍थान है। भगवान भोलेनाथ की बसाई काशी भी यहीं है। ऐसी जगह मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के प्रयास से फिल्‍म सिटी बनाने की योजना है। जब इसके लिए मुख्‍यमंत्री ने बैठक बुलाई थी, तो उसमें मैंने सुझाव दिया था कि यह पावन धरती है, यहां फिल्‍म सिटी कुछ अलग तरीके से बने, जो किसी की नकल न हो। सूचना है कि फिल्‍म सिटी के लिए एक कमेटी गठित हो गई है। इसके लिए आगे की तैयारी चल रही है।

    यूं नहीं किसी के दिल में नहीं मिलती जगह

    आज नई पीढ़ी भी बदल रही है, दुनिया भी बदल रही है। विचार, तरीके, तकनीकी सब कुछ बदल रहा है। अगर कुछ नहीं बदला है तो वह सत्‍य। सत्‍य है कि आज भी कठिन परिश्रम किए कोई काम नहीं होने वाला है। संगीत ऐसी साधना है जिसमें बगैर किसी को स्‍पर्श किए उसके दिल में जगह बनाया जाता है। तो यह आसान नहीं है। मेरठ से मुंबई तक के सफर में बहुत संघर्ष है। शुरू में जब मैं मुंबई गया तो कोई नहीं जानता था। आज कठिन साधना से जो कला हासिल हुई है उसी कला ने जनाया। इसलिए मैं कहता हूं कि मेहनत का कोई विकल्‍प नहीं है। आज इंटरनेट माध्‍यम से एक दो गाने गा लेने से कोई स्‍टार नहीं बन सकता है।इसके लिए तपना पड़ता है। 10 से 20 साल की तपस्‍या के बाद जो संगीत तैयार होती है उसे किसी के दिल में जगह बनाने से कोई रोक नहीं सकता है। इसलिए इंज्‍वाय करते परिश्रम भी खूब कीजिए। सफलता को कदम चूमने के लिए बैठी हुई है।

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