सस्ते आवास की समस्या का सरकार करेगी निदान, प्रवासियों के लिए बसाएगी अलग कालोनी
सस्ते आवास की समस्या का सरकार सरकार निदान करेगी। इस संबंध में केंद्रीय योजना के तहत राज्य सरकार ने ड्राफ्ट तैयार किया है।
प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। कोरोना संक्रमण के दौरान श्रमिक, पटरी दुकानदार, संविदा पर कार्यरत कामगार और छात्र अपने घर लौट आए। बीमारी के दौरान सबसे बड़ी समस्या आई है सस्ते आवास की। इसके निदान के लिए भारत सरकार ने अफोर्डेबल रेंटल हाउङ्क्षसग कांप्लेक्स योजना शुरू की है। अब प्रवासियों के लिए अलग बहुमंजिला कॉलोनी बनेगी। इसे सरकार और निजी दोनों अलग-अलग विकसित करेंगे। प्रदेश सरकार ने भी योजना का ड्राफ्ट तैयार किया है। इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। किराया तय करने के लिए समिति बनेगी। किराया बाजार दर से कम होगा। किरायेदार की मौत पर उसके आश्रित को कमरा दिया जा सकेगा। किराए के भुगतान के लिए समिति बैंक खाता खोलेगी।
लोहियानगर में बसेगी प्रवासी कॉलोनी
एमडीए ने फिलहाल लोहियानगर आवासीय योजना में मकान चिह्नित किए हैं। यहां करीब 101 ईडब्ल्यूएस व 190 एलआइजी मकान हैं। यहीं पर 2657 वर्ग मीटर जमीन भी है। इसमें नया कांप्लेक्स बनाने की योजना है। इसके लिए पहले श्रम विभाग से जानकारी ली जाएगी। निजी क्षेत्र को कांप्लेक्स बनाने के लिए जल्द कार्यशाला होगी।
इन्हें मिलेगा लाभ
औद्योगिक, सेवा, निर्माण में कार्यरत प्रवासी श्रमिक, निर्धन छात्र, कामकाजी महिला, पटरी दुकानदार, रिक्शा चालक, संविदा पर कार्यरत कामगार जैसे कंप्यूटर ऑपरेटर, ड्राईवर, प्लंबर आदि।
तीन मॉडल पर मिलेंगे मकान
मॉडल-1 : सरकारी क्षेत्र के हाउङ्क्षसग कांप्लेक्स, जो पहले से बने हैं लेकिन आवंटित नहीं हो पाए। तीन लाख से कम सालाना आय वाले लोगों को इसका लाभ मिलेगा। इसके लिए ईपीएफ के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य होगा।
मॉडल-2 : सरकारी निकाय सरकारी जमीन पर नए सिरे से कांप्लेक्स बना कर किराये पर देंगे। इसका लाभ उन्हें मिलेगा जिनकी आय तीन लाख रुपये सालाना होगी और ईपीएफ के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य होगा।
मॉडल-3 : निजी निर्माणकर्ता अपनी जमीन पर कांप्लेक्स बनाकर प्राधिकरण की ओर से निर्धारित किराये पर मकान देंगे। इन्हें तमाम छूट मिलेंगी। 25 फीसद अतिरिक्त निर्माण किसी भी तल पर कर सकेंगे। इस 25 फीसद निर्माण को एफएआर में शामिल नहीं किया जाएगा। इसमें किराये पर रहने वालों के लिए आय प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य नहीं होगा। उसी परिसर में व्यावसायिक कांप्लेक्स के लिए भी छूट मिलेगी।
मकान के ये होंगे मानक
-कांप्लेक्स बनाने को भूखंड का न्यूनतम क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर हो।
-पहुंच मार्ग की न्यूनतम चौड़ाई 9.0 मीटर
-अधिकतम भू-आच्छादन (कवर्ड एरिया)50 फीसद
-एफएआर यानी तल क्षेत्र अनुमानित 1.5 फीसद
-50 फीसद एफएआर सरकार निश्शुल्क उपलब्ध करागी।
-साईकिल पार्किंग अनिवार्य।
-एक कमरे का न्यूनतम क्षेत्रफल 30 वर्ग मीटर
-डॉरमेट्री का न्यूनतम क्षेत्रफल 50 वर्ग मीटर
-60 फीसदी डॉरमेट्री अनिवार्य हो सकता है।