तंत्र के गण : आरटीआइ एक्टिविस्ट मनोज की कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए.. Meerut News
मेरठ के मनोज चौधरी आरटीआइ एक्टिविस्ट हैं जो सूचना के अधिकार को हथियार बनाकर आमजन की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके लिए वे संविधान प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हैं।
मेरठ, [दिलीप पटेल] । अपने इर्द-गिर्द होते किसी भी तरह के अन्याय को देखकर नजरें फेर लेना आम फितरत है। कुछ ही लोग होते हैं जो समस्या के खिलाफ आवाज उठाते हैं। इसके लिए वे संविधान प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हैं। वे न सिर्फ समस्या की तरफ ध्यान आकर्षित करते हैं बल्कि सूरत बदलने तक संघर्ष करते हैं। मेरठ के मनोज चौधरी ऐसे ही आरटीआइ एक्टिविस्ट हैं, जो सूचना के अधिकार को हथियार बनाकर आमजन की लड़ाई लड़ रहे हैं।
2013 से हैं सक्रिय
पेशे से व्यापारी 47 साल के मनोज चौधरी बेगमपुल रोड स्थित मिशन कंपाउंड (देव नगर) के रहने वाले हैं। वे बताते हैं कि उन्होंने वर्ष 2013 में आरटीआइ एक्टिविस्ट के रूप में कार्य करना शुरू किया था। यह प्रेरणा उन्हें अपने वृद्ध माता-पिता की परेशानियों से मिली। वे बताते हैं कि मिशन कंपाउंड में 35 मकानों के बीच नौ स्कूल संचालित हैं। इससे इस आवासीय इलाके में भीड़, जाम, ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
दृढ़ संकल्प का ही परिणाम
सबसे ज्यादा तकलीफ बुजुर्गे को उठानी पड़ती है। बस, इसी अव्यवस्था के खिलाफ आरटीआइ को अपना अस्त्र बनाया। वे बताते हैं कि एमडीए, नगर निगम समेत विभिन्न विभागों से आरटीआइ से सूचना जुटाई। आवासीय क्षेत्र में इतने स्कूल कैसे? यह मामला हाई कोर्ट और अब एनजीटी में पहुंच चुका है। उनके दृढ़ संकल्प का ही परिणाम है कि एमडीए ने यहां कुछ कार्रवाई भी की थीं।
..जब रातभर नहीं सो पाए
मनोज चौधरी ने नारी निकेतन को लेकर जिला प्रोबेशन अधिकारी से आरटीआइ के माध्यम से जानकारी जुटाई थी। नारी निकेतन में अंदर जाना मना है। इससे यहां रहने वालों का जीवन कैसा है, यह सामने नहीं आता था। मनोज बताते हैं कि जब आरटीआइ से जानकारी आई तो उन्हें रातभर नींद नहीं आई। इस नारकीय स्थिति की कल्पना भी नहीं की थी। चार कमरों में 90 महिलाएं रहती थीं। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा और डीएम को नोटिस जारी हुआ।
ऐतिहासिक धरोहरों की लड़ाई
मेरठ की ऐतिहासिक धरोहरों पर हो चुके अवैध कब्जों की लड़ाई भी वे लड़ रहे हैं। उन्होंने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया आगरा में आरटीआइ लगाकर वह जानकारी जुटाई जो निकाल पाना आसान नहीं था। वे बताते हैं कि ऐतिहासिक धरोहरों पर अवैध कब्जे किए गए हैं। किसी ने मकान बना लिया तो कोई दुकान चला रहा है। इस मामले में नोटिस जारी हुए हैं। यह मामला भी हाईकोर्ट में है।
तीन हजार से अधिक आरटीआइ दाखिल कर चुके
मनोज चौधरी अब तक तीन हजार से अधिक आरटीआइ एप्लीकेशन विभिन्न विभागों में दाखिल कर चुके हैं। इसके लिए उन्हें बहुत संघष करना पड़ा है। वे कहते हैं कि बहुत से विभाग जानकारी नहीं देते हैं। ऐसी स्थिति में अपीलीय अधिकारी के पास जाना पड़ता है। राज्य सूचना आयोग के पास जाना पड़ता है। नगर निगम के जनसूचना अधिकारी पर 25 हजार पेनाल्टी राज्य सूचना आयोग ने लगाई थी।
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