बीज से बिक्री तक बदलेगा कृषि का भविष्य...भविष्य की खेती का यह होगा स्वरूप
कृषि क्षेत्र में बीज से बिक्री तक एक बड़ा बदलाव आने वाला है। भविष्य की खेती में ड्रोन, सेंसर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग बढ़ेगा, जिससे फसल की निगरानी बेहतर होगी। यह बदलाव किसानों के लिए नए अवसर लेकर आएगा, जिससे वे अपनी उपज बढ़ा सकते हैं। भविष्य की खेती स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगी।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अटल सभागार में प्लांट प्राटेक्शन विभाग की ओर से राष्ट्रीय कार्यशाला में मौजूद कुलपति, प्रोफेसर और छात्र-छात्राएं। जागरण
जागरण संवाददाता, मेरठ। भारत की कृषि व्यवस्था अब 'बीज से बिक्री तक' पूरी तरह तकनीक आधारित बन रही है। नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट ' फ्रॉम सीड टू सेल: फ्रंटियर टेक्नोलॉजी' में बताया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), ब्लाकचेन और ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीकें भारतीय कृषि को नई दिशा दे रही हैं।
खेती अब सिर्फ खेत तक सीमित नहीं रही, बल्कि डिजिटल डेटा, सटीक पूर्वानुमान, स्मार्ट उपकरण और ब्लॉकचेन ट्रेसिबिलिटी से जुड़कर एक 'स्मार्ट एग्रीकल्चर नेटवर्क' बन चुकी है। यह जानकारी सोमवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अटल सभागार में आयोजित नेशनल सेमिनार में नीति आयोग से सदस्य डा. गिरीश कुमार झा ने दी। प्लांट प्रोटेक्शन विभाग की ओर से 'एप्लीकेशन आफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन मॉडर्न एग्रीकल्चर' विषय पर आयोजित सेमिनार में डा. गिरीश झा ने कृषि में एआई आरक्षण लर्निंग का महत्व बताते हुए कहा कि भविष्य की खेती अब डेटा आधारित निर्णयों और डिजिटल समाधान पर चलेगी।

एआई आधारित प्रोडक्टिव टाइम प्लानिंग से मौसम और फसल की स्थिति का पूर्वानुमान पहले से लग सकेगा। डिजिटल डाटा आधारित फसल बीमा किसानों को फसल हानि से सुरक्षा देगा, वहीं जलवायु-लचीली उच्च उपज देने वाली तकनीक के जरिए विकसित होंगी।
स्मार्ट सिंचाई, इनपुट मार्केट और स्मार्ट सीडिंग सिस्टम खेती की दक्षता बढ़ाने में मदद करेंगे। खेतों में अब ड्रोन का उपयोग बीज बोने, स्प्रे करने और फसल की निगरानी के लिए हो रहा है। जेट-आधारित सटीक फर्टिगेशन सिस्टम, हाइड्रोपोनिक्स और वर्टिकल फार्मिंग जैसी तकनीकें सीमित जगह में भी अधिक उत्पादन संभव बनाएंगी।
एआई और रोबोटिक्स से होगा खेती का स्वचालन
डा. गिरीश झा ने नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि एग्रीकल्चर रोबोट्स खेती में 'लेबर शार्टेज' की समस्या को खत्म करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये रोबोट्स रोपाई, निराई, सिंचाई और कटाई का काम स्वतः कर रहे हैं। ब्लू रिवर टेक्नोलॉजी द्वारा विकसित 'सी एंड स्प्रे' मशीन एआई और कंप्यूटर विजन की मदद से हर पौधे की पहचान कर, केवल उसी पर आवश्यक स्प्रे करती है, जिससे रासायनिक लागत घटती है। इसी तरह, हार्वेस्ट क्रू रोबोटिक्स और आईआईटी कानपुर का अग्रिबोट फसल कटाई और छिड़काव में क्रांति ला रहे हैं।
ड्रोन और सैटेलाइट बन रहे खेती की आंख और कान
डा. गिरीश झा ने बताया कि खेती में ड्रोन अब 'आंख और कान' की भूमिका निभा रहे हैं। ड्रोन डेटा से किसान फसल की सेहत, नमी की मात्रा, नाइट्रोजन लेवल, खरपतवार की स्थिति और फसल की अनुमानित पैदावार जैसी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इससे डिजिटल फील्ड मैपिंग, फसल बीमा, और उत्पादन आकलन सटीक हो जाता है। नीति आयोग की रिपोर्ट में एआई-डीआईएससी मोबाइल एप्लिकेशन को बड़ा नवाचार बताया गया है।
यह ऐप किसानों को फसलों के रोग की पहचान करने में मदद करता है। किसान बस पत्तों की एक तस्वीर अपलोड करते हैं और एआई मॉडल तुरंत रोग की पहचान कर उचित सलाह देता है। यह ऐप 20 से अधिक फसलों, धान, गेहूं, मक्का, टमाटर, सरसों आदि के 1.5 लाख से अधिक चित्रों पर प्रशिक्षित है।
डा. गिरीश झा ने बताया कि ब्लॉकचेन तकनीक खेती में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित कर रही है। इसके माध्यम से फार्म इन्वेंट्री प्रबंधन, सप्लाई चेन की ट्रैकिंग, फेयर प्राइसिंग, और सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज को प्रोत्साहन मिल रहा है। एआई और ब्लॉकचेन के सम्मिलन से अब हर फसल की यात्रा 'फार्म से थाली तक' डिजिटल रूप से ट्रैक की जा सकेगी।
शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो एआई और मशीन लर्निंग का ज्ञान होना जरूरी है
सीसीएसयू की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि अगर छात्रों को शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो उन्हें एआई और मशीन लर्निंग का ज्ञान होना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा, अगर हम एआई को नहीं समझेंगे, तो आने वाले समय में कुछ भी नहीं कर पाएंगे। हमें अपने दिमाग की क्षमता का विस्तार करते हुए इस तकनीक का उपयोग सीखना होगा।
डा. गिरीश झाने बताया कि मानव मस्तिष्क की क्षमता अनंत है, और हमें एआई को अपना सहायक बनाकर अपने स्किल सेट को पुनः डिजाइन करना होगा। सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ में पूर्व कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार शर्मा रहे। नीति आयोग से डा. द्विजेश चंद्र मिश्रा ने भी सेमिनार के विषय पर व्याख्यान दिया। सेमिनार के समन्वयक सीसीएसयू ने एग्रीकल्चर फैकल्टी के डीन प्रोफेसर शैलेन्द्र शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया।

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