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    हर घर की छत होगी एक जैसी! यूपी के इस जिले में सरकारी विभाग ने जारी किया नया फरमान, कहा- इससे आपका ही फायदा

    Updated: Thu, 17 Apr 2025 04:09 PM (IST)

    मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) की बोर्ड बैठक में जनहित में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। अब 300 वर्ग मीटर से अधिक के भवनों पर वाइट रूफ अनिवार्य होगी जिससे ताप ...और पढ़ें

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    एमडीए बोर्ड की बैठक लेते कमिश्नर ह्रषिकेश भास्कर यशोद मौजूद डीएम,एमडीए उपाध्यक्ष,नगर आयुक्त व अधिकारीगण---जागरण

    जागरण संवाददाता, मेरठ। जनहित को देखते हुए मेडा की बोर्ड बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। भवनों का तापमान घटाने और बिजली बचत के लिए अब वाइट रूफ टाप भवन बनाना अनिवार्य कर दिया गया है। अब 300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल से अधिक के भवन का मानचित्र स्वीकृत कराते समय शपथ पत्र और एफडीआर देना होगा।

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    कार्य होने के बाद एफडीआर वापस कर दिया जाएगा। वर्तमान में इसी तरह से रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट का भी नियम है। प्राधिकरण की आवासीय योजना में जिन लोगों का अनुरक्षण शुल्क लंबे समय से बकाया है उनको ब्याज की छूट देते हुए एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) जल्द ही लागू किया जाएगा।

    मुआवजा वितरण और समिति का गठन

    लोहियानगर, वेदव्यासपुरी व गंगानगर के किसानों को अतिरिक्त प्रतिकर के बदले में कुछ किसानों को प्लाट और कुछ किसानों को धनराशि देने का निर्णय मेडा की 2015 की बोर्ड बैठक में हुआ था। उसके आधार पर 2018 में 2.83 करोड़ रुपये किसानों को दिए गए लेकिन बाद में यह प्रक्रिया रोक दी गई।

    किसान इस मांग के लिए हाईकोर्ट चले गए। अब बकाया धनराशि 5.62 अरब का भुगतान होना है। किसानों के रकबे का मूल्यांकन, विरासत पत्रों की जांच आदि के लिए एडीएम भूमि अध्यप्ति की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है।

    इसमें एडीएम प्रशासन, सचिव मेडा, नगर नियोजक, एसडीएम, अधीक्षण अभियंता व वित्त नियंत्रक शामिल रहेंगे। दो महीने का समय समिति को दिया गया है। वहीं नमो भारत कारिडोर की सफलता के लिए दिल्ली रोड व रुड़की रोड के लिए तैयार किए गए नौ जोनल प्लान को स्वीकृति दे दी गई। शेष छह जोनल प्लान को अगली बोर्ड बैठक में रखने का निर्देश दिया गया।

    यह है वाइट रूफिंग तकनीक

    सूर्य के ताप से बचाने व गर्मी की खपत को कम करने के लिए इस तकनीक का उपयोग शुरू किया गया है। इसमें छत की सतह को सफेद या हल्के रंग की सामग्री से ढका जाता है या फिर छत पर सफेद पेंट किया जाता है। इसलिए इसे वाइट रूफिंग यानी सफेद छत कहते हैं। इससे भवन की उम्र बढ़ती है। भवन को वातानुकूलित बनाने की प्रक्रिया में आने वाले खर्च में कमी आती है।

    मानचित्र आवेदन के समय वाइट रूफिंग कराने का एफिडेविट लिया जाएगा और उसके लिए एफडीआर भी जमा कराई जाएगी। जब भवन स्वामी इस तकनीक का पालन करने संबंधित प्रमाण पत्र जमा करेगा तब एफडीआर वापस कर दी जाएगी।