जीडी बख्शी का बड़ा बयान, बोले- अखंड भारत को आजादी 1947 नहीं, 1943 में मिली थी
Meerut News : मेरठ में आयोजित गोष्ठी में रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि अखंड भारत को आजादी आजाद हिंद फौज से मिली, न कि अहिंसा आंदोलन से। उन्होंने दिल्ली में आजाद हिंद फौज के बलिदानियों के लिए स्मारक बनाने की मांग की। विचारक सुशील पंडित ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद बोस के साथ आजादी की लड़ाई में छल हुआ।

मेरठ में आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित करते रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी
जागरण संवाददाता, मेरठ। रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि बच्चों से स्कूलों में गवाया जा रहा गीत, दे दी हमें आजादी बिन खड़ग, बिन तलवार उन बलिदानियों व उनके परिवार के साथ अन्याय है, जिन्होंने आजादी के लिए अपनी जान दे दी। भारत को वास्तविक आजादी गांधी के अहिंसा आंदोलन से नहीं, आजाद हिंद फौज के अंग्रेजों में खौफ से मिली।
अखंड भारत की आजादी 1943 में आजाद हिंद फौज व आजाद हिंद सरकार गठन के साथ मिल गई थी। इसे दुनिया के अनेक देशों ने भी मान्यता दी थी। 1947 में मिली आजादी विखंडित भारत को भीख में मिली आजादी है। वर्ष 2014 से पहले तक स्कूलों में चंद्रशेखर व भगत सिंह को आतंकवादी दर्शाने वाली पुस्तक पढ़ाई जाती थी। लंबे समय बाद इससे मुक्ति मिली और अमर शहीदों को सम्मान मिला।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की कि दिल्ली में आजाद हिंद फौज के 26 हजार बलिदानियों के लिए स्मारक व नेताजी सुभाष चंद बोस की विशाल प्रतिमा कर्तव्य पथ पर स्थापित की जाए। लोगों से उन्होंने इसके लिए जनांदोलन चलाने की अपील की।
मंगलवार को पीएल शर्मा स्मारक में आजाद हिंद फौज व आजाद हिंद सरकार गठन के 83वें स्थापना दिवस पर आयोजित गोष्ठी में रि. मेजर जनरल गगनदीप बख्शी ने कहा कि आजाद हिंद फौज की संख्या गठन के समय 60 हजार थी। आजादी की जंग में 26,500 सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी। हमारी सेना की अब संख्या लगभग 13 लाख है। आजादी के 75 साल में 26 हजार सैनिक बलिदान हुए हैं।
आजाद हिंद फौज के इन बलिदानियों को सरकार ने भुला दिया। सुभाष चंद बोस ने इन बलिदानियों की याद में जो स्मारक बनवाया था, उसे 1945 में बम से उड़ा दिया गया। उन्होंने कहा, तोड़ मरोड़कर बदले इतिहास को सही किया जाए। बच्चों को सही इतिहास पढ़ाया जाए।
नेताजी के साथ आजादी की लड़ाई में छल हुआ: सुशील पंडित
विचारक सुशील पंडित ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद बोस के साथ आजादी की लड़ाई में छल हुआ। देश को सत्ता हस्तांतरण आजादी नहीं थी। विखंडित देश सौंपा गया। उन्होंने कश्मीरी पंडितों के परिवार के साथ हुए जुल्म, नरसंहार, यातना व अपमान के बारे में विस्तार से बताया। सरकारों की उदासीनता भी बताई। कवि हरिओम पंवार, नेताजी सुभाष जन्म दिवस समारोह समिति के अजय गुप्ता वासु, अरुण जिंदल, बीएन पराशर, श्याम मोहन गुप्ता, दीपक शर्मा मौजूद रहे।
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