दस किलोमीटर रेस वाक में महिला कांस्टेबल मीना चौधरी को दोहरी सफलता, एसएसपी मेरठ ने किया सम्मानित
सहारनपुर में आयोजित एथलेटिक्स प्रतियोगिता की दस किमी रेस वाक प्रतियोगिता में महिला कांस्टेबल मीना चौधरी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में उन्होंने 400 मीटर रिले में दूसरा स्थान हासिल किया। लखनऊ में आयोजित प्रतियोगिता में भी दस किलोमीटर रेस वाक में वह अव्वल रहीं।

मेरठ, जागरण संवाददता। मेरठ में नियुक्त महिला कांस्टेबल मीना चौधरी ने सहारनपुर और लखनऊ में आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्हें एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने सम्मानित किया। एसएसपी ने प्रदान किया प्रशस्ति पत्र
सहारनपुर में आयोजित 25वीं अंतरजनपदीय एथलेटिक्स कलस्टर, एथलेटिक्स, खो-खो, साइकिलिंग प्रतियोगिता में दस किमी रेस वाक प्रतियोगिता में महिला कांस्टेबल मीना चौधरी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। 400 मीटर रिले में दूसरा स्थान हासिल किया है। यह प्रतियोगिता तीन अप्रैल से पांच अप्रैल तक हुई थी। इसी तरह से 70वी वार्षिक उत्तर प्रदेश पुलिस खेल प्रतियोगिता 35वी वाहिनी पीएसी लखनऊ में आयोजित हुई। बीस अप्रैल से 23 अप्रैल तक चली दस किमी रेस वाक प्रतियोगिता में मीना चौधरी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। जनपद का नाम रोशन करने वाली महिला कांस्टेबल मीना चौधरी को प्रशस्ति पत्र देकर एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने सम्मानित किया।
खेल विवि की भूमि का निरीक्षण करने पहुंची आइआइटी रुड़की की टीम
मेरठ, जागरण संवाददाता। सरधना क्षेत्र के सलावा में करीब सात सौ करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय के निर्माण की गतिविधियां तेज हो गई हैं। आइआइटी रुड़की की टीम, डीडीएफ (डिजाइन एंड डेवलेपमेंट फोरम) कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड व लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों ने खेल विवि की जमीन का सोमवार को निरीक्षण किया। निरीक्षण करने वाले टीम के सदस्यों ने कहा कि विश्वविद्यालय के निर्माण में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि गंगनहर के बहाव में कोई दिक्कत न आए और साथ ही गंगनहर के पानी का प्रतिकूल प्रभाव विवि के भवनों पर न पड़े।
सौ वर्षों को ध्यान में रखकर रखी जाएगी नींव
दिल्ली के पीतमपुरा स्थित डीडीएफ कंसल्टेंट के आर्किटेक्ट मैनेजर धनंजय सिंह रावत ने बताया कि जहां खेल विश्वविद्यालय का निर्माण होना है, उसके बराबर में गंगनहर है। ऐसे में आइआइटी की टीम गंगनहर की गहराई, आकृति व उसका तल और जल स्तर बढऩे आदि को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके बाद बिल्डिंग की नींव कुछ इस तरह से रखी जाएगी जिससे आगामी सौ वर्षों तक भवन पानी से प्रभावित न हो सके।
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