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    छावनी की सड़कों पर आज भी अंग्रेजी छाया

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 20 Dec 2021 10:41 AM (IST)

    देश आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है। जिसमें कई तरह के कार्यक्रमों से देश के लोग अपने स्वाभिमान से जुड़ रहे हैं। वहीं मेरठ छावनी में कुछ सड़कों के नाम अंग्रेज सैनिक और अफसरों के नाम पर हैं। अभी कुछ दिन पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देश की छावनियों में अंग्रेजों के नाम से सड़कों और बंगलों के नाम पर रक्षा संपदा को गौर करने के लिए कहा था। जिससे ऐसी सड़कों और इमारतों का नाम भारतीय सैनिकों के नाम पर हो। इसके बाद इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

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    छावनी की सड़कों पर आज भी अंग्रेजी छाया

    मेरठ, जेएनएन। देश आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है। जिसमें कई तरह के कार्यक्रमों से देश के लोग अपने स्वाभिमान से जुड़ रहे हैं। वहीं, मेरठ छावनी में कुछ सड़कों के नाम अंग्रेज सैनिक और अफसरों के नाम पर हैं। अभी कुछ दिन पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देश की छावनियों में अंग्रेजों के नाम से सड़कों और बंगलों के नाम पर रक्षा संपदा को गौर करने के लिए कहा था। जिससे ऐसी सड़कों और इमारतों का नाम भारतीय सैनिकों के नाम पर हो। इसके बाद इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

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    देश में 62 छावनियों हैं, इनमें मेरठ छावनी का इतिहास बहुत पुराना है। अंग्रेजों ने 1803 में मेरठ छावनी का गठन किया था। 1857 की पहली क्रांति मेरठ छावनी से ही शुरू हुई थी, जिसके पद्चिन्ह आज भी छावनी में मौजूद हैं। वहीं, दूसरी ओर छावनी में कई सड़कों के नाम अंग्रेजी सैनिकों के नाम पर है।

    छावनी में कुछ सड़कों के नाम

    छावनी में हनुमान चौक से चिराग स्कूल तक जाने वाली सड़क चैपल स्ट्रीट के नाम से है। गांधी बाग के पीछे जार्ज स्ट्रीट मार्ग है। काठ के पुल से जीरो माइल की तरफ जाने वाली सड़क हिल स्ट्रीट है, तो लालकुर्ती बाजार में हैंसी स्ट्रीट है। रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय के सामने ब्रूक्स स्ट्रीट जाती है।

    इन्होंने कहा कि..

    पहले सीडीएस के नाम पर भी सड़क

    मेरठ 1857 की क्रांति का प्रमुख स्थल रहा है। क्रांति से लेकर देश की आजादी में बहुत से लोगों ने बलिदान दिया। भारतीय सेना में भी बहुत से सैनिक और अफसर हैं, जिन्होंने देश की सुरक्षा को आगे बढ़ाया है। इसमें विचार विमर्श करके नाम तय किए जाएंगे। जिसमें विदेशी नाम की जगह स्वदेशी नाम हो। देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत के नाम पर भी सड़क हो सकती है, क्योंकि उन्होंने मेरठ से अपनी शोध की पढ़ाई भी की थी।

    राजेंद्र अग्रवाल, सांसद बदलाव जरूरी है

    छावनी में कुछ क्षेत्र के नाम समय के साथ बदले गए, कुछ जगह अभी भी पुराने पैटर्न पर चल रहे हैं। उन्हें भी बदला जाना चाहिए। जैसे छावनी में भारत के पहले सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा के नाम पर भी सड़क है। ऐसे ही अन्य सड़कें भी भारतीय सैनिक और अफसरों के नाम पर हों। भारतीय सैनिकों के नाम होने से नई पीढ़ी को भी एक संदेश मिलेगा। इसके लिए प्रयास किया जाएगा।

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    छावनी में 1864 का नक्शा जैसा था, आज भी वैसा ही है। इसमें शुरू में कुछ सड़कों के नाम से पते लिखे जाते थे। समय के साथ कुछ नाम बदल भी गए। जो नाम ऐतिहासिक महत्व के हैं, उन्हें रहना चाहिए। उनके साथ नए नाम भी जोड़े जाने चाहिए।

    डा. अमित पाठक, इतिहासकार